अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला का जोरदार स्वागत, देखिए Video

Axiom‑4 Mission के क्रू ने ISS में Indian astronaut Shubhanshu Shukla का जोरदार स्वागत किया। ह्यूस्टन टास्क कंट्रोल की ओर हाथ हिलाना वीडियो में दिखा।
Axiom‑4 Mission VK News

Axiom‑4 Mission: भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में जोरदार स्वागत हुआ है। स्पेस स्टेशन में सभी का बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस शानदार मौके की तस्वीरें सामने आई हैं। जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं। हम आपको वो तस्वीर दिखाएं उससे पहले कुछ अहम जानकारी देखते हैं।

Axiom‑4 Mission: क्या है और क्यों है खास?

Axiom‑4 Mission एक निजी स्पेस मिशन है, जिसे Axiom Space और NASA ने मिलकर आयोजित किया है। ये SpаceX के Dragon बीचबैक यान द्वारा संचालित है और यह कुल मिलाकर चौथा निजी अंतरिक्ष मिशन है जो ISS (International Space Station) पर गया।

Axiom‑4 Mission क्या है?

  • ये पहला ऐसा निजी स्पेस मिशन है जिसमें Axiom Space निजी अंतरिक्ष यात्री भेज रहा है।
  • इसका लक्ष्य ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग करना और अंतरिक्ष अंश की जांच करना है।
  • मिशन टीम में शामिल हैं: कमांडर पैगी व्हिटसन (अमेरिकी), पायलट शुभांशु शुक्ला (भारतीय), मिशन विशेषज्ञ स्लावोज विज़्निवस्की (पोलैंड/ESA) और एक अन्य मिशन विशेषज्ञ।

Axiom‑4 Mission में क्या होगा?

  • डॉकिंग और स्टे: SpaceX Dragon यान का ISS में डॉक और वहां लगभग दो सप्ताह का कार्यकाल।
  • वैज्ञानिक प्रयोग: स्पिनोजेनिक्स, बायोमेडिकल, ISRU (In‑Situ Resource Utilization), और तकनीकी परीक्षण।
  • शैक्षणिक सहयोग: NASA और Axiom Space दोनों मिलकर छात्रों और वैज्ञानिकों को डाटा उपलब्ध कराएँगे।

Axiom‑4 Mission क्यों जरूरी है?

  • ये निजी अंतरिक्ष अन्वेषण का भविष्य दिखाता है और public-private partnership का वास्तविक मॉडल बनता है।
  • अंतरिक्ष में वैश्विक सहयोग के नए आयाम खोलता है: अमेरिकी‑भारतीय‑पोलिश टीम IS में काम कर रही हैं।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में ये लॉन्चिंग पॉइंट जैसा है — शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय निजी अंतरिक्ष यात्री बनकर इतिहास लिखने वाले।

ISS में शुभांशु शुक्ला का स्वागत

Axiom‑4 Mission के क्रू ने ISS में Indian astronaut Shubhanshu Shukla का जोरदार स्वागत किया। ह्यूस्टन टास्क कंट्रोल की ओर हाथ हिलाना वीडियो में दिखा।

  • ISS डॉकिंग: 26 जून 2025 को लगभग शाम 4:15 बजे (IST)।
  • हेच खुलना: डॉकिंग के बाद लगभग 1 घंटा 45 मिनट में हैच खोला गया।
  • क्रू का स्वागत: 5:44 PM IST पर पैगी व्हिटसन और शुभांशु शुक्ला द्वारा ISS सदस्यों का अभिवादन हुआ।

NASA द्वारा पोस्ट किया गया लाइव वीडियो विदेशी अंतरिक्ष यान और स्टेशन के बीच वीडियो लिंक, डॉकिंग इवेंट आदि स्पष्ट रूप से दिखाता है।

शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास

  • शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन, पहली बार अपने निजी मिशन के तहत ISS में एंट्री करने वाले भारतीय बने।
  • इससे पहले, 1984 में राकेश शर्मा सआरक्षित अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में अंतरिक्ष में ग्यारह दिन रहे।
  • शुभांशु अंतरिक्ष में पहुंचने वाले पहले “निजी भारतीय अंतरिक्ष यात्री” हैं।
  • वे ISS पर आतंरिक प्रयोगों, वैज्ञानिक डाटा संग्रह और क्रू के साथ मिलकर काम करेंगे।

Axiom‑4 Mission: वैज्ञानिक और तकनीकी महत्व

  1. Microgravity Research
  2. Healthcare & Biotech Studies – मानव स्वास्थ्य और बायोस्टडीज़ के लिए
  3. ISRU technology – चंद्रमा/मार्स पर संसाधन उपयोग की क्षमता
  4. Educational Outreach – बच्चों और युवा वैज्ञानिकों का सहयोग
  • Navigation, Robotics, Communication, Environmental sensors स्थापित करना।
  • निजी स्पेस फर्मों को SpaceX Dragon जैसी टेक्नोलॉजी सुलभ करना।

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इस मिशन का वैश्विक और भविष्य पर प्रभाव

  • भारतीय, अमेरिकी, पोलिश वैज्ञानिक एक साथ ISS में काम कर रहे हैं।
  • ये कृषि, जलवायु, ऊर्जा, अंतरिक्ष मेडिसिन में अंतरराष्ट्रीय ज्ञान साझा करने का अवसर है।
  • Axiom‑4 अनुदानित मिशन निजी अंतरिक्ष यात्रा को अधिक उपलब्ध और किफायती बनाएगा।
  • स्टार्टअप‑स्तरीय स्पेस रिसर्च को प्रेरणा देगा।
  • भारतीय युवाओं को STEM में करियर के लिए प्रेरित करेगा।
  • निजी स्पेस सेक्टर में नई नौकरियां और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा।

Axiom‑4 Mission का टाइमलाइन

स्टेज तारीख/विवरण
लॉन्च जून 2025 (SpaceX Falcon 9 + Dragon Crew)
डॉकिंग 26 जून 2025, शाम 4:15 (IST)
हेच खुलना लगभग 1 घंटा 45 मिनट बाद
मिशन अवधि लगभग 2 सप्ताह
प्रयोग और कार्य वैज्ञानिक, तकनीकी, मानव स्वास्थ्य आधारित प्रयोग
रिटर्न Mission complete → सुरक्षित पृथ्वी वापसी

Axiom‑4 Mission भारतीय अंतरिक्ष दृष्टि में नए युग का सूत्रपात है:

  • ये निजी स्पेस सेक्टर और सार्वजनिक एजेंसियों के बीच समन्वय को आकार देता है।
  • शुभांशु शुक्ला की ISS यात्रा निजी अंतरिक्ष यात्राओं का उदाहरण है।
  • ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और टेक्नोलॉजी शृंखला को प्रमोट करता है।

ये मिशन स्पष्ट करता है कि अंतरिक्ष अब केवल नौकरशाहों और सरकारी एजेंसियों के लिए नहीं, बल्कि निजी नागरिकों और उद्यमियों के लिए खुल गया है।

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