US Tariff Impact : डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से ही उनके फैसले विवादों में हैं। जिसमे से Tariff को लेकर उठाया गया कदम कई देशों के लिए चिंता का विषय बन गया। ट्रंप ने इस कड़ी में भारत पर भी सख्त टैरिफ लगाया। लेकिन इसके बावजूद एक अच्छी खबर भारत के लिए आई है।
अमेरिका द्वारा लगाए गए us tariff और कड़े प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच ऊर्जा व्यापार लगातार बढ़ रहा है, क्योंकि भारत ने नवंबर महीने में रूसी कच्चे तेल की खरीद में नई बढ़ोतरी दर्ज की।
विशेषज्ञों का मानना है कि Donald Trump 25 percent tariff लागू होने के बाद वैश्विक तेल बाजार पर असर दिख रहा है, लेकिन भारत पर इस कदम का कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा। इसके बजाय भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर रूसी तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया।
रिकॉर्ड स्तर की खरीद, US Tariff के बावजूद स्थिर रहा व्यापार
नवंबर में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात 4% बढ़कर 2.6 अरब यूरो पर पहुंच गया, जो पिछले पांच महीनों का सबसे ऊंचा स्तर साबित हुआ। रिपोर्टों के अनुसार भारत ने इस कच्चे तेल को refine कर पेट्रोल, डीजल और अन्य ईंधन बनाए, जिन्हें घरेलू मांग के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों को निर्यात किया गया।
ऊर्जा विशेषज्ञों ने बताया कि us tariff के बावजूद भारत ने अपनी आयात रणनीति नहीं बदली और रूस से लगातार स्थिर मात्रा में तेल खरीद बरकरार रखी। संदेश साफ है कि, India Russia Oil Trade पर किसी भी धमकी का असर नहीं हुआ।
चीन के बाद भारत रहा दूसरा सबसे बड़ा खरीदार
Centre for Research on Energy and Clean Air (CREA) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि नवंबर में चीन के बाद भारत रूस के कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा। रिपोर्ट के अनुसार नवंबर में रूस के कुल कच्चे तेल निर्यात का 47% चीन, 38% भारत, 6% तुर्किये, और 6% यूरोपीय संघ को भेजा गया। यह डेटा यह साबित करता है कि us tariff impact का भारत और रूस के तेल व्यापार पर बहुत सीमित प्रभाव पड़ा।
इसके पहले अक्टूबर में भारत ने रूस से 2.5 अरब यूरो मूल्य का तेल खरीदा था, जो नवंबर में और बढ़कर नए स्तर पर पहुंच गया। CREA ने कहा कि नवंबर में भारत का रूसी तेल आयात अक्टूबर की तुलना में 4% बढ़ गया, जबकि कुल आयात मात्रा लगभग स्थिर रही।
अमेरिका के प्रतिबंधों की स्थिति, निजी कंपनियों पर असर दिखा
22 अक्टूबर को अमेरिका ने रूस की बड़ी तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर प्रतिबंध लगाए। अमेरिकी प्रशासन का कहना था कि यह कदम रूस की युद्ध क्षमता कमजोर करने के उद्देश्य से उठाया गया। इन प्रतिबंधों के लागू होने के बाद भारत की निजी तेल कंपनियों ने रूसी तेल की खरीद अस्थायी रूप से रोक दी।
इन कंपनियों में शामिल थीं:
Reliance Industries
HPCL
HPCL-Mittal Energy
Mangalore Refinery and Petrochemicals
हालांकि इसके उलट Indian Oil Corporation (IOC) जैसी सरकारी कंपनियों ने non-sanctioned रूसी आपूर्तिकर्ताओं से कच्चे तेल की खरीद जारी रखी। इसलिए भारत की सरकारी कंपनियों पर us tariff का कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं देखा गया।
US Tariff के बाद सरकारी कंपनियों ने बढ़ाई खरीद
CREA ने बताया कि नवंबर में जहां निजी कंपनियों ने अपनी खरीद में गिरावट दर्ज की, वहीं सरकारी तेल कंपनियों ने रूसी कच्चे तेल की खरीद में 22% की वृद्धि की। इससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत के ऊर्जा बाजार में सरकारी तेल कंपनियों की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण बनी हुई है।
भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, 2022 के बाद सबसे बड़ा ग्राहक बनकर उभरा, क्योंकि रूस ने युद्ध के बाद भारत को भारी छूट के साथ तेल बेचना शुरू किया। भारत का रूसी तेल आयात, जो कभी 1% से भी कम था, बढ़कर 40% के पास पहुंच गया।
नवंबर में रूस से 35% आपूर्ति, रिफाइंड ईंधन का बढ़ा निर्यात
नवंबर में रूस ने भारत की कुल कच्चे तेल आपूर्ति में 35% योगदान दिया। भारत इस कच्चे तेल को refine कर विभिन्न देशों को ईंधन के रूप में निर्यात करता है। CREA रिपोर्ट के अनुसार भारत और तुर्किये की छह प्रमुख रिफाइनरियों ने नवंबर के दौरान कुल 807 मिलियन यूरो मूल्य के रिफाइंड फ्यूल का निर्यात किया।
इसमें शामिल थे:
465 मिलियन यूरो – यूरोपीय संघ
110 मिलियन यूरो – अमेरिका
51 मिलियन यूरो – ब्रिटेन
150 मिलियन यूरो – ऑस्ट्रेलिया
310 मिलियन यूरो – कनाडा
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि us tariff और अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत का refined fuel export स्थिर और बढ़ता हुआ नजर आया।
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ऑस्ट्रेलिया को निर्यात में 69% की उछाल, बड़ा व्यापारिक संकेत
रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया को भारत का ईंधन निर्यात नवंबर में 69% बढ़ा, जो पूरा का पूरा गुजरात की जामनगर रिफाइनरी से भेजा गया। यह वृद्धि यह दिखाती है कि वैश्विक तेल बाज़ार में भारत की रिफाइनिंग क्षमता मजबूत हो रही है, क्योंकि us tariff impact के बावजूद भारत का निर्यात रुकावटों से दूर है।
कनाडा ने भी आठ महीने बाद पहली बार रूसी कच्चे तेल से तैयार refined fuel को स्वीकार किया। विशेषज्ञों ने इस कदम को भारत की ऊर्जा कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण बताया।
यूरोपीय संघ के प्रतिबंध और अन्य देशों में अलग स्थिति
यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिनके तहत वह रूसी crude oil से बने refined fuel को स्वीकार नहीं करता। हालांकि अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने अभी तक ऐसा सीधा प्रतिबंध नहीं लगाया है, इसलिए भारत इन देशों को बड़ी मात्रा में refined fuel भेजता रहा।
यही कारण है कि us tariff लागू होने और अमेरिकी प्रतिबंध बढ़ने के बावजूद भारत-रूस व्यापार संतुलित बना रहा और भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए रूसी तेल निर्बाध रूप से खरीदा।


