जिस पावन धरा की मिट्टी में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र ने जन्म लिया, उस अयोध्या की मिट्टी के दर्शन करने निरंतर श्रद्धालु आ रहे हैं, जिस रामनगरी पर 500 वर्षों के इंतजार के बाद रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है. 22 जनवरी को अब उसी धरा की पावन मिट्टी से एक बार फिर ‘राम ज्योति’ न केवल अयोध्या, बल्कि देश-दुनिया में प्रज्ज्वलित होगी. फिलहाल रामलला व हनुमानगढ़ी के दर्शन करने आए श्रद्धालु यहां के कुम्हारों से दीप खरीदकर ले जा रहे हैं, जिसे 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के उपरांत शाम को अपने घरों पर ‘राम ज्योति’ जलाकर दीपावली मनाएंगे. nरात-दिन काम पर रहे कुम्हारn22 जनवरी में महज कुछ ही दिन शेष हैं. जैसिनपुर के कुम्हारों के पसीने अब दीपक के रूप में आकार ले रहे हैं. उन्हें इस बात की खुशी है कि घर-घर में उनके बनाए दीपों से राम ज्योति प्रज्ज्वलित होगी. दीप बनाने वाले कुम्हार अशोक प्रजापति बताते हैं कि देहात के दर्शननगर, किशुनदासपुर, बैसिंग, कुसमाहा से मिट्टी मंगाई जा रही है, क्योंकि मौसम प्रतिकूल और समय कम है. nnयोगी सरकार के कारण संभव हुआ दीपोत्सव nयोगी आदित्यनाथ ने जब 2017 में सत्ता संभाली, तभी से वे निरंतर दीपोत्सव का आयोजन करा रहे हैं. सीएम योगी भी कहते हैं कि अब अयोध्या की गलियों में गोली नहीं चलती, बल्कि दीपोत्सव होता है. 2017 में 1.71 लाख दीपों से शुरू हुआ दीपोत्सव महज सात वर्षों में 22.23 लाख दीपों तक पहुंच गया. उनकी मंशा के अनुरूप पर्यटन विभाग भी स्थानीय कुम्हारों के बनाए गए मिट्टी के 10 लाख दीपों से 22 जनवरी को रामनगरी को सजाने की तैयारी में जुट गया है. nक्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव ने कहा कि 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के उपरांत रामनगरी को लगभग 10 लाख दीपों से सजाया जाएगा. राम की पैड़ी, अयोध्या के मठ-मंदिर, प्रमुख चौराहों व सार्वजनिक स्थलों पर दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे. इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर दीपोत्सव में भी स्थानीय कुम्हारों से दीप खरीदकर प्रज्ज्वलित कराते हैं और इस बार भी स्थानीय कुम्हारों से ही दीपक खरीदे जा रहे हैं.



