Hamas की हैवानियत के पीछे था चीन ? हैरान करने वाला खुलासा!

पिछले कुछ वर्षों में चीन ने मिडिल ईस्ट में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। ईरान से हुए बड़े ऊर्जा सौदे, सऊदी अरब और ईरान के बीच मध्यस्थता, और अब हमास को अप्रत्यक्ष समर्थन
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Israel-Hamas Conflict : इजरायल पर हुए हमास के भयानक हमलों के पीछे अब एक नया और चौंकाने वाला एंगल सामने आ रहा है। ये दावा किया जा रहा है कि Hamas के इन हमलों के पीछे चीन का हाथ है। चीनी मूल की जानी-मानी विश्लेषक जेनिफर जेंग ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि Hamas को चीन का पूर्ण समर्थन प्राप्त है, और जो हमला इजरायल पर हुआ, वो “सदी का सबसे बड़ा हमला” साबित हुआ। इन हमलों की रणनीति चीन में तैयार की गई थी और चीन की मदद से ही इन्हें अंजाम दिया गया।

मोसाद को धोखा देने की चीन में बनी रणनीति

जेनिफर जेंग ने दावा किया है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को धोखा देने और आयरन डोम को चकमा देने की रणनीति चीन में बनाई गई थी। Hamas ने चीन में बने 7000 रॉकेट्स और मेड इन चाइना पैराग्लाइडर्स का इस्तेमाल किया। इस हमले की तैयारी महीनों से हो रही थी और इसमें चीन की खुफिया एजेंसियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

हमास के 6 बड़े चेहरे, एक चीनी कठपुतली?

Hamas के शीर्ष छह नेताओं में से एक को चीन की “कठपुतली” कहा जा रहा है। जेनिफर के मुताबिक, इस व्यक्ति को “SFRN” कोडनेम दिया गया है। ये व्यक्ति हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो का वाइस चेयरपर्सन है और उसने बीजिंग की Renmin University और University of International Business से शिक्षा प्राप्त की है। इसके चीन से गहरे संबंध माने जा रहे हैं।

Hamas को चीन से मिल रही फंडिंग और ट्रेनिंग

जांच रिपोर्ट्स में सामने आया है कि चीन, हमास को न केवल आर्थिक मदद दे रहा है, बल्कि हथियार और युद्ध प्रशिक्षण भी मुहैया करा रहा है। इस समर्थन के पीछे चीन का मकसद इजरायल और अमेरिका की ताकत को मिडिल ईस्ट में कमजोर करना है।

चीन की ये रणनीति “Soft Terror Diplomacy” कही जा रही है, जिसमें वह सीधे मैदान में न उतरते हुए ऐसे संगठनों को बढ़ावा दे रहा है, जो उसके भू-राजनीतिक हितों को साध सकें। हमास को चीन से मिलने वाली लॉजिस्टिक और टेक्निकल सपोर्ट पर अब अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों की नजर है।

मोहम्मद दाएफ और PLA का लिंक

Hamas की मिलिट्री विंग के प्रमुख और इस हमले के मास्टरमाइंड मोहम्मद दाएफ को चीन का ट्रेनिंग प्राप्त बताया जा रहा है। जेनिफर जेंग के मुताबिक, दाएफ ने चीन की PLA (People’s Liberation Army) के ऑर्डिनेंस इंजीनियरिंग कॉलेज से शिक्षा ली है। इतना ही नहीं, दाएफ ने चीन की एक मुस्लिम महिला से विवाह भी किया है। ये सभी बातें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि चीन और हमास के रिश्ते केवल रणनीतिक ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और वैचारिक स्तर पर भी जुड़े हैं।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल

इन खुलासों के बाद विश्व स्तर पर हलचल मच गई है। अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और इजरायल जैसे देशों ने इस मामले की गंभीरता से जांच शुरू कर दी है। अगर यह साबित होता है कि चीन, हमास जैसे आतंकवादी संगठन को समर्थन दे रहा है, तो यह उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए बड़ा झटका हो सकता है।

मिडिल ईस्ट में चीन की बढ़ती रुचि

पिछले कुछ वर्षों में चीन ने मिडिल ईस्ट में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। ईरान से हुए बड़े ऊर्जा सौदे, सऊदी अरब और ईरान के बीच मध्यस्थता, और अब हमास को अप्रत्यक्ष समर्थन — ये सभी घटनाएं एक बड़े रणनीतिक एजेंडे की ओर इशारा करती हैं। चीन के लिए मिडिल ईस्ट केवल एक भू-राजनीतिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि ये उसके वैश्विक प्रभुत्व की नींव बन सकता है।

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क्या कहता है इजरायल?

इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने भी इस कनेक्शन की जांच शुरू कर दी है। इजरायली मीडिया में रिपोर्ट आई है कि मोसाद के अधिकारी चीन और हमास के बीच फाइनेंशियल और कम्युनिकेशन चैनलों की गहराई से पड़ताल कर रहे हैं। इजरायल की नजर अब केवल गाज़ा पर नहीं, बल्कि बीजिंग की गतिविधियों पर भी टिकी हुई है।

चीन की प्रतिक्रिया क्या होगी?

अब सबकी नजरें चीन की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। फिलहाल चीन की सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन चीन की छवि को बचाने के लिए वह इन आरोपों को खारिज कर सकता है या उन्हें प्रोपेगेंडा करार दे सकता है। हालांकि, जेनिफर जेंग जैसे चीनी विश्लेषक के खुलासे को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं होगा।

Hamas और चीन के बीच का ये संभावित रिश्ता केवल एक खबर नहीं है, बल्कि ये मिडिल ईस्ट और एशिया की राजनीति को प्रभावित करने वाला मामला है। अगर ये साबित होता है कि चीन हमास को रणनीतिक समर्थन दे रहा है, तो आने वाले समय में विश्व राजनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है।

ये खुलासा ना केवल इजरायल के लिए एक चेतावनी है, बल्कि अमेरिका, भारत और अन्य लोकतांत्रिक देशों के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है। चीन के इस दोहरे खेल का पर्दाफाश अब ज़रूरी हो गया है।

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