India 4th Largest Economy : नई दिल्ली – नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) बीवीआर सुब्रह्मण्यम (B. V. R. Subrahmanyam) ने एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा है कि भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (India becomes 4th largest economy) का स्थान हासिल कर लिया है। इस खबर के सामने आते ही आर्थिक जगत से लेकर राजनीतिक हलकों तक उत्साह की लहर दौड़ गई है।
इस घोषणा के साथ ही ये सवाल भी उठने लगा है कि
👉 भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कब तक बन जाएगा?
👉 भारत के चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से क्या होगा?
👉 इसका आम लोगों, उद्योगों और वैश्विक निवेश पर क्या असर पड़ेगा?
India 4th Largest Economy बनने के बाद इस विस्तृत रिपोर्ट में हम इन सभी पहलुओं को विस्तार से समझेंगे और ये भी देखेंगे कि भारत का अगला कदम क्या होगा।
India 4th Largest Economy बना
नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा: “जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, भारत इस समय 4 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी है और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है (India 4th Largest Economy)।” उन्होंने IMF (International Monetary Fund) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि भारत का GDP 4.187 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
जबकि जापान की GDP 4.186 ट्रिलियन डॉलर है। हालांकि जापान की per capita GDP (प्रति व्यक्ति आय) भारत से कई गुना ज्यादा है, लेकिन समग्र अर्थव्यवस्था के मामले में भारत अब उससे आगे निकल चुका है।
अब भारत से बड़े सिर्फ 3 देश बचे – USA, China, Germany
देश | GDP (ट्रिलियन डॉलर में) | Per Capita GDP |
---|---|---|
अमेरिका (USA) | ~27 | $85,000+ |
चीन (China) | ~17 | $13,000+ |
जर्मनी (Germany) | 4.74 | $55,910 |
भारत (India) | 4.187 | $2,880 |
जापान (Japan) | 4.186 | $33,960 |
सुब्रह्मण्यम का मानना है कि अगर भारत अपनी growth planning और reforms पर कायम रहता है, तो अगले 2.5 से 3 साल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। यानि संदेश साफ है कि India 4th Largest Economy बनने के बाद भारत का अगला कदम तीसरा स्थान प्राप्त करना है।
PM Modi का वादा हो रहा है पूरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान ये वादा किया था कि भारत Modi 3.0 के दौरान तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।
उन्होंने कहा था: “2014 से पहले की अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खराब थी। हम उसे वहां से निकाल कर दुनिया की Top 5 Economies में लेकर आए। अब अगला लक्ष्य Top 3 में शामिल होना है।” वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी मई 2024 में ये दोहराया था कि भारत 2025 तक तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है।
भारत चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से क्या होगा?
India 4th Largest Economy बनना ये उपलब्धि केवल एक आंकड़ा नहीं है। इसके वास्तविक और जमीनी असर निम्नलिखित होंगे:
1. Global Trust बढ़ेगा
India 4th Largest Economy बनने से विदेशी निवेशक (FDI Investors) अब भारत को एक विश्वसनीय और स्थिर मार्केट के रूप में देखेंगे। इससे स्टार्टअप्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नया बूस्ट मिलेगा।
2. रुपया मजबूत होगा
India 4th Largest Economy बनने से भारतीय मुद्रा (INR) पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरोसा बढ़ेगा जिससे import-export balance बेहतर होगा।
3. नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे
India 4th Largest Economy बनने से Industrial growth और निवेश के बढ़ने से Employment Generation तेजी से होगा।
4. कर्ज रेटिंग सुधरेगी
India 4th Largest Economy बनने से S&P, Moody’s और Fitch जैसी एजेंसियां भारत की credit rating सुधार सकती हैं, जिससे सरकार को विदेशों से सस्ता कर्ज मिलेगा।
5. गरीबी और असमानता से लड़ाई आसान होगी
India 4th Largest Economy बनने से आर्थिक विकास से सरकार को ज्यादा Revenue मिलेगा, जिससे वो social welfare schemes और infrastructure development पर ज्यादा खर्च कर सकेगी।
भारत तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी कब तक बनेगा?
