Badrinath धाम के कपाट खुले, जयकारों से गूंज उठा तीर्थस्थल

बदरीनाथ मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक प्रमुख धाम है और इसे भगवान विष्णु (Vishnu Bhagwan) को समर्पित माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ये मंदिर आदि शंकराचार्य (Adi Shankara) द्वारा 8वीं सदी में पुनर्स्थापित किया गया था
Badrinath VK News

Badrinath Gate Open : चमोली – उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित पावन बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट आज प्रातः 6 बजे रवि पुष्य योग में विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलते ही पूरे क्षेत्र में “जय बदरी विशाल” के गगनभेदी जयकारों की गूंज सुनाई दी। श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई, जिससे वातावरण भक्तिमय और आनंदमय हो गया। ये ऐतिहासिक क्षण देखने के लिए देश-विदेश से आए हज़ारों श्रद्धालु मौजूद रहे। कपाटोद्घाटन के इस पावन अवसर पर धाम में 10,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। श्रद्धालु पिछले छह माह से अखंड जल रही ज्योति के दर्शन कर स्वयं को धन्य मान रहे हैं।

Badrinath धाम मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया था। करीब 40 कुंतल गेंदे के फूलों से बदरीनाथ मंदिर को सुसज्जित किया गया, जिससे इसकी आभा और अधिक दिव्य हो गई। देर शाम तक मंदिर के सिंहद्वार के ऊपर भी फूलों की सजावट का कार्य चलता रहा। मंदिर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी छाई हुईं हैं। खुद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने Badrinath कपाटोद्घाटन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की हैं। तस्वीरों के साथ सीएम धामी ने जय श्री बदरी विशाल भी लिखा है।

उन्होंने लिखा कि, चारधामों में से एक, करोड़ों भक्तों की आस्था के केंद्र, भू-बैकुंठ श्री Badrinath Dham के कपाट आज वैदिक मंत्रोच्चार की दिव्य ध्वनि के मध्य, पूर्ण विधि-विधान के साथ भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया है। हमारी सरकार, देश-विदेश से उत्तराखण्ड आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम, सुरक्षित एवं सुखद स्मृतियों से परिपूर्ण बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

पॉलीथिन मुक्त Badrinath यात्रा

चमोली जिला प्रशासन ने इस वर्ष बदरीनाथ यात्रा को पर्यावरण-संवेदनशील बनाते हुए पॉलीथिन मुक्त रखने का निर्णय लिया है। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने धाम और यात्रा मार्ग के पड़ावों पर मौजूद होटल एवं ढाबा संचालकों से पॉलीथिन का उपयोग पूरी तरह समाप्त करने का आग्रह किया है। इसके अलावा सभी प्रतिष्ठानों को स्वच्छता बनाए रखने, रेट लिस्ट चस्पा करने और अग्निशमन के लिए फायर सिलिंडर रखने के निर्देश भी दिए गए हैं।

बदरीनाथ मंदिर का इतिहास क्या है?

Badrinath मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक प्रमुख धाम है और इसे भगवान विष्णु (Vishnu Bhagwan) को समर्पित माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ये मंदिर आदि शंकराचार्य (Adi Shankara) द्वारा 8वीं सदी में पुनर्स्थापित किया गया था। कहते हैं कि यहां भगवान विष्णु ने बद्रीनारायण के रूप में तपस्या की थी और मां लक्ष्मी ने उन्हें बदरी (जंगली बेर) के पेड़ का रूप धारण कर शीत से बचाया था। इसी कारण इस स्थान का नाम ‘बदरीनाथ’ पड़ा।

बदरीनाथ मंदिर पुनर्स्थापित करने वाले Adi Shankara VK News
बदरीनाथ मंदिर पुनर्स्थापित करने वाले Adi Shankara VK News

बदरीनाथ को किसने बनवाया?

बदरीनाथ मंदिर का वर्तमान स्वरूप गढ़वाल राजाओं द्वारा बनवाया गया। खासकर गढ़वाल नरेशों ने 17वीं सदी में इसे पत्थरों से भव्य रूप में तैयार कराया। मंदिर की स्थापत्य कला उत्तर भारतीय शैली की है जिसमें सुनहरे शिखर, चित्रकारी और नक्काशी देखने को मिलती है। मंदिर की मूर्ति काले शालग्राम पत्थर की बनी है, जिसे स्वयंभू (स्वतः प्रकट) माना जाता है।

हिंदू बदरीनाथ की पूजा क्यों करते हैं?

बदरीनाथ भगवान विष्णु का प्रमुख अवतार माने जाते हैं, और उन्हें मोक्षदायक स्थानों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। पुराणों में उल्लेख है कि जो व्यक्ति बदरीनाथ के दर्शन करता है, उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि ये तीर्थस्थल करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।

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बदरीनाथ मंदिर कैसे पहुंचें?

बदरीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और ये हेमकुंड साहिब, जोशीमठ और गोविंदघाट जैसे अन्य धार्मिक स्थलों के पास स्थित है। यहाँ पहुंचने के लिए यात्री देहरादून या हरिद्वार से सड़क मार्ग द्वारा रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग होते हुए बद्रीनाथ पहुँच सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जबकि सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून स्थित जॉलीग्रांट एयरपोर्ट है।

बदरीनाथ मंदिर का रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की पंजीकरण सुविधा शुरू की है। श्रद्धालु https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर जाकर अपनी यात्रा का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल ऐप “Tourist Care Uttarakhand” के माध्यम से भी पंजीकरण किया जा सकता है। बिना रजिस्ट्रेशन के श्रद्धालुओं को धाम में प्रवेश नहीं मिलेगा।

Badrinath कपाट कब तक खुले रहते हैं?

बदरीनाथ मंदिर के कपाट हर साल अक्षय तृतीया के आसपास खोले जाते हैं और दिवाली के बाद शीतकाल में बंद कर दिए जाते हैं। बंद होने के बाद भगवान बदरीविशाल की पूजा जोशीमठ के योगध्यान बदरी मंदिर में होती है। इस दौरान बदरीनाथ क्षेत्र में भारी हिमपात होता है और मंदिर तक पहुंचना असंभव हो जाता है।

यात्रा से जुड़े कुछ ज़रूरी सुझाव

  • स्वास्थ्य जांच: ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यात्रियों को स्वास्थ्य जांच कराना अनिवार्य है, खासकर हृदय और सांस संबंधी रोगियों के लिए।
  • कपड़े और तैयारी: गर्म कपड़े, रेनकोट, जरूरी दवाइयाँ, टॉर्च आदि साथ रखें।
  • ध्यान रखें: पॉलीथिन का उपयोग न करें, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले किसी भी कार्य से बचें।

बदरीनाथ धाम का कपाट खुलना हर हिंदू श्रद्धालु के लिए अत्यंत शुभ और पावन क्षण होता है। हर वर्ष लाखों लोग इस तीर्थ में आकर आध्यात्मिक सुख और मोक्ष की प्राप्ति की भावना से दर्शन करते हैं। यदि आप भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो समय पर रजिस्ट्रेशन कराएँ, पर्यावरण का ध्यान रखें और अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखते हुए इस दिव्यता से ओत-प्रोत यात्रा का लाभ उठाएं।

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