राणा सांगा कौन थे ?, सपा ने लगाया बाबर को भारत लाने का आरोप?

Rana Sanga History VK News

Rana Sanga History : भारतीय राजनीति में इतिहास को लेकर आरोप-प्रत्यारोप आम बात हो गई है। हाल ही में Samajwadi Party (SP) ने BJP पर ये आरोप लगाया कि वो Rana Sanga को महान योद्धा बताकर असल इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है। SP का दावा है कि राणा सांगा ही वो शख्स थे जिन्होंने मुगलों को भारत में आमंत्रित किया था। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है।

कौन थे राणा सांगा?

राणा सांगा, यानी महाराणा संग्राम सिंह, मेवाड़ के शक्तिशाली शासक थे। उनका जन्म 1482 में हुआ था और वो राजपूत वंश के सिसोदिया परिवार से आते थे। उन्होंने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े, जिनमें मुख्य रूप से बाबर के खिलाफ खानवा का युद्ध (Battle of Khanwa) 1527 में हुआ

राणा सांगा को एक बहादुर योद्धा के रूप में जाना जाता है, जिनका शरीर कई युद्धों में घायल हो चुका था। कहा जाता है कि उनका एक हाथ कट चुका था, एक आंख चली गई थी और शरीर पर 80 से अधिक जख्म थे, लेकिन फिर भी वे युद्ध के मैदान में डटे रहते थे।

क्या सच में उन्होंने बाबर को भारत बुलाया?

इतिहासकारों के मुताबिक, राणा सांगा ने शुरू में अफगान शासक इब्राहिम लोदी के खिलाफ बाबर को भारत आने के लिए आमंत्रित किया था, क्योंकि वो दिल्ली सल्तनत की सत्ता को चुनौती देना चाहते थे। हालांकि, जब बाबर ने पानीपत की लड़ाई (First Battle of Panipat – 1526) जीतकर दिल्ली पर कब्जा कर लिया, तब राणा सांगा को एहसास हुआ कि बाबर सिर्फ एक सहयोगी नहीं बल्कि एक शक्तिशाली शासक बनने आया है।

राणा सांगा ने इसके बाद बाबर के खिलाफ खानवा का युद्ध (Battle of Khanwa, 1527) लड़ा, लेकिन इस लड़ाई में उनकी हार हुई और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उनकी मृत्यु भी इसी के कारण हुई।

SP का आरोप और BJP की सफाई

SP नेताओं का कहना है कि अगर कोई बाबर को भारत में लाने का जिम्मेदार है तो वो राणा सांगा ही थे, और BJP उनके योगदान को एक राष्ट्रवादी नायक की तरह पेश कर रही है।

SP नेता रामगोपाल यादव ने कहा,“BJP इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है। राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया और बाद में पछताए, लेकिन BJP इस सच्चाई को छुपाकर सिर्फ एक नायक के रूप में दिखाने की कोशिश कर रही है।”

वहीं, BJP ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि राणा सांगा एक देशभक्त योद्धा थे जिन्होंने मुगलों का डटकर सामना किया और अपनी मातृभूमि के लिए अंतिम सांस तक लड़े।

BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा,“राणा सांगा ने अपने जीवन में कभी भी मुगलों को समर्थन नहीं दिया। वे मुगलों के खिलाफ लड़े और उनका बलिदान इतिहास में अमर है। SP सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए ऐसे बयान दे रही है।”

इतिहास बनाम राजनीति

इतिहास को लेकर राजनीति कोई नई बात नहीं है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इसे Selective Interpretation के तहत इस्तेमाल किया जाना चाहिए?

राणा सांगा का योगदान चाहे जैसा भी हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि वे भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण योद्धाओं में से एक थे। राजनीति चाहे जो भी कहे, लेकिन इतिहास को तथ्यों के आधार पर देखना जरूरी है, न कि राजनीतिक एजेंडे के तहत।

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