सामने मौत दी, लेकिन दिल में जोश और देशभक्ति का ऐसा जज्बा था कि रणभूमि में जाने से पहले मां-बाप को आखिरी खत लिखा, फिर देश को दुश्मनों से बचाने के लिए उनके के खेमे में घुस गए, गोलियां की बौछारें हो रही थीं, लेकिन कदम नहीं डममगाए. श्रीनगर को दुश्मनों से बचाकर आखिरी सांस ली. ये कहानी उन जवान की है जिसे देश का पहला परमवीर चक्र मरणोपरांत दिया गया।. मेजर सोमनाथ शर्मा ने अपनी भारत भूमि से दुश्मनों को खदेड़ते हुए देश के लिए बलिदान दिया. n नापाक इरादों से भारतीय सीमा में घुसे दुश्मन n31 जनवरी 1923 को जन्मे और 25 साल की उम्र में 3 नवंबर 1947 को देश के लिए बलिदान दिया. उनके पिता मेजर अमर नाथ शर्मा थे, भाई लेफ्टिनेंट जनरल सुरिंदर नाथ शर्मा और बहन मेजर कमला तिवारी थीं. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के निवासी सोमनाथ 22 फरवरी 1942 को आर्मी की 8वीं बटालियन, 19वीं हैदराबाद रेजिमेंट (चौथी बटालियन, कुमाऊं रेजिमेंट) में भर्ती हुए थे. उन्होंने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में श्रीनगर में कब्जा नहीं होने दिया था और करीब 700 दुश्मन नापाक इरादों से भारतीय सीमा में घुसे थे, लेकिन भारत मां के 50 बहादुर बेटों ने दुश्मन को मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया. nnMajor Som Nath Sharma (PVC, Posthumous)Major Somnath Sharma, an Indian Army officer, was the first recipient of Param Vir Chakra (PVC), India’s highest military decoration. He was son of Major General Amarnath Sharma, born on 31 January 1923, in Himachal Pradesh District… pic.twitter.com/lqq7HM4g2on— Indian Army: Heroes (@IndianArmyHero) January 25, 2024nnnnजाने से पहले लिखा आखिरी लेटर nमेजर सोमनाथ को पता था कि कभी भी रणभूमि में जाना पड़ सकता है, इसलिए उन्होंने परिवार और दोस्तों लिए एक लेटर लिखते और कहते कि जब भी मौत आ जाए तो लेटर घर पोस्ट कर देना. ऐसा ही एक लेटर उन्होंने जाने से पहले अपने माता-पिता के लिए लिखा कि मैं फर्ज निभा रहा हूं, मौत का डर भी है, लेकिन जब गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया उपदेश याद करता हूं तो डर खत्म हो जाता है, आत्मा अमर है तो क्या फर्क पड़ता है, अगर नश्वर शरीर मिट जाए। आपको डरा नहीं रहा, लेकिन मर गया तो बहादुर सिपाही की मौत मरुंगा. आपका सिर झुकने नहीं दूंगा. भारत मां के लिए बलिदान होऊंगा, इससे ज्यादा खुशकिस्मती और क्या होगी?nभारत-पाक युद्ध चल रहा था। n3 नवंबर 1947 को मेजर सोमनाथ शर्मा की कंपनी को कश्मीर घाटी के बडगाम गांव में गश्त पर जाने के आदेश मिले. हॉकी मैच में चोट लगने से बाएं हाथ में प्लास्टर था, लेकिन वे मिशन पर गए. बडगाम के रास्ते दुश्मन घुसपैठ कर रहे थे, 2 टुकड़ियां मेजर सोमनाथ की कंपनी ए-ऑफ-4 कुमाउं और दूसरी कैप्टन रोनाल्ड वुड की डी-ऑफ-1 पैरा कुमाउं थी. 700 से ज्यादा दुश्मनों ने हमला किया, एक मोर्टार शेल में विस्फोट हुआ और वे घायल हो गए. मरने से पहले हेडक्वॉर्टर संदेश भेजा कि दुश्मन 50 यार्ड दूर है. चारों ओर से गोलियां चल रहीं, लेकिन एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। करीब 6 घंटे साथियों को कवर देते हुए और रि-एन्फोर्समेंट पहुंचते ही दम तोड़ दिया.



