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'नहीं वापस लूंगा पद्मश्री..', WFI की मान्यता खत्म होने पर पूनिया

भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की मान्यता रद्द होने बाद बजरंग पूनिया का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि, जब तक न्याय नहीं मिल जाता, वो पद्मश्री पुरस्कार वापस नहीं लेंगे. दरअसल, संजय सिंह के कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनने के बाद बृजभूषण सिंह के खिलाफ आंदोलन करने वाले पहलवानों ने विरोध दर्ज कराया था. उनका कहना था कि, संजय सिंह और बृजभूषण सिंह करीबी हैं. ऐसे में अब भी बृजभूषण सिंह का ही दबदबा रहेगा. जिसके बाद साक्षी मलिक ने कुश्ती से सन्यास का ऐलान कर दिया था. साथ ही बजरंग पूनिया अपना पद्मश्री अवॉर्ड पीएम आवास के बाहर फुटपाथ पर रख आए थे. nबजरंग पूनिया ने कहा, ”मैं पद्मश्री वापस नहीं लूंगा. न्याय मिलने के बाद ही मैं इसके बारे में सोचूंगा.” उन्होंने कहा, ”कोई भी पुरस्कार हमारी बहनों के सम्मान से बड़ा नहीं है… हमें सबसे पहले न्याय मिलना चाहिए.” nबजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री के नाम लिखा था पत्रnइससे पहले टोक्यों ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने अपने X हैंडल से एक बयान जारी कर कहा था, ‘‘मैं अपना पद्श्री सम्मान प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं. कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है. यही मेरा बयान है.” पूनिया ने पत्र में बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ किए गए पहलवानों के विरोध प्रदर्शन से लेकर संजय सिंह के चुनाव जीतने तक और एक मंत्री से मिले आश्वासन के बारे में बताया था और अंत में पद्श्री लौटाने की बात कही थी.nसाक्षी मलिक कर चुकी हैं कुश्ती त्यागने की घोषणाnइससे पहले गुरुवार (21 दिसंबर) को पहलवान साक्षी मलिक ने बृजभूषण के करीबी संजय सिंह के चुने जाने पर विरोध दर्ज कराते हुए मीडिया के सामने कुश्ती त्यागने की घोषणा की थी. साक्षी मलिक और कई महिला पहलवानों ने सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया है. बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई दिनों तक धरना दिया था.nक्यों रद्द हुई भारतीय कुश्ती महासंघ की मान्यता?nबता दें कि, खेल मंत्रालय ने रविवार को डब्ल्यूएफआई को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया. मंत्रालय ने कहा कि नवनिर्वाचित संस्था ने पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया और अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की ‘जल्दबाजी में घोषणा’ कर दी. इसी के साथ मंत्रालय ने कहा कि नई संस्था ‘पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण’ में काम कर रही थी जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है. डब्ल्यूएफआई के चुनाव 21 दिसंबर को हुए थे जिसमें बृजभूषण के विश्वासपात्र संजय सिंह और उनके पैनल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी.

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