Halala in Muslim : भारत सहित कई मुस्लिम बहुल देशों में ‘हलाला’ एक विवादित लेकिन चर्चित विषय बना हुआ है। जब एक मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तलाक दे देता है और बाद में दोबारा उसी महिला से निकाह करना चाहता है, तो ‘हलाला’ एक प्रक्रिया के रूप में सामने आता है।
इस्लाम में इसकी क्या व्याख्या है, क्या ये प्रक्रिया जायज है या सिर्फ परंपराओं का हिस्सा है — इस पर आज हम विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ में आज आपको एक ऐसी वीडियो दिखाएंगे जिसे देखने के बाद हलाला की पूरी जानकारी आपको मिल जाएगी। Wikipedia के मुताबिक भारत में हालाल के मामले तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं।
क्या होता है हलाला? (What is Halala in Muslim)
‘हलाला’ एक अरबी शब्द है जिसका मतलब है ‘जायज बनाना’। इस्लामी कानून के अनुसार, अगर कोई पुरुष अपनी पत्नी को तीन तलाक दे देता है, तो वो महिला उस पुरुष के लिए हराम (नाजायज) हो जाती है। अगर दोनों फिर से साथ रहना चाहते हैं, तो महिला को पहले किसी अन्य पुरुष से निकाह करना होता है।
उस नए पति के साथ वैवाहिक संबंध बनाना होता है, और फिर अगर वो पुरुष तलाक दे दे या उसकी मृत्यु हो जाए, तभी वो महिला पहले पति से दोबारा निकाह कर सकती है। यही प्रक्रिया ‘निकाह-ए-हलाला’ कहलाती है। आइये हलाला पर बनी एक फिल्म का छोटा सा हिस्सा आपको दिखाते हैं।
हलाला की प्रक्रिया कैसे होती है? (Halala Process in Islam)
- तीन तलाक के बाद महिला का पूर्व पति से संबंध खत्म हो जाता है।
- महिला किसी दूसरे पुरुष से शादी करती है।
- वैवाहिक संबंध बनाना अनिवार्य माना जाता है।
- नया पति तलाक देता है या उसकी मृत्यु हो जाती है।
- अब महिला पहले पति से दोबारा निकाह कर सकती है।
क्या इस्लाम में हलाला जायज है?
इस्लाम के चारों प्रमुख स्कूल ऑफ थॉट – हनफी, शाफई, मालिकी और हंबली – हलाला की प्रक्रिया को एक मजबूरी के रूप में स्वीकार करते हैं, न कि कोई योजना बनाकर किया गया हलाला। अगर कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए महिला से शादी करता है ताकि उसे तलाक देकर वह पहले पति से वापस शादी कर सके, तो इसे “मुहल्लिल निकाह” कहा जाता है और ये इस्लाम में नाजायज (हराम) है।
पैग़ंबर मोहम्मद ने कहा था, “जो व्यक्ति किसी महिला से सिर्फ इसलिए शादी करे कि वो अपने पहले पति के लिए जायज हो जाए, वो औरत का नया पति और उसे ऐसा कराने वाला दोनों लानत के हकदार हैं।”
(हदीस: अबू दाऊद, 2076)
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समाज में हलाला की स्थिति:
हाल के वर्षों में भारत में हलाला को लेकर कई मामले कोर्ट में गए हैं। कुछ महिलाओं ने आरोप लगाए हैं कि उन्हें हलाला के नाम पर शोषण और बलात्कार जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। इसमें कई बार समुदाय के धर्मगुरु भी शामिल रहे हैं।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हलाला को लेकर सामाजिक बहसें चलती रही हैं। कई मुस्लिम महिलाओं ने खुलकर हलाला की प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई है और इसे महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बताया है।
सुप्रीम कोर्ट और सरकार का नजरिया:
भारत में तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 पास किया, जिससे तीन तलाक अपराध बन गया।
हलाला पर सीधा कोई कानून नहीं बना है, लेकिन कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं जिसमें मांग की गई है कि हलाला और बहुविवाह को भी असंवैधानिक घोषित किया जाए।
हलाला एक संवेदनशील धार्मिक विषय है, लेकिन इसे लेकर समाज में आज गहरी बहस चल रही है। इस्लाम में इसे एक अंतिम विकल्प के रूप में माना गया है, लेकिन जब इसे योजनाबद्ध तरीके से या मजबूरी में किया जाता है, तो ये न केवल शरीयत के खिलाफ है बल्कि महिला अधिकारों का हनन भी है।
जरूरत है कि समाज, धर्मगुरु और सरकार मिलकर इस मुद्दे को संवेदनशीलता से समझें और महिलाओं की गरिमा और सम्मान को प्राथमिकता दें।