विपक्षी इंडी गठबंधन की आज (मंगलवार को) चौथी बैठक दिल्ली में हुई. इस बैठक में ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव का सीएम अरविंद केजरीवाल समेत कई पार्टियों ने भी सनर्थन किया. सीएम केजरीवाल ने प्रस्ताव का समर्तन करते हुए कहा, ‘ऐसा तुरंत किया जाना चाहिए क्योंकि इससे देश को पहला दलित प्रधानमंत्री चुनने का मौका भी मिलेगा.’nऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि, क्या विपक्षी गठबंधन के नेताओं को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के लिए राहुल गांधी के नाम पर ऐतराज है? तो आइए जानते हैं कि, बैठक में राहुल गांधी के नाम पर मुहर क्यों नहीं लगी? nहालांकि अचानक सामने आए इस प्रस्ताव के लिए शायद कांग्रेस पूरी तरह से तैयार नहीं थी. मुंबई में एक सितंबर को हुई आखिरी बैठक के बाद ये पहली मुलाकात थी. इस बीच विधानसभा चुनावों के कारण कांग्रेस और बाकी दलों के बीच किसी तरह की चर्चा भी नहीं थी. ऐसे में अचानक जब ममता बनर्जी ने प्रस्ताव रखा और अरविंद केजरीवाल ने उसका समर्थन कर दिया, तो कांग्रेस की ओर से कोई सीधा जवाब नहीं आया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ये जरूर कहा कि “अभी चुनाव सामने है और कई काम करने हैं, तो ऐसे में पहले चुनाव जीतना है, उसके लिए प्रयास करते हैं. प्रधानमंत्री कौन होगा, इसके बारे में बाद में सोच लेंगे.”nहालांकि, सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी द्वारा प्रस्ताव, अरविंद केजरीवाल का समर्थन और अन्य नेताओं की भी सहमति अचानक नहीं हुई. दरअसल, विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस व्यस्त थी. उसकी कोशिश थी कि पहले विधानसभा चुनाव जीत लें, उसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग और बाकी चीजों पर बातचीत करेंगे, लेकिन विधानसभा चुनावों का नतीजा कांग्रेस की उम्मीद के मुताबिक नहीं आए. इस बीच, विपक्षी नेताओं के बीच आपस में जरूर बातचीत भी हुई थी. सूत्रों का ये भी कहना है कि गठबंधन के कुछ नेता विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सीट शेयरिंग और बाकी चीजों को पीछे रख देने के कांग्रेस के फैसले से खुश नहीं थे. उन्हें लग रहा था कि इस कारण बहुत देरी हो रही है.nखड़गे का नाम आगे करने के पीछे भी एक रणनीति बताई जा रही है. दरअसल, कांग्रेस का हरेक नेता यही चाहेगा कि कभी कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बने तो, राहुल गांधी ही उसे लीड करें. कांग्रेस के अनेक नेता इस बात को खुलेआम बोलते भी हैं. लेकिन ममता, केजरीवाल और कुछ अन्य नेताओं को लगता है कि अगर खड़गे का नाम आगे कर चुनावी मैदान में जाया जाए, तो ज्यादा फायदा होगा. इसके पीछे उनके अपने कारण भी हैं. एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने बताया कि चुनाव के दौरान बीजेपी ये माहौल बना देती है कि पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन. इस सवाल में विपक्ष उलझ जाता है. आज की परिस्थिति में खड़गे से बेहतर कोई नाम नहीं है. खड़गे बड़े दलित नेता हैं. उनका एक बेहद लंबा राजनीतिक जीवन रहा है, उनके नाम पर तमाम सहयोगी दलों के नेताओं को भी कोई ऐतराज नहीं होगा.nखड़गे का नाम आगे करने के पीछे कोई भी रणनीतिक दलील हो, लेकिन ये सवाल भी उठेगा ही कि क्या राहुल गांधी के नाम पर विपक्ष के तमाम नेताओं को एकजुट करना मुश्किल है. क्या विपक्ष के नेताओं को भी ये लगता है कि अगर उनका नाम आगे किया गया, तो उतना फायदा नहीं मिलेगा, जितना खड़गे का नाम आगे करने पर हो सकता है. बहरहाल, खड़गे के नाम को सार्वजनिक तौर पर विपक्ष की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार के लिए घोषित किया जाएगा या नहीं, ये तो आगे ही पता चलेगा, लेकिन इस प्रस्ताव के जरिए विपक्ष के साथी दलों ने कांग्रेस के सामने एक गूगली जरूर फेंक दी है.