नई दिल्ली – India Poverty Rate पर नई रिपोर्ट आई है। जिसने भारत के लिए बड़ी खुशखबरी देने का काम किया है। भारत में गरीबी को लेकर लंबे समय से चर्चाएं होती रही हैं, लेकिन हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी की गई नई रिपोर्ट ने एक सकारात्मक तस्वीर पेश की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत की extreme poverty rate यानी अत्यधिक गरीबी दर में पिछले एक दशक में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गई है।
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि गरीबी रेखा को परिभाषित करने की पद्धति और सीमा रेखा को भी अपडेट किया गया है। पिछले कुछ साल से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी गरीबी को लेकर ये दावा करते आए हैं। प्रधानमंत्री ने कई बार कहा था कि, उनकी सरकार ने करोड़ों परिवारों को गरीबी से बाहर निकाला है। लेकिन आज हम World Bank की रिपोर्ट को समझने की कोशिश करते हैं। आइए इस पूरी रिपोर्ट और उसके प्रभावों को विस्तार से समझते हैं।
1. गरीबी राख में बदलाव: नया मानक
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में गरीबी की परिभाषा को अद्यतन करते हुए, low-income countries के लिए अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा को $2.15 प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से बढ़ाकर $3 कर दिया है। इसके अलावा lower-middle-income countries (LMIC) के लिए यह सीमा $3.65 से बढ़ाकर $4.20 कर दी गई है। भारत जैसे देशों के लिए यह अपडेट बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे गरीबी के आंकड़ों की वास्तविक तस्वीर सामने आती है।
2. India Poverty Rate की गिरती दर
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की extreme poverty rate 2011-12 में 27.1% थी, जो कि 2022-23 तक घटकर मात्र 5.3% रह गई है। इसका अर्थ ये है कि लगभग 270 मिलियन (27 करोड़) लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया है। जिसकी वजह से India Poverty Rate में सुधार हुआ है।
- 2011-12 में अत्यधिक गरीबों की संख्या: 344.47 मिलियन
- 2022-23 में अत्यधिक गरीबों की संख्या: 75.24 मिलियन
3. $4.20 poverty line पर भारत का प्रदर्शन
LMIC स्तर के नए poverty line ($4.20) के आधार पर भारत की गरीबी दर 2011-12 में 57.7% थी, जो 2022-23 तक घटकर 23.9% रह गई है।
- 2011-12: 732.48 मिलियन लोग गरीबी में
- 2022-23: 342.32 मिलियन लोग गरीबी में
4. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अंतर
India Poverty Rate पर आई रिपोर्ट से ये भी सामने आया है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच की गरीबी दर में अंतर घटा है।
- $2.15 poverty line के आधार पर:
- ग्रामीण गरीबी: 18.4% से घटकर 2.8%
- शहरी गरीबी: 10.7% से घटकर 1.1%
- ग्रामीण-शहरी अंतर: 7.7 से घटकर 1.7 प्रतिशत अंक
- $3.65 poverty line के आधार पर:
- ग्रामीण गरीबी: 69% से घटकर 32.5%
- शहरी गरीबी: 43.5% से घटकर 17.2%
- अंतर में 10% से ज्यादा की गिरावट
5. गरीबी में गिरावट के कारण
i. सरकारी योजनाएं और खाद्य सब्सिडी
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी स्कीम्स ने गरीबों तक मुफ्त या सस्ती दर पर खाद्यान्न पहुंचाया, जिससे India Poverty Rate में कमी आई।
ii. डिजिटल इंडिया और DBT (Direct Benefit Transfer)
भ्रष्टाचार में कमी और सीधा लाभ पहुंचाने की सरकारी नीतियों ने लोगों की जीवनशैली में सुधार किया। ये भी India Poverty Rate में सुधार का बड़ा कारण बना है।
iii. आर्थिक वृद्धि
पिछले एक दशक में भारत की GDP में लगातार वृद्धि ने रोज़गार और आय के नए अवसर पैदा किए और India Poverty Rate को बेहतर बनाया।
iv. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार
सरकारी स्कूलों, PM-JAY (आयुष्मान भारत), और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने गरीबों पर खर्च का बोझ कम किया। मोदी सरकार का ये कदम भी India Poverty Rate में सुधार की वजह बना।
6. विश्व बैंक की मान्यता
विश्व बैंक ने कहा है कि हाल के वर्षों में भारत में उपभोक्ता सर्वेक्षणों की गुणवत्ता और पहुंच में जबरदस्त सुधार हुआ है, जिससे गरीबी के आंकड़ों को और अधिक सटीकता से मापा जा सकता है। इससे ये सुनिश्चित होता है कि सरकार की नीतियों का असर सही रूप में मापा जा सके। इसके अलावा भी India Poverty Rate ठीक होने के कई कारण बताए जा रहे हैं।
7. नीति आयोग और अन्य सर्वे
नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रमण्यम ने भी पिछले वर्ष संकेत दिया था कि भारत की गरीबी दर 5% से भी कम हो सकती है, जो अब विश्व बैंक की रिपोर्ट से प्रमाणित होती दिख रही है।
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8. भविष्य की चुनौती: अस्थायी गरीबी
हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भले ही chronic poverty (दीर्घकालीन गरीबी) में गिरावट आई हो, लेकिन एक बड़ी जनसंख्या ऐसी भी है जो “accident of life” जैसे हालातों की वजह से फिर से गरीबी में फिसल सकती है।
इसलिए गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ poverty resilience यानी गरीबी से उबरने की क्षमता बढ़ाने पर भी ध्यान देना जरूरी है।
9.भारत की गरीबी पर आशाजनक तस्वीर
भारत की गरीबी दर में आई गिरावट देश की आर्थिक और सामाजिक नीतियों की सफलता को दर्शाती है। यह न केवल आर्थिक प्रबंधन की सफलता है, बल्कि यह गरीबों के जीवन में आई वास्तविक सुधार को भी दिखाता है। भारत ने न केवल अत्यधिक गरीबी को कम किया है, बल्कि inclusive growth यानी समावेशी विकास का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।



