उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने एक और मामले में गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाते हुए दो लाख, दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. nक्या था मामला? nसाल 1987 में मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर के डीएम के पास बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. जिसके बाद उन पर ये आरोप लगा कि उन्होंने डीएम और एसपी के फर्जी साइन से लाइसेंस लिया था. 4 दिसंबर, 1990 में CB CDI ने मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी समेत पांच नामजद और अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. जांच के बाद साल 1997 में मुख्तार अंसारी और तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल हुआ था, nलेकिन साल 2021 में गौरीशंकर श्रीवास्तव की मौत हो गई थी. इस मामले में विशेष न्यायाधीश (MP-MLA) अवनीश उपाध्याय की अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया है. मुख्तार अंसारी के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई है, जब पहली बार फर्जीवाड़ा और साजिश की धाराओं में सजा हुई है. nमुख्तार अंसारी को हुई सजा n420, 120b सात वर्ष की सजा और पचास हजार जुर्माना, 467,120b आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माना, 468, 120b सात साल की सजा और पचास हजार जुर्माना, 30 आर्म्स एक्ट के तहत छह माह की सजा और दो हजार जुर्माना, 427 (2) के तहत पूर्व सजा के साथ ये सजाएं भी साथ-साथ चलती रहेगी. n



