पटना – इन दिनों दिल्ली से लेकर पटना तक राजनीतिक गलियारों में बिहार की राजनीति की चर्चा हो रही है। खासकर बिहार की राजनीति में उथल-पुथल अपने चरम पर है। जिस ‘India’ गठबंधन को विपक्ष की एकता की मिसाल बताया जा रहा था, उसी के एक प्रमुख चेहरे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अब उससे नाराज़ बताए जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि नीतीश कुमार एक बार फिर अपने पुराने साथी BJP के साथ जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ, तो ये न सिर्फ बिहार की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर होगा, बल्कि लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले विपक्षी एकता को भी गहरी चोट लग सकती है।
बिहार की राजनीति पर चिराग पासवान का दावा
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने इस संभावित सियासी बदलाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “हम पहले ही कह चुके थे कि खरमास के बाद बिहार की राजनीति में शुभ दिन आएंगे और बड़ा राजनीतिक बदलाव होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटें NDA जीत सकता है।”
#WATCH | On Bihar political situation, Lok Janshakti Party (Ram Vilas) president Chirag Paswan says, “There is definitely some stir in Bihar..We are keeping an eye on the situation…Even today, NDA can win all 40 seats in Bihar. I think in a matter of some time the picture will… pic.twitter.com/AmPgwleHn6
— ANI (@ANI) January 26, 2024
चिराग के इस बयान के बाद से चर्चाओं को और बल मिल गया है कि नीतीश कुमार जल्द ही ‘इंडिया’ गठबंधन से अलग होकर एनडीए में वापसी कर सकते हैं।
बिहार की राजनीति पर अमित शाह की नजर
बिहार की सियासत में आ रहे इस संभावित भूचाल को देखते हुए BJP के बड़े नेताओं की गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। खबर है कि बिहार BJP के कई बड़े नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद इस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। माना जा रहा है कि अगर नीतीश कुमार NDA में वापसी करते हैं तो उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी पड़ सकती है, क्योंकि गठबंधन के नए समीकरण के तहत सरकार का पुनर्गठन होना तय है।
India गठबंधन को लग सकता है झटका
नीतीश कुमार की ‘India’ गठबंधन से नाराजगी कोई नई बात नहीं है। बीते कुछ महीनों से वे लगातार कई बैठकों से दूरी बनाते नजर आए हैं। इससे पहले भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने भी गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े किए थे। ऐसे में अगर नीतीश कुमार भी गठबंधन से अलग हो जाते हैं, तो ये विपक्ष के लिए बड़ा झटका होगा। लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन में दरार पड़ना BJP के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
JDU की ओर से अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं
बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर अभी तक जनता दल यूनाइटेड (JDU) की ओर से कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। पार्टी के किसी भी वरिष्ठ नेता ने ये साफ नहीं किया है कि नीतीश कुमार NDA में शामिल होंगे या नहीं। हालांकि सूत्रों की मानें तो पार्टी के अंदरखाने में हलचल तेज है और लगातार दिल्ली-पटना के बीच बातचीत का दौर जारी है।
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JDU-RJD: साथ आने और बिछड़ने की राजनीति
JDU और RJD की राजनीतिक रिश्ते हमेशा से अस्थिर रहे हैं। साल 2015 में जब दोनों दलों ने महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था, तब उन्होंने BJP को करारी शिकस्त दी थी। उस चुनाव में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और लालू यादव की पार्टी RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। लेकिन ये साथ ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाया।
1. 2015 महागठबंधन
RJD, JDU और कांग्रेस ने मिलकर BJP को हराने के लिए महागठबंधन बनाया। चुनाव में बंपर जीत मिली और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। लेकिन 2017 में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते नीतीश ने इस्तीफा दे दिया और कुछ ही घंटों में BJP के समर्थन से दोबारा सीएम पद की शपथ ली। यहीं पहली बार नीतीश-लालू की जोड़ी टूटी।
2. 2022 में फिर से गठबंधन
2020 के विधानसभा चुनाव के बाद JDU की स्थिति कमजोर हुई और BJP के साथ रिश्तों में दरार आने लगी। 2022 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर NDA से नाता तोड़कर RJD के साथ हाथ मिला लिया और महागठबंधन की सरकार बनाई। उन्होंने BJP पर जासूसी कराने और पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाया।
3. 2024 से पहले फिर टूट की आशंका
अब एक बार फिर खबरें हैं कि नीतीश कुमार महागठबंधन से नाखुश हैं। सूत्रों के अनुसार वे RJD से तालमेल में असंतुष्ट हैं और प्रशासनिक फैसलों में दखल से भी परेशान हैं। यही कारण है कि वे फिर NDA की ओर लौट सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो ये तीसरी बार होगा जब ये गठबंधन टूटेगा।
क्यों बार-बार बदलते हैं नीतीश कुमार पक्ष?
नीतीश कुमार को ‘पलटी मार नेता’ कहने वालों की कमी नहीं है। लेकिन उनके समर्थक इसे ‘राजनीतिक चतुराई’ मानते हैं। नीतीश हमेशा उस पक्ष में खड़े होते हैं जहाँ से उन्हें स्थायित्व और सत्ता की गारंटी मिले। उनकी राजनीति हमेशा सत्ता के केंद्र के करीब रही है, चाहे वो कांग्रेस का समर्थन रहा हो, BJP के साथ गठबंधन हो, या फिर महागठबंधन।
क्या कहती है जनता?
बिहार की जनता इस राजनीतिक खेल से कुछ हद तक भ्रमित जरूर है लेकिन उन्हें नीतीश कुमार के यू-टर्न की आदत हो चुकी है। सोशल मीडिया पर लोग मीम्स और चुटकुलों के जरिए इस सियासी उठापटक पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वहीं, कुछ लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या इस बार का पलटी उनके लिए आखिरी साबित होगी?
बिहार की राजनीति में आगे क्या?
नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। अगर वे NDA में लौटते हैं तो ये लोकसभा चुनाव 2024 में बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है। वहीं, अगर वे ‘India’ गठबंधन में बने रहते हैं, तो विपक्ष को एक बड़ा राहत मिल सकती है। लेकिन मौजूदा हालात और संकेत बता रहे हैं कि बिहार की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है।
बिहार की राजनीति फिलहाल अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। नीतीश कुमार का भविष्य का फैसला न सिर्फ राज्य की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा भी तय कर सकता है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि वे किस ओर रुख करते हैं—NDA की ओर या फिर इंडिया गठबंधन में बने रहते हैं।



