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राष्ट्रपति चुनाव के बाद मोहम्मद मोइज्जू के बदले सुर, बने चीनी प्रेमी, मिला कॉन्ट्रैक्ट‎

भारत के लोकसभा चुनाव 2024 और मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव खासे चर्चा का विषय बने हुए है. मालदीव में दोबारा हुए राष्ट्रपति चुनावों में मोहम्मद मोइज्जू ने 93 सीटों में से 68 सीटों से जीत दर्ज की है, nउन्होने अपने चीन के एजेंडे पर तेजी से काम करना शुरु कर दिया है लेकिन चीन का मुद्दा ही नहीं बल्कि मोइज्जू ने देश का संविधान बदलने का मन बना लिया है.  nचीनी कंपनियों को मिला ठेका nमालदीव में अभी राष्ट्रपति‎ के अधिकारों पर संसद का नियंत्रण‎ है. मुइज्जू राष्ट्रपति के आदेश को‎ मंजूरी के लिए संसद में तीन चौथाई‎ की जगह साधारण बहुमत का‎ प्रावधान करेंगे ताकि उन्हें भविष्य में कोई दिक्कत न हो सके. इसके अलावा वे 188 बसाहट वाले द्वीपों में से ‎30 नए द्वीपों में (जिसे लैंड‎रिक्लेमेशन कहा जाता है) कंस्ट्रक्शन के ठेके ‎चीनी कंपनियों को देंगे. यहां चीन की‎ कंपनियां पहले चरण में एक हजार ‎फ्लैट बनाएंगी.  nnnहो रहा नए द्वीपों का ‎निर्माणnमालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद नए द्वीपों पर ‎निर्माण के सख्त खिलाफ थे, क्योंकि ‎जलस्तर बढ़ने से मालदीववासी दुनिया के पहले‎ पर्यावरण शरणार्थी बन सकते हैं. उन्होंने भारत, श्रीलंका ‎या ऑस्ट्रेलिया में जमीन खरीदने की बात कही थी. हालांकि, मुइज्जू ने सत्ता में आने के बाद लैंड रिक्लेमेशन‎ को आगे बढ़ाया.  nकर्ज में डूबा मालदीव nबताया जा रहा है कि मालदीव अपने ऊपर के कर्ज को चुकाने के लिए तुर्किये और सऊदी ‎से इस्लामिक बॉन्ड लेगा जिसके जरिए 4200 करोड़ जुटाए जाएंगे. मालदीव पर 54,186 करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज है. वहीं वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 2026 तक मालदीव को लगभग 9‎ हजार करोड़ का विदेशी कर्ज चुकाना होगा.  nइससे पहले भी वो अपने देश में भारत के खिलाफ एक्शन ले चुके हैं जिसमें अब तो वे पूर्ण बहुमत के साथ जीत ही गए हैं जिससे मोइज्जू अब और सख्ती से भारत विरोधी रूख अपनाएंगे. 

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