उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली की ओर बढ़ने लगे हैं. किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच आखिरी दौर की बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकला. हालांकि, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है. सरकार ने बाकी मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है। nकिसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च में 200 से अधिक किसान संघ शामिल है. किसानों के 2020 के आंदोलन को देखते हुए इस बार उन्हें दिल्ली तक नहीं आने देने के कई उपाय अपनाए जा रहे हैं. किसान आज 10 बजे ‘दिल्ली चलो‘ मार्च शुरू करेंगे. हरियाणा की सरकार ने अपनी सीमा पर बड़ी बाड़ लगा दी है, ताकि प्रदर्शनकारी किसान पंजाब से हरियाणा में प्रवेश न कर सकें. nn#WATCH | Delhi: Security heightened at Delhi borders in view of the march declared by farmers towards the National Capital today(Visuals from Tikri Border) pic.twitter.com/sCykyhwA7bn— ANI (@ANI) February 13, 2024nnnnकिन कारणों से अलग है ये आंदोलन nकिसानों ने 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिन्हें 2021 में निरस्त कर दिया. अब किसानों ने सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने, पूर्ण कर्ज माफ करने, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, 2020-21 के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए 2023 में ‘दिल्ली चलो’ की घोषणा की थी. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली चलो 2.0 का ऐलान किया है. nकिसानों के 2020 में किए गए आंदोलन के दौरान प्रमुख चेहरा बने राकेश टिकैत इस बार दिल्ली चलो मार्च में शामिल नहीं होंगे. इस बार संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर के महासचिव सरवन सिंह पंधेर मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. nकिसानों को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सीमा पर कंटीले तार, सीमेंट बैरिकेड और सड़कों पर कीलें लगाने के साथ ही दिल्ली की सभी सड़कों को बंद कर दिया गया है. दिल्ली में धारा 144 भी लागू कर दी गई है. हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगने वाली अपनी सभी सीमाओं को सील कर दिया है. nपिछली बार हुए किसान आंदोलन से सबक लेते हुए केंद्र सरकार ने इस बार किसानों के दिल्ली चलो मार्च से पहले ही बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन अभी तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला. केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच पहली बैठक 8 फरवरी और दूसरी बैठक 12 फरवरी को हुई थी. बैठक में केंद्र ने किसानों के खिलाफ 2020 में दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली, लेकिन एमएसपी की कोई गारंटी नहीं दी.



