प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप गए तब से ही मालदीव पर संकट के बादल मडराने लगे. जबकि लक्षद्वीप दौरे के दौरान पीएम मोदी ने मालदीव का जिक्र तक नहीं किया था. इसके बावजूद भी मालद्वीव के दो मंत्री भड़क गए और पीएम मोदी के खिलाफ जहर उगल दिया. हालांकि, कुछ समय बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने मालदीव को जमकर घेरा और कई लोगों ने मालदीव जाने का प्लान कैंसिल कर दिया है. इसके बाद मालद्वीव की सरकार ने अपने दोनों मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया.nइन सबके बीच हम आपको मालदीव का एक ऐसा इतिहास बताएंगे, जिसे जानकर भी आप यकीन नहीं कर पाएंगे. अगर हम आपसे कहें कि मुस्लिम देश मालदीव कभी गुजरातियों और हिंदुओं का गढ़ था, तो क्या आप यकीन करेंगे? ये बात अविश्वसनीय है…लेकिन जब हम इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो पता चलेगा कि एक समय मालदीव पर हिंदू शासकों का शासन हुआ करता था.nभारतीय शासक मालदीव तक कैसे पहुंचे, इस बारे में अलग-अलग मत हैं. ज्यादातर स्कॉलर्स का मानना है कि चोल साम्राज्य से भी पहले वहां कलिंग राजा ब्रह्मदित्य का शासन था. ये 9वीं सदी की बात है. इसके बाद राजसी शादियों के जरिए वहां तक चोल वंश पहुंच गया. 11वीं सदी में मालदीप पर महाबर्णा अदितेय का शासन रहा, जिसके प्रमाण वहां आज भी शिलालेखों पर मिलते हैं. nइसी दौर में मालदीव तक बौद्ध धर्म भी पहुंच चुका था और अरब व्यापारियों के जरिए इस्लाम भी. इस द्वीप देश में लंबे समय से अरब व्यापारियों का आना-जाना था. शुरुआत में बात व्यापार तक रही, लेकिन धीरे-धीरे वे अपने धर्म का प्रचार करने लगे. हिंदू धर्म को मानने वाले तेजी से बौद्ध धर्म अपनाने लगे, लेकिन ज्यादातर ने इस्लाम अपना लिया. क्यों? इसकी वजह भी साफ नहीं है. 12वीं सदी में आखिरी बौद्ध शासक धोवेमी ने भी इस्लाम धर्म को अपना लिया. उनका नाम अब मुहम्मद इब्न अब्दुल्ला था. इसके बाद से लगभग पूरे देश का इस्लामीकरण हो गया. इस बात का जिक्र ‘नोट ऑन द अर्ली हिस्ट्री ऑफ मालदीव्स’ नाम की किताब में मिलता है. nहिंद महासागर में स्थित ये द्वीप देश अब 98 प्रतिशत मुस्लिम है. बाकी 2 प्रतिशत अन्य धर्म हैं, लेकिन उन्हें अपने धार्मिक प्रतीकों को मानने या पब्लिक में त्योहार मनाने की छूट नहीं. यहां तक कि अगर किसी को मालदीव की नागरिकता चाहिए तो उसे मुस्लिम, वो भी सुन्नी मुस्लिम होना पड़ता है. मिनिस्ट्री ऑफ इस्लामिक अफेयर्स (MIA) यहां धार्मिक मामलों पर नियंत्रण करती है. वैसे तो मालदीव पर्यटन का देश है, लेकिन टूरिस्ट को भी यहां अपने धर्म की प्रैक्टिस करने पर मनाही है. वे सार्वजनिक जगहों पर अपने पूजा-पाठ नहीं कर सकते.nयहां पर इस्लामिक कट्टरपंथ इतना तगड़ा है कि धर्म परिवर्तन की भी इजाजत नहीं. कोई भी मुस्लिम नागरिक अपनी मर्जी से दूसरा धर्म नहीं अपना सकता. मिनिस्ट्री ऑफ इस्लामिक अफेयर्स के तहत इसपर कड़ी सजा मिल सकती है. यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट यहां तक कहती है कि धर्म परिवर्तन पर शरिया कानून के तहत मौत की सजा भी मिलती है. अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की मानें तो वहां के एक शहर में इस्लामिक स्टेट का सेल भी है. मालदीव सीमा से अधिक चरमपंथी देश है…इस देश के लोग आतंकवादियों के प्रति नरम रुख रहे हैं…लेकिन, भारत से पंगा लेकर उन्होंने अपनी मुसीबत बुला ली है…अब मालदीव की अक्ल ठिकाने आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.