Iran Israel Conflict में पुतिन की एंट्री, भड़के टंप

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच अमेरिका ने भी मिडिल ईस्ट में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है। अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत अब फारस की खाड़ी (Persian Gulf) में तैनात किए जा चुके हैं।
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Iran Israel Conflict – मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। ईरान और इजरायल के बीच चल रहा तनाव अब हथियारों और युद्धक विमानों तक पहुंच चुका है। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने शांति स्थापना के लिए मध्यस्थता की पेशकश की।

लेकिन पुतिन की पेशकश पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। ट्रंप ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “पहले रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करो, फिर मिडिल ईस्ट की बात करना।”

Iran Israel Conflict क्यों हो रहा है?

Iran Israel के बीच दुश्मनी कोई नई बात नहीं है। वर्षों से दोनों देशों के बीच वैचारिक, धार्मिक और रणनीतिक कारणों से तनाव बना हुआ है। लेकिन 2025 में ये तनाव फिर से उग्र रूप ले चुका है।

इजरायल ने हाल ही में दावा किया है कि उसने 50 से अधिक फाइटर जेट्स से ईरान के कई ठिकानों पर हमला किया, जबकि ईरान ने भी ड्रोन हमलों के ज़रिए इसका माकूल जवाब दिया।

ईरान का जवाब: ड्रोन हमला और चेतावनी

ईरानी मीडिया और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) के अनुसार, इजरायल द्वारा किए गए हवाई हमलों के जवाब में ईरान ने अपने अडवांस ड्रोन से इजरायल के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। ईरान का कहना है कि ये हमला “राष्ट्रीय सुरक्षा” की रक्षा के तहत किया गया। ईरान ने ये भी चेतावनी दी कि यदि इजरायल फिर से हमला करता है, तो वो “पूरे इजरायल को राख में बदल देगा।”

पुतिन की पहल: मध्यस्थता का प्रस्ताव

Iran Israel Conflict पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने ईरान, इजरायल और अमेरिका को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें तीनों देशों के बीच बातचीत करवाई जा सकती है। उन्होंने कहा, “हमने बुशहर परमाणु संयंत्र में कार्यरत 200 से अधिक रूसी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी इजरायल से बात की है।”

बुशहर न्यूक्लियर पावर प्लांट रूस की सहायता से बना है, और वहां अब भी कई रूसी वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञ कार्यरत हैं।

ट्रंप का जवाब: तीखा और सार्वजनिक

डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन की मध्यस्थता की पेशकश पर सख्त टिप्पणी की। ट्रंप ने कहा: “पुतिन ने कहा कि वे मिडिल ईस्ट में सुलह चाहते हैं। मैंने कहा पहले अपने देश का रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करो, फिर बाकी दुनिया की चिंता करना।”

ट्रंप ने आगे कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में हो रही मौतों को छुपाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “एक इमारत गिरती है और आप कहते हैं कि कोई नहीं मरा – क्या ये कोई मज़ाक है?”

अमेरिकी सैन्य हलचल तेज

Iran Israel Conflict के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच अमेरिका ने भी मिडिल ईस्ट में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है। अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत अब फारस की खाड़ी (Persian Gulf) में तैनात किए जा चुके हैं। अमेरिका ने इस क्षेत्र में अतिरिक्त फाइटर जेट्स, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और सैन्य सलाहकार भी भेजे हैं।

पेंटागन का कहना है कि ये तैनाती अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए की गई है और इसका उद्देश्य तनाव को कम करना है।

क्या वाकई युद्ध के कगार पर है मिडिल ईस्ट?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Iran Israel Conflict अब सिर्फ क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है।

  • एक तरफ इजरायल है, जिसे अमेरिका और पश्चिमी देश समर्थन देते हैं।
  • दूसरी ओर है ईरान, जो रूस और चीन से सैन्य और आर्थिक सहयोग प्राप्त करता है।

इस प्रकार यदि यह टकराव और गहरा होता है, तो यह Third World War की आशंका को जन्म दे सकता है।

Iran Israel Conflict पर रूस की रणनीति

विशेषज्ञों के अनुसार, पुतिन द्वारा ईरान-इजरायल संकट में मध्यस्थता की पेशकश रूस की नई रणनीतिक नीति का हिस्सा है। रूस चाहता है कि वह सिर्फ यूरोप ही नहीं, बल्कि मिडिल ईस्ट में भी कूटनीतिक ताकत के रूप में उभरे।

लेकिन ट्रंप की प्रतिक्रिया ने रूस के इस कदम को वैश्विक मंच पर कमजोर कर दिया है। अमेरिका स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि रूस को पहले अपनी समस्याओं को सुलझाना चाहिए।

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संयुक्त राष्ट्र की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इस पूरे घटनाक्रम पर गहरी चिंता जताई है। महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है और कहा है कि “युद्ध किसी के हित में नहीं है।”
इसके अलावा फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने भी मिडिल ईस्ट में शांति बनाए रखने की अपील की है।

ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों की संभावना

यदि Iran Israel Conflict और बढ़ता है, तो अमेरिका और यूरोपीय संघ ईरान पर नए आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लगा सकते हैं। इससे ईरान की अर्थव्यवस्था और अधिक प्रभावित हो सकती है। वहीं, यदि इजरायल युद्ध छेड़ता है, तो उसे भी अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।

ईरानी जनता की पीड़ा: लगातार युद्ध और प्रतिबंध

Iran Israel Conflict का सबसे अधिक असर ईरानी आम जनता पर पड़ रहा है। लगातार युद्ध की आशंका, प्रतिबंधों के कारण महंगाई, बेरोजगारी और अस्थिरता वहां के लोगों की जिंदगी को कठिन बना रही है। वहीं इजरायल में भी बंकरों और अलर्ट मोड पर रहना अब एक आम बात हो गई है।

Iran Israel Conflict का समाधान सिर्फ कूटनीति के ज़रिए ही संभव है। युद्ध न तो ईरान के हित में है, न इजरायल के, और न ही वैश्विक समुदाय के। रूस की मध्यस्थता भले ही अभी ट्रंप द्वारा खारिज कर दी गई हो, लेकिन ये दर्शाता है कि समाधान के लिए कोशिशें जारी हैं। अब यह समय है कि वैश्विक शक्तियां एकजुट होकर इस संकट को सुलझाने की दिशा में प्रयास करें। Iran Israel Conflict पर आपके क्या विचार हैं कमेंट में बताएं।

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