वर्तमान जीडीपी डेटा के अनुसार, भारत को जर्मनी को पीछे छोड़ने के लिए लगभग 0.6 ट्रिलियन डॉलर की ग्रोथ चाहिए। IMF और World Bank के projections के मुताबिक, अगर भारत की ग्रोथ रेट 6.5% से 7% बनी रहती है, तो 2026 तक भारत जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंच सकता है।
कैसे संभव हो पाएगा ये लक्ष्य?
Make in India और Manufacturing Boost
PLI (Production Linked Incentive) schemes और Make in India की रणनीति से भारत की Industrial Capacity लगातार बढ़ रही है।
Digital India और Startups
भारत की डिजिटल इकोनॉमी, UPI और स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत को टेक्नोलॉजी फ्रंट पर मजबूत बना रहे हैं।
Infrastructure Projects
PM Gati Shakti, Bharatmala, Sagarmala जैसी परियोजनाएं logistics और transportation में क्रांति ला रही हैं।
Foreign Trade Expansion
भारत ने UAE, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपियन यूनियन आदि से Free Trade Agreements पर काम तेज किया है, जिससे export बढ़ेगा।
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि ये उपलब्धि बड़ी है, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी भारत के सामने हैं:
- Per Capita Income अब भी बहुत कम है
- Unemployment और Informal Sector की समस्याएं
- शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे sectors में सुधार की जरूरत
- Gender Inequality और Regional Disparity
जनता को क्या मिलेगा इस उपलब्धि से?
👉 सरकारी योजनाओं में ज्यादा निवेश
👉 कम ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध
👉 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि
👉 युवाओं के लिए नए अवसर – नौकरी, स्टार्टअप, स्किल डेवेलपमेंट
भारत का दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (India 4th Largest Economy बनने से) बनना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो 140 करोड़ भारतीयों के परिश्रम, सरकार की दूरदर्शी नीतियों और वैश्विक अवसरों का परिणाम है। अब अगला लक्ष्य तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनना है – और वो दिन दूर नहीं, जब ‘मेड इन इंडिया’ का डंका पूरी दुनिया में बजेगा।
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जापान को क्या नुकसान होगा ?
जापान के पांचवें स्थान पर खिसकने से उसे कई आर्थिक और रणनीतिक नुकसान हो सकते हैं। नीचे पॉइंट्स के रूप में विस्तार से समझिए कि इससे जापान को क्या नुकसान होगा (Japan economic impact after slipping to 5th place):
1. Global Economic Influence में कमी
- अब जापान G5 के बजाय G6 जैसी स्थिति में दिखेगा, यानी आर्थिक चर्चा में उसका प्रभाव थोड़ा कम हो सकता है।
- IMF, World Bank, WTO जैसी वैश्विक संस्थाओं में जापान की bargaining power पर असर पड़ सकता है।
2. Foreign Investment Perception
- निवेशक अब जापान को नहीं, बल्कि भारत जैसे उभरते देशों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
- Multinational companies जापान से अपना production shift कर सकती हैं, खासकर कम लागत वाले देशों की ओर।
3. Aging Population और Growth Challenge
- जापान पहले से ही बुजुर्ग आबादी (aging population) की समस्या से जूझ रहा है।
- युवा कामगारों की कमी और birth rate में गिरावट ने आर्थिक विकास को धीमा कर दिया है।
- GDP गिरने से यह स्थिति और बिगड़ सकती है।
4. Currency पर दबाव
- जापानी येन (Yen) की वैल्यू और global trade में उसकी स्थिति कमजोर हो सकती है।
- इससे जापान की import cost बढ़ेगी और व्यापार घाटा (trade deficit) गहरा सकता है।
5. Industrial Reputation पर असर
- जापान का image दशकों से एक hi-tech और innovation-driven economy का रहा है।
- अब भारत जैसे देश जब उससे ऊपर निकलते हैं, तो उसकी comparative reputation को चोट पहुंच सकती है।
6. Asia में नेतृत्व की चुनौती
- एशिया में जापान को अब चीन और भारत जैसे देशों के सामने पीछे हटना पड़ेगा।
- क्षेत्रीय नेतृत्व और सुरक्षा रणनीतियों में जापान की भूमिका सीमित हो सकती है।