टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप लगे हैं. ये आरोप लगाए हैं, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने. निशिकांत दुबे ने कहा था कि, महुआ मोइत्रा ने एक बिजनेसमैन के कहने पर पैसे लेकर अडानी के खिलाफ सवाल पूछे थे. ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि, आखिर संसद में सवाल किस प्रक्रिया के तहत पूछे जाते हैं? तो आइए जानते हैं इन्हीं सवालों के जवाब.nलोकसभा की कार्यवाही जब शुरू होती है पहला घंटा और राज्यसभा में दोपहर 12 बजे के बाद सवाल पूछने के लिए समय नियत किया गया है. इस समय को प्रश्नकाल के नाम से जाना जाता है, इन सवालों के जरिए जनप्रतिनिधि अपने इलाकों के बारे में सरकार तक बात पहुंचाते है. या राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भी सवाल पूछा जाता है, जिस मंत्रालय से सवाल जुड़ा होता है उस विभाग का मंत्री जवाब देता है, कभी कभी जब कोई सवाल गंभीर प्रकृति का होता है उसके लिए अनुसंधान की जरूरत भी पड़ जाती है.nसवालों की अलग अलग श्रेणियां निर्धारित की गई हैं. किसी सदस्य के सवाल को मौखिक जवाब की श्रेणी में रखा जाता है, ऐसी सूरत में संसद सदस्य अपने सवाल की बारी आने का इंतजार करते हैं और सवाल पूछते हैं, सवाल के जवाब में संबंधित मंत्री जवाब देता है. अगर संसद सदस्य जवाब से संतुष्ट नहीं है तो वो दो सप्लीमेंट्री या अनुपूरक सवाल पूछ सकता है. अगर उसी सवाल से किसी और सदस्य का सवाल है तो वो भी एक सप्लीमेंट्री सवाल कर सकता है. प्रश्न काल के अंत में अल्प सूचना वाले प्रश्नों को भी लिया जाता है और उसी तरह से उत्तर दिए जाते हैं.nसवाल करने के बारे में लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 32 से 54 तक दर्ज हैं. सवाल पूछने के लिए सांसद पहले लोकसभा के महासचिव को एक नोटिस देता है जिसमें सवाल का जिक्र होता है. नोटिस में मंत्रालय और ऑफिसियल पदनाम के साथ साथ उस तारीख का जिक्र होता है जिस दिन जवाब मंत्री को देना होता है. संसद सदस्य एक दिन में एक से अधिक सवालों के संबंध में नोटिस भेज सकता है. हालांकि मौखिक और लिखित जवाब के लिए कुल पांच से अधिक नोटिफिकेशन की अनुमति नहीं है. इन सबके बीच किसी प्रश्न की सूचना अवधि 15 दिन से कम नहीं होती है.nक्या संसद सदस्य सभी तरह के सवाल पूछ सकते हैं तो इसका जवाब यह है कि नहीं. संसद सदस्य कोई ऐसा सवाल नहीं कर सकता जिसके किसी का चरित्र हनन होता है, आचरण से जुड़ा सवाल नहीं कर सकते. या ऐसे सवाल जो पहले किए जा चुके हों और उसे दोबारा पूछा जा रहा तो उन सवालों की भी अनुमति नहीं है. इसके अलावा अगर कोई मामला कोर्ट या किसी संसदीय समिति के विचारधीन हो तो उसे भी पूछने की इजाजत नहीं है, इसके साथ ही किसी मित्र देश के संबंध में मानहानि करने वाले सवालों को नहीं पूछा जा सकता.