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कश्मीर में आतंक का खात्मा, इस साल इतने आतंकी भेजे गए जहन्नुम!

जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना ने ऐसा भौकाल टाइट किया है कि, आतंकी अब घुसपैठ के नाम से भी थर्राएंगे. इस साल जम्मू-कश्मीर में इतने आतंकियों की क्रब खोदी गई…सुनकर आपको भी यकीन नहीं होगा. घाटी के चप्पे-चप्पे पर अब सेना का पहरा है. जो आतंकियों को देखते ही…जन्नत का टिकट काट देते है. इस साल दस-बीस-तीस नहीं…पूरे 76 आतंकियों को 72 हूरों के पास भेज दिया गया है.nये जानकारी जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने दी है. उन्होंने बताया कि, ‘2023 में कुल 42 ऑपरेशन हुए. जिनमें 76 आतंकी मारे गए हैं. इन 76 में से 55 पाकिस्तानी थे. साथ ही, आतंकवादियों के लिए काम करने वाले 291 ओवरग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार किया गया. जबकि, 89 आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया.’ nइतना ही नहीं. धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर के युवा भी अब मुख्य धारा से जुड़ने लगे हैं. वो भी अब पाकिस्तान के षड्यंत्र को समझ चुके हैं. इसी का नतीजा है कि, अब घाटी के युवा आतंकवाद से किनारा कर लिया है. आरआर स्वैन ने बताया कि, ‘हम एक बहुत ही ऐतिहासिक दौर से गुजर रहे हैं. आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में काफी कमी आई है. साल 2022 में 113 युवा आतंकवादी रैंकों में शामिल हुए थे. वहीं, ये संख्या अब घटकर 22 रह गई है.’ ये केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. nवहीं, अब घाटी में अब सेना का विरोध करने वाले अलगावदियों को मुंह पर भी ताला जड़ चुका है. उनकी एक जरा सी हरतक पर सेना उनकी कमर तोड़ देती है. 2023 में अलगाववादियों और आतंकवादियों की 170 करोड़ रुपये की कुल 99 संपत्तियां कुर्क की गईं और बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए. साथ ही 10.29 करोड़ की ड्रग मनी जब्त की गई. लेकिन, धारा 370 हटने से पहले ऐसा नहीं था. तब सेना के एक्शन पर अलगावदियों का झुंड विरोध प्रदर्शन पर उतर जाता था. लेकिन, इस साल…अलगाववादियों ने कोई ‘हड़ताल’ नहीं बुलाई है. क्योंकि, वो जानते हैं कि…जरा सी ऊंच-नीच…वो उनकी संपत्ति जब्त हो जाएगी. nइसके अलावा आरआर स्वैन ने बताया कि, ‘घाटी में 8,000 फर्जी फेसबुक अकाउंट थे. जिन्हें पाकिस्तान से चलाया जा रहा था. उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है. साथ ही लोगों ने सीमा पार से आई कॉलों का जवाब देना बंद कर दिया है. क्योंकि आम आदमी शांति और व्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है. हालांकि, आंकड़े वास्तविक तस्वीर को रेखांकित नहीं करते हैं, लेकिन ये जमीनी स्थिति के बारे में कुछ मोटा अंदाजा जरूर देते हैं.’

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