बीते दिन 26 फरवरी को हिंदुस्तान की सबसे मखमली आवाज, जिन्होंने गजल की दुनिया में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई वो हमेशा के लिए हमसे दूर चले गए. पंकज उधास के निधन की खबर से आज हर कोई दुखी है, लोगों की आंखें नम हो गईं और बॉलीवुड से एक मशहूर गायक हमेशा के लिए अलविदा कह दिया हे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पंकज उधास को गायकी और गजल का चस्का कहां से औक कब लगा था? n80 का दशक रहा बेहद खास n80 के दशक में पंकज उधास ने ‘एक तरफ उसका घर एक तरफ मयकदा’, ‘हुई महंगी बहुत ही शराब’ और ‘शराब चीज ही ऐसी है’ जैसी गजलों को गाकर बेशुमार शोहरत हासिल कर अपनी एक अलग पहचान बनाई. ‘चिठ्ठी आई है’ से उन्होंने वो पॉपुलैरिटी हासिल की, जो आज तक कायम है. 18 साल पहले ही गजल गायकी में अपनी सिल्वर जुबली मना चुके पंकज उधास को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा है. nnnnnnnnnnnnnView this post on InstagramnnA post shared by Pankaj Udhas (@pankajkudhas)nnnnnn6-7 साल की उम्र में किया गाना शुरूnगुजरात के राजकोट के छोटे से गांव चरखड़ी में एक जमींदार परिवार में जन्में पंकज उधास राजा-महाराजा के परिवार में संगीतकारों और कलाकारों को बुलाकर उनसे कार्यक्रम करवाया जाता था और वहीं से उधास परिवार ने संगीत को ही अपना पेशा बना लिया. पिता से ही पकंज के बड़े भाई मनहर और उनके छोटे भाई निर्मल उधास की संगीत की दिलचस्पी जागी. 6-7 साल की उम्र से ही उन्होंने भी गाना शुरू कर दिया. nस्कूल स्टेज से की शुरुआतnnnnnnnnnnnnnView this post on InstagramnnA post shared by Hungama Music (@hungamamusic)nnnnnnस्कूल स्टेज पर प्रार्थनाओं और भजन गायकी का सिलसिला यहीं से शुरू हो गया. बड़े भाई मनहर उदास इंजीनियरिंग छोड़कर गायकी की दुनिया में आए तो पंकज उधास ने भी बाकायदा गायकी की ट्रेनिंग शुरू कर दी. साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के वक्त लता मंगेशकर का गाया गाना- ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ का असर पूरी देश में था. साल 1970 में पंकज उधास ने धर्मेंद्र की फिल्म ‘तुम हसीं मैं जवां’ के गाने ‘मुन्ने की अम्मा ये बता’ में किशोर कुमार के साथ गाने का एक हिस्सा गाया nपहला एल्बम हुआ रिलीजnसाल 1980 में पंकज उधास का पहला एल्बम ‘आहट’ रिलीज हुआ, जो बेहद कामयाब रहा। इसके बाद 1982 में दूसरा एल्बम ‘तरन्नुम’ और साल 1983 में तीसरा एल्बम ‘महफिल’ रिलीज हुआ, लेकिन असल कामयाबी उन्हें 1985 में नायाब और 1986 में आफरीन से मिली। ये एल्बम इतना कामयाब हुआ. उनकी गजलों ने खूब शोहरत हासिल की और पंकज उधास की गजलें पूरे हिंदुस्तान में धूम मचाने लगीं.



