Islamic Terrorism : आपको क्या लगता आतंकवाद का क्या धर्म होता है ?, सवाल गंभीर है लेकिन ये सवाल आज हर जुबान पर है। पहलगाम हमला, 26/11 समेत कई हमले भारत में हुए। तमाम हमलों में आतंकी एक ही धर्म के आपको देखने को मिलेंगे। लेकिन सिर्फ भारत इससे पीड़ित नहीं है बल्कि दुनिया के कई देश इस आतंकवाद का सामना कर रहे हैं। भारत में हो रहे आतंकवाद की चर्चा जरुर हो रही है। लेकिन कई देशों में आतंकवाद के कहर का कहीं कोई जिक्र नहीं है। आज हम आपको नाइजीरिया में ईसाई समुदाय पर हो रहे Islamic