अपना देश बदल रहा है. अपना कश्मीर बदल रहा है. जिस कश्मीर में भीड़ हुड़दंग और पत्थरबाजी के लिए जुटती थी. उन्हीं वादियों में जुटी भीड़ अब शांति-अमन का पैगान देती है. जो लाल चौक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजता था. वहां अब कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी कश्मीरी और देशवासियों ने कभी कल्पना तक नहीं की थी. nदरअसल, 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था. कश्मीर के लाल चौक पर झंडा फहराना भी चुनौती बन गई थी. पीएम मोदी जब 1992 में लाल चौक पर तिरंगा फहराने पहुंचे, तो खूब बवाल हुआ था. उन्हें आतंकियों ने जान से मारने तक की धमकी दी. लेकिन, मोदी जो कहते हैं करके दिखाते हैं. उन्होंने प्रधामंत्री बनते ही घाटी की सूरत बदल दी…धारा 370 को हटा दिया…अब लाल चौक सैलानियों का अड्डा बन गया है…nलाल चौक पर ऐसा ही कुछ नए साल पर भी देखने को मिला…जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार श्रीनगर के एतिहासिक लाल चौक पर नए साल का जश्न मनाया गया. पहली बार कश्मीर के लोगों ने खुलकर नए साल का जश्न मनाया. नए साल के जश्न में हिस्सा लेने के लिए यहां सैकड़ों लोग घंटाघर पर एकत्र हुए. इसे देखकर आप यही कहेंगे कि, ये बदलते कश्मीर की बदलती तस्वीर है. 31 दिसंबर की रात…घाटी के लोग बॉलीवुड के गानों पर थिरक रहे थे. लाल चौक पर 2023 की आखिरी शाम से जश्न का दौर शुरू हुआ और रात 12 बजे के बाद तक चलता रहा. कश्मीर घाटी में घूमने आए पर्यटक, क्लॉक टावर इलाके में जश्न मनते देखकर हैरान रह गए. nबता दें कि, जम्मू कश्मीर में इस समय में जबरदस्त सर्दी देखने को मिल रही है. शून्य से नीचे तापमान के बावजूद नए साल की पूर्व संध्या पर सैकड़ों स्थानीय लोग और पर्यटक श्रीनगर के लाल चौक में घंटा घर पहुंचे. 2019 से पहले लाल चौक पर होने वाली सभाएं ज्यादातर विरोध प्रदर्शन या अलगाववादी घटनाओं से जुड़ी होती थीं, लेकिन रविवार का माहौल सबसे अलग और नया था.nn