Delhi High Court ने 27 साल पहले मर्डर के मामले में सुनवाई करते हुए 2 आरोपियों को बरी करने के आदेश दिए हैं. दोनों आरोपी इतने लंबे समय जेल में अपना आधा जीवन बिता चुके हैं, जिसके बाद अब साक्ष्यों के अभाव में दोनों को बरी किया गया है. nआरोपी और पीड़िता एक साथ काम करते थे. आरोपियों के खिलाफ यह सबूत था कि उनको पीड़िता के साथ आखिरी बार देखा गया था. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा कि केवल आखिरी बार साथ देखे जाने पर ही दोषियों को कातिल साबित नहीं किया जा सकता है. nपुलिस की जांच पर उठे सवाल nमामले में उल्लेख किया गया था कि एक व्यक्ति ने आरोपियों को मृतक महिला के साथ आखिरी बार देखा था. हालांकि वह बाद में अपने बयानों से मुकर गया था. यह मामला साल 1997 का है, जिसमें विदेशी कुमार और राम नाथ के खिलाफ मर्डर करने का आरोप लगा था, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को रिहा करते हुए पुलिस जांच पर भी सवाल उठाए। nक्या है पूरा मामला? nप्यार में असफलता मिलने पर सुसाइड करने के मामले में भी एक महिला को जमानत देने के आदेश हाई कोर्ट ने दिए थे. न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने सुनवाई कर कहा कि प्रेम के मामले में असफल होने पर यदि कोई प्रेमी सुसाइड कर लेता है, तो महिला को उसे उकसाने का दोषी नहीं माना जा सकता. दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति के गलत फैसले के लिए किसी दूसरे को कैसे दोषी माना जा सकता है. nमरने के लिए उकसाया nHigh Court ने मामले में आरोपित एक महिला और पुरुष को मामले में अग्रिम जमानत दे दी. आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के पिता ने शिकायत दी थी. महिला उसके बेटे से प्यार करती थी. पुरुष दोनों को कॉमन मित्र था. आरोप है कि दोनों ने अपने बीच शारीरिक संबंध होने की बात कह युवक को मरने के लिए उकसाया था, जिसके बाद मृतक ने सुसाइड नोट लिखा, जिसमें दोनों के खिलाफ युवक ने आरोप लगाए थे.



