चुनाव आयोग का वो नियम बना निर्मला सीतारमण के चुनाव न लड़ने की वजह

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान कर दिया है कि वह इस साल लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्‍होंने BJP की तरफ से दिए जा रहे टिकट को अस्वीकार कर कहा कि उनके पास उतना पैसा नहीं है कि वह चुनाव लड़ सकें. BJP के मुखिया जेपी नड्डा द्वारा उन्‍हें आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ने का विकल्‍प दिया था. लेकिन उन्‍होंने फंड की कमी के चलते उस ऑफर को ठुकरा दिया. nसीतारमण ने खुद से पूछा सवाल nनिर्मला  सीतारमण ने टिकट मिलने पर कहती है कि ‘एक हफ्ते तक मैंने इस बारे में बहुत सोचा और चुनाव लड़ने से मैंने मना कर दिया क्योंकि मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं है.’ इसके बावजूट एक समस्या और भी है कि चाहे वह आंध्र प्रदेश हो या तमिलनाडु, लेकिन सबसे अहम सवाल यहीं खड़ा होगा कि क्या आप इस समुदाय या उस धर्म से ताल्लुक रखते हैं? इसलिए मैंने कहा नहीं, मुझे नहीं लगता कि मैं यह कर पाऊंगी.’ nचुनाव खर्च की सीमा nसाल 2022 में चुनाव आयोग ने चुनाव में किए जाने वाले खर्च की सीमा में संशोधन किया था. इसके अनुसार बड़े राज्यों में, एक नामांकित व्यक्ति प्रति लोकसभा क्षेत्र 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. वहीं छोटे राज्यों में उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च की सीमा 75 लाख रुपये है. वहीं दूसरी तरफ बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार 40 लाख रुपये का भुगतान कर सकते हैं और छोटे राज्यों के लिए सीमा 28 लाख रुपये है.  nबनाए जाते है अलग अकाउंट nइन चुनावी खर्चों में सार्वजनिक बैठकों, रैलियों, होर्डिंग्स, विज्ञापनों, पैम्फलेट, अभियान सामग्री आदि पर खर्च की गई राशि शामिल है.  उम्मीदवारों को चुनाव खर्चों के लिए एक अलग अकाउंट बुक बनाए रखने और इन खर्चों को ECI के पास दर्ज करने के लिए कहा जाता है. जबकि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के खर्च की कोई सीमा नहीं है. 

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