19 अप्रैल से 01 जून के बीच कुल 7 चरणों में देश की 543 सीटों पर मतदान किए जाएंगे, जिसके परिणाम 4 जून को सामने आएंगे. लोकसभा चुनाव 2024 में 102 सीटों की पहले फेज की वोटिंग पूरी हो चुकी है, जिसके बाद अब कल दूसरे फेज की वोटिंग होनी है. n26 अप्रैल को जब देश में लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के चुनाव हो रहे थे. तभी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव और EVM को लेकर एक अहम फैसला लिया और EVM की मदद से डाले गए वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ क्रॉस-वैरिफिकेशन की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर कहा कि सिस्टम के किसी भी पहलू पर ‘आंख बंद करके अविश्वास’ करने से गलत संदेह पैदा हो सकता है. nवैरिफिकेशन की मांग हुई खारिज nलंबे समय से इस मुद्दे पर हो रही बहस और कई पार्टियों में मतभेद सामने आ रहे थे, जिस वजह से वैरिफिकेशन की ये मांग खारिज कर दी. जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने दो सहमति वाले फैसले सुनाए और मामले में सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. इन याचिकाओं में बैलेट पेपर पर वापस जाने की मांग करने वाली याचिकाएं भी शामिल थीं. nचुनाव आयोग को दिया निर्देश nसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘लोकतंत्र का मतलब सभी संस्थानों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाने का प्रयास करना है’. इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि चुनाव चिह्नों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में लोड करने के बाद 45 दिनों के लिए स्ट्रांग रूम में लोड करने के लिए इस्तेमाल की गई यूनिट्स को सील करके स्टोर किया जाए. nEVM कंपनियों के लिए निर्देश nसुप्रीम कोर्ट ने EVM बनाने वाली कंपनियों के इंजीनियरों को दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के अनुरोध पर परिणामों की घोषणा के बाद मशीनों के माइक्रोकंट्रोलर को वैरीफाई करने की भी अनुमति दी. अगर वैरीफिकेशन के दौरान ईवीएम में छेड़छाड़ पाई जाती है, तो उम्मीदवारों द्वारा भुगतान की गई फीस वापस कर दी जाएगी. nEVM में 3 यूनिट्स nएक EVM में 3 यूनिट्स होती हैं – बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट. तीनों में माइक्रोकंट्रोलर लगे होते हैं, जिनमें मैन्युफैक्चर की तरफ से इंस्टॉल की गई बर्न मेमोरी होती है. वर्तमान समय चुनाव आयोग हर विधानसभा क्षेत्र में 5 मतदान केंद्रों पर EVM के साथ वीवीपैट पर्चियों का रैंडम मैंचिंग करता है. जस्टिस दत्ता ने कहा, ‘सिस्टम या संस्थाओं के मूल्यांकन में संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन व्यवस्था के किसी भी पहलू पर आंख बंदकर अविश्वास करना अनुचित संदेह पैदा कर सकता है.’ nक्या है पूरा मामला? n24 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह ‘चुनावों को नियंत्रित’ नहीं कर सकती या सिर्फ इसलिए निर्देश जारी नहीं कर सकती क्योंकि EVM की प्रभावशीलता पर संदेह जताया गया है. याचिकाओं में दावा किया गया था कि मतदान उपकरणों के साथ छेड़छाड़ करके नतीजों में हेरफेर किया जा सकता है. याचिकाकर्ताओं में से एक एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने वीवीपीएटी मशीनों पर पारदर्शी ग्लास को अपारदर्शी ग्लास से बदलने के चुनाव पैनल के 2017 के फैसले को पलटने की मांग की थी. इसके जरिये से मतदाता सिर्फ सात सेकंड के लिए लाइट चालू होने पर ही पर्ची देख सकता है.



