पाकिस्तान गजब है, जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं होता, वो वहां होता है. पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है, पीएम पर भ्रष्टाचार के इल्जाम लगते हैं, उन्हें जेल होती है, या फिर उनकी हत्या कर दी जाती है. तो कभी नवाज़ शरीफ जैसे नेता, जो भ्रष्टाचार के मामले में देश छोड़कर भाग चुके थे, वो वापस लौटकर प्रधानमंत्री पद की दावेदार हो जाते हैं और इमरान खान जेल पहुंच जाते हैं. अब इसी पाकिस्तान से एक और अजीब मामला सामने आया है. अक्सर हमने देखा है कि, आरोपित की मौत के बाद उसपर चल रहा मुकदमा बंद हो जाता है, लेकिन पाकिस्तान में ऐसा नहीं है.nदरअसल, पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा पर सुनवाई भी की और उस सजा को बरकरार भी रखा. लेकिन, हैरानी वाली बात ये है कि, मुशर्रफ पिछले साल ही दुनिया छोड़कर जा चुके हैं. आरोप लगाए जाने के समय भी वो पाकिस्तान में नहीं थे, वो 2016 से दुबई में रह रहे थे और वहीं 5 फ़रवरी 2023 को उनका इंतकाल हो गया. लेकिन, पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में उनकी सजा पर बहस चलती रही. क्या केस था वो भी समझिए..nबता दें कि, पाकिस्तान में जब पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज पार्टी की सरकार थी…तब नवंबर 2007 में मुशर्रफ का आपातकाल घोषित करने का फैसला था. लेकिन, उनके इस फैसले को असंवैधानिक माना गया. उनके खिलाफ ‘उच्च राजद्रोह’ का एक मामला दर्ज किया गया था. इसी मामले में 17 दिसंबर, 2019 को एक विशेष अदालत ने फैसला सुनाया था कि, मुशर्रफ को मौत की सजा दी जानी चाहिए. हालांकि, पाकिस्तान मुशर्रफ को वापस तो नहीं ला सका. लेकिन, लाहौर HC के फैसले को पाकिस्तान बार काउंसिल और तौफीक आसिफ सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने चुनौती दे दी थी.nअब मुशर्रफ की मौत के एक साल बाद अदालत ने उन्हें मिली मौत की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि, अपील आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करती है और परिणामस्वरूप, मौत की सज़ा बरकरार रहेगी. लेकिन, अब सजा मिलेगी किसको, मुशर्रफ तो जा चुके. ये पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट भी नहीं बता सका.