झारखंड में चंपई सोरेन ने भले ही सीएम पद की शपथ ले ली, लेकिन अभी तक झारखंड में राजनीतिक संकट खत्म नहीं हुआ है. नए मुख्यमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती फ्लोर टेस्ट है. हैदराबाद में जेएमएम, कांग्रेस और राजद के विधायक भेजे गए हैं, जिसे लेकर चंपई सोरेन की चिंता बढ़ गई है. nn#WATCH | Pakur | Congress incharge for Jharkhand, Ghulam Ahmad Mir says, “…Normally, it has never happened anywhere that a sitting CM is handing himself over to the law and giving an alternate so that the state does not suffer. The entire coalition – 49 MLAs – unanimously… pic.twitter.com/IvulEUgX5On— ANI (@ANI) February 3, 2024nnnnझारखंड में इंडिया गठबंधन को अपनी सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों के बहुमत की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 36-37 विधायक ही हैदराबाद पहुंचे हैं, जबकि कुछ MLAs अभी तक नहीं पहुंचे है. चंपई सरकार का फ्लोर टेस्ट 5 जनवरी को होना है, वहीं सीएम पद से इस्तीफा देने से पहले हेमंत सोरेन ने समर्थन पत्र में 42-43 विधायकों के हस्ताक्षर करवा लिए थे, जिसके बाद चंपई सोरेन ने राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए 42-43 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा था. nnजोहार !आज झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण किया। दिशोम गुरु आदरणीय शिबू सोरेन जी के मार्गदर्शन में हमारी सरकार राज्य की आम जनता के हित में काम करती रहेगी।हमारे गठबंधन की सरकार ने माननीय हेमन्त सोरेन जी के नेतृत्व में जो बुनियादी शुरुआत किया है, यहां के आदिवासियों,… pic.twitter.com/f7EpdjKbnin— Champai Soren (@ChampaiSoren) February 2, 2024nnnnपर्याप्त विधायक नहीं हैंnइस पर राज्यपाल ने शुक्रवार को चंपई सोरेन के साथ कांग्रेस और राजद के विधायकों को शपथ दिलाई थी. अगर हैदराबाद पहुंचे विधायकों की संख्या पर नजर डालें तो इंडिया गठबंधन के पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त विधायक नहीं हैं, लेकिन अब सावल ये है कि बाकी के विधायक कहां गए? सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने के लिए कुछ विधायक झारखंड में रुके हुए हैं. nकानून के हवाले करने से पहले हुआ ये nझारखंड के कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ है कि खुद को कानून के हवाले करने से पहले मौजूदा सीएम ने चंपई सोरेन को सत्ता की चाबी सौंप दी है. महागठबंधन के विधायकों ने इस पर सहमति जताई थी, अगर राज्यपाल ने जल्द ही फ्लोर टेस्ट करा लिया होता तो आज विधायकों को हैदराबाद भेजने की जरूरत नहीं होती. n



