राज्यसभा चुनाव में 27 फरवरी को जमकर क्रॉस वोटिंग देखने को मिली. उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की, आठवें उम्मीदवार की जीत सपा विधायकों के क्रॉस वोटिंग की वजह से हुई. ऐसा ही हिमाचल प्रदेश में भी देखने को मिला, जहां 25 विधायकों के बावजूद बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को हराने में कामयाब रहे, दोनों को 34-34 मत मिले, जिसके बाद विजेता का फैसला ड्रॉ के जरिए किया गया. nहर्ष के पक्ष में 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, इसमें 6 कांग्रेस और 3 निर्दलीय विधायक शामिल हैं. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि भारत में क्रॉस वोटिंग सालों से हो रही है, इसकी वजह से ही दल-बदल विरोधी कानून पारित किए गए. कुरैशी ने कहा कि यह भारतीय राजनीति का काला और दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष है, अगर राजनीति में नैतिकता होती तो क्रॉस वोटिंग नहीं होती. nnhttps://twitter.com/erbmjha/status/1762507159269720542?t=TAWpG21_EKjQ1h4R5RTbVw&s=19nnhttps://twitter.com/ANI/status/1762668949760561170?t=WdgJZ2yZfyvEMT0sKqVLOw&s=19nnक्रॉस वोटिंग का मामला है पुराना nबता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग की वजह से नुकसान उठाना पड़ा है. अगस्त 2017 में, सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद सहयोगी अहमद पटेल को गुजरात में क्रॉस वोटिंग करने की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इसके बावजूद अहमद पटेल जीत हासिल करने में कामयाब रहे, क्योंकि चुनाव आयोग ने दोनों विधायकों के वोट को यह कहकर रद्द कर दिया कि उन्होंने अपना मतपत्र बीजेपी नेताओं को दिखाए थे. बाद में, कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 14 विधायकों को निष्कासित कर दिया था. nक्या करेगी हिमाचल प्रदेश की सरकारnहिमाचल प्रदेश में विधानसभा में बहुमत के बावजूद क्रॉस वोटिंग की वजह से कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के 6 विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में वोट किया, अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस 2017 की तरह इस बार भी विधायकों को निष्कासित करने का जोखिम उठा पाएगी या नहीं, क्योंकि विपक्ष मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है. n



