कभी ना भूलने वाला रचा था इतिहास, इसलिए जरूरी है BJP के लिए वाराणसी संसदीय क्षेत्र

लोकसभा चुनाव की तैयारियां  पूरी हो चुकी हैं, भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भी कर दिया है. 19 अप्रैल से 01 जून के बीच कुल सात चरणों में देश की 543 सीटों पर मतदान किए जाएंगे, जिसके परिणाम 4 जून को सामने आएंगे.   nPM Modi तीसरी बार वाराणसी से जीत के लिए कमर कस चुके हैं. उन्होंने यहां से साल 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की थी. वहीं अब वह यहां हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रहे हैं. 12 से 14 मई के बीच मोदी वाराणसी में नामांकन के लिए पहुंच सकते हैं, जिसके साथ वाराणसी में सातवें और आखिरी राउंड में होने वाली है यानी 1 जून को यहां पर वोटिंग होनी है. nकांग्रेस बनाम बीजेपी nसन् 1957 में वाराणसी सीट अस्तित्‍व में आई थी. तब से लेकर कम्‍युनिस्‍ट और कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा. 15 साल बाद यानी साल 2004 कांग्रेस को वाराणसी क्षेत्र में जीत मिली थी. वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें हैं. साल 1957 के बाद से कांग्रेस ने 6 बार और BJP ने 7 बार इस सीट पर जीत हासिल की है. nBJP का कभी ना भूलने वाला इतिहासnसाल 1991 में BJP सत्ता में आई और साल 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने यहां से चुनाव जीता और फिर से यह सीट BJP के खाते में आ गई. साल 2014 में जब पीएम मोदी ने यहां से चुनाव लड़ा था तब उनके सामने कांग्रेस के अजय राय और आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल थे. पीएम मोदी ने तब 3 लाख से ज्‍यादा वोटों से जीत हासिल कर एक अलग और कभी ना भूलने वाला इतिहास रचा था. वहीं साल 2019 में पीएम मोदी ने 4,79, 505 वोटों से जीत हासिल की. उन्‍हें कुल 6,74,664  वोट मिले थे.    

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