सौकड़ों साल के संघर्ष के बाद आखिरकार अयोध्या में राम का मंदिर बनकर तैयार है. प्राण-प्रतिष्ठा की तारीख नजदीक आ रही है. वो तारीख है, 22 जनवरी. इसी दिन रामलला गर्भ गृह में विराजमान होंगे. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए इसी दिन को क्यों चुना गया? और उससे भी बड़ा सवाल….कि आखिर ये शुभ मुहूर्त निकाला किसने हैं? nसब बताएंगे. लेकिन, उससे पहले ये जान लीजिए कि, अब से करीब तीन साल पहले राम मंदिर का शिलान्यास हुआ था. तारीख थी, 5 अगस्त 2020. तब शिलान्यास की इस तारीख को लेकर खूब विवाद हुआ. वाराणसी के संतों और ज्योतिषियों ने सवाल खड़े कर दिए थे. उनका कहना था कि, शिलान्यास का मुहूर्त अशुभ है. इसको ध्यान में रखते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर विशेष ध्यान रखा है. इस बार ट्रस्ट ने शुभ मुहूर्त एक प्रकांड पंडित से निकलवाया है. प्रकांड मतलब…भयंकर विद्वान. सीधे शब्दों में कहें तो, वो व्यक्ति जिसका कोई तोड़ ना हो…nतो बता दें, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का ये मुहूर्त पंडित गणेश्वर शास्त्री ने निकाला है. ये वही शास्त्री जी हैं, जिन्होंने राम मंदिर के शिलान्यासा और वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन का मुहूर्त निकाला था. पंडित गणेश्वर शास्त्री काशी में गंगा किनारे रामघाट इलाके में रहते हैं. हालांकि, वो मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं. इनके बड़े भाई विश्वेश्वर शास्त्री भी प्रकांड पंडित. दोनों भाई मिलकर बड़े-बड़े कार्यक्रमों के मुहूर्त निकालते रहते हैं. बताया जाता है कि, गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ वेदशास्त्र के बड़े विद्वान हैं. इनके परिवार में सभी कर्मकांड के बड़े जानकार हैं. उनके परदादा तमिलनाडु से काशी आए थे और तभी से ये परिवार यहां बस गया. nपंडित गणेश्वर शास्त्री की मानें तो 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए केवल 84 सेकेंड का वक्त है. ये शुभ मुहूर्त 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक होगा. 22 जनवरी 2024 को होने वाले इस कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे. रामलला के मंदिर में विराजमान होने के बाद पीएम मोदी भगवान की सबसे पहली आरती उतारेंगे. इसके बाद मंदिर परिसर में बनी जटायु की प्रतिमा पर पुष्पांजलि करेंगे.nअब आता है बारी दूसरे सवाल के जवाब की. कि, आखिर इसी दिन को प्राण प्रतिष्ठा के लिए क्यों चुना गया? दरअसल, पहले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 24 जनवरी को होनी थी. लेकिन, जब बड़े-बड़े विद्वानों से राय लेने के बाद इसे 22 जनवरी कर दिया गया. क्योंकि, प्रभु श्रीराम का जन्म अभिजीत योग में हुआ था. अन्य तिथियों में यह योग क्षणिक समय के लिए बन रहा था. जबकि, 22 जनवरी को ये अभिजीत योग लंबे समय तक का है. ऐसे में तय हुआ कि ये तिथि ही सबसे उपयुक्त रहेगी.nअब आप सोचेंगे कि, ये अभिजीत योग क्या होता है? तो बता दें कि, प्रत्येक दिन का मध्य-भाग अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. जो मध्य से पहले और बाद में 2 घड़ी, यानी करीब-करीब 48 मिनट का होता है. इस मुहूर्त में किए गए समस्त कार्य सदैव सफल होते हैं और बहुत जल्दी पूरे हो जाते हैं. कुल मिलाकर ये मुहूर्त काफी सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
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पंडित 'गंगा किनारे' वाले! जिन्होंने निकाला रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का मुहूर्त
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