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जस्टिन ट्रूडो ने फिर चला 'विक्टिम कार्ड', जानें इस बार भारत के खिलाफ क्या कहा?

भारत सरकार ने भारत में 40 कनाडाई राजनयिकों की राजनयिक प्रतिरक्षा को एकतरफा रद्द करने का फैसला किया है. जिसके बाद कनाडा के पीएम ने भारत कनाडा के रिश्तों में आई तल्खी की वजह का रोना रोया है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन का हवाला दे खुद को जस्टिफाइ किया. साथ ही भारत के फैसले को एकतरफा करार दिया. कनाडियाई पीएम को लगता है कि, भारत इंटरनेशनल कानूनों को ताक पर रख रहा है. वियना कंवेंशन की दुहाई देते हुए खुद को पीड़ित की तरह पेश किया है. 

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दरअसल, ट्रूडो ने ओंटारियो के ब्राम्पटन में मीडिया को संबोधित करते हुए अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार ने इस फैसले से लाखों लोगों का जीवन कठिन बनाया है. भारत ने जो कार्रवाई की वह अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है…ये एकतरफा फैसला है..वियना संधि का उल्लंघन है…सभी देशों को इसके बारे में सोचना चाहिए.’

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भारत की दो टूक

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भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनके आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. कहा है कि भारत में कनाडाई राजनयिकों की समान संख्या सुनिश्चित करना अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन नहीं है… भारत ने कहा कि हमारा कदम हमारा कदम वियना संधि के अनुच्छेद 11.1 के तहत पूरी तरह से सुसंगत है. 

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भारत  ने कहा था कि कनाडा के 62 राजनियक रहते थे. भारत ने इनमें से 41 को हटा दिया. इसके बाद बाकी बचे 21 कनाडाई राजनायिक भारत में ही रह पाएंगे. भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा था कि भारत में कनाडा के बहुत राजनयिक हैं, जो देश के आंतरिक मामलों में दखल देते हैं, इसलिए इनसे जल्द से जल्द देश छोड़ने को कहा गया है. यही बात कनाडा को अखर गई थी. 

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भारत ने कनाडाई राजनियों को देश छोड़ने के लिए 10 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया था. डेडलाइन बीत जाने के बाद 10 दिन की और मोहलत दी गई थी. डेडलाइन को बढ़ाकर 20 अक्टूबर किया गया. जिसके बाद कनाडा ने 20 अक्टूबर को अपने 41 राजनयिकों को यहां से निकाला और कहा कि वो चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में अपने वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाओं को बंद कर देगा. 

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अनुच्छेद 11.1 क्या?

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भारत ने 11.1 का हवाला दिया है. नियम के अनुसार ये अनुच्छेद तब लागू होता है जब राजनयिकों की संख्या को लेकर दो देशों के बीच कोई खास समझौता नहीं होता. यदि किसी देश के राजनयिकों की संख्या दूसरे देश में अधिक हो तो संबंधित देश राजनयिक कम करने को कह सकता है. इसका इस्तेमाल पहले भी कई मौकों पर दूसरे देशों ने किया है.

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