Murshidabad Riots : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने वक्फ संशोधन कानून के विरोध में इमामों के साथ हुई एक अहम बैठक में देश की राजनीति पर बड़ा बयान दिया। इस बैठक के दौरान उन्होंने सीधे तौर पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर वक्फ बिल के समर्थन का आरोप लगाया।
ममता बनर्जी ने कहा कि इन दोनों नेताओं ने या तो वक्फ बिल (Waqf Act 2025) का समर्थन किया या फिर चुपचाप बैठे रहे, जो मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है। ममता ने सवाल उठाते हुए कहा, “नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू चुप क्यों बैठे हैं? क्या उन्हें वक्फ बिल के समर्थन में वोट देना चाहिए था? बिल्कुल नहीं। ऐसे संवेदनशील मामलों पर चुप रहना भी एक तरह का समर्थन होता है।”
Murshidabad Riots को बताया साज़िश
बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने हाल ही में मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा (Murshidabad Riots) पर चिंता जताते हुए इसे “पूर्व नियोजित” और “सुनियोजित साजिश” बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार, BSF और कुछ केंद्रीय एजेंसियों की मिलीभगत से ये तनाव पैदा किया गया।
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उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद भारत सरकार ने सीमा पार से अवैध घुसपैठ की अनदेखी की, जिससे राज्य में तनाव का माहौल बना। ममता ने BSF पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “क्या BSF की जिम्मेदारी नहीं है कि वो सीमाओं की रक्षा करे? जब घुसपैठ हो रही है, तो इसका जिम्मेदार कौन है? राज्य सरकार अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी नहीं करती, ये केंद्र का विषय है।”
गृह मंत्री अमित शाह को घेरा
मुख्यमंत्री ने मुर्शिदाबाद हिंसा में मारे गए तीन लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को BSF की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से स्पष्ट शब्दों में अपील की कि गृह मंत्री अमित शाह पर निगरानी रखी जाए।
ममता ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री से अपील करती हूं कि वो अमित शाह को रोकें। वो अपने राजनीतिक फायदे के लिए देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उनके नेतृत्व में देश में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ रहा है।”
बाहर से गुंडे लाकर दंगा भड़काने का आरोप
ममता बनर्जी ने BJP पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बाहर से ‘भाजपा समर्थित गुंडों’ को पश्चिम बंगाल लाया गया ताकि दंगा और अराजकता फैलाई जा सके। उन्होंने सवाल किया कि राज्य में बाहरी तत्वों को आने और हिंसा फैलाने की अनुमति कैसे दी गई।
उन्होंने कहा, “ये लोग देश को बांटना चाहते हैं। उनका मकसद है हिंदू और मुस्लिम समुदाय को एक-दूसरे से अलग करना, ताकि राजनीति में ध्रुवीकरण हो सके। ये उनकी ‘जुमला सरकार’ की चाल है। हमें ऐसे एजेंडों को रोकना होगा और देश को जोड़ने की दिशा में काम करना होगा।”
विपक्ष की राजनीति में नए समीकरण?
ममता बनर्जी के ये तीखे बयान न केवल केंद्र सरकार पर एक बड़ा हमला हैं, बल्कि विपक्षी एकता को लेकर भी कई सवाल खड़े करते हैं। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता, जो कभी विपक्षी एकता के मंच पर ममता के साथ नजर आते थे, अब उनके निशाने पर हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये बयान ममता बनर्जी के बदले हुए राजनीतिक तेवर का संकेत है और संभव है कि 2024 के बाद के राजनीतिक समीकरणों में वो अपनी अलग राह चुनें।
‘देश को जोड़ो, मत बांटो’
इस पूरे प्रकरण में ममता बनर्जी का संदेश बेहद साफ है। उन्होंने जहां एक ओर वक्फ संशोधन कानून के जरिए मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को उठाया, वहीं मुर्शिदाबाद हिंसा (Murshidabad Riots) के बहाने केंद्र सरकार और BJP पर करारा प्रहार किया। ममता की मांग है कि देश को धार्मिक आधार पर बांटने की साजिशें बंद हों और सभी को साथ लेकर चलने की राजनीति की जाए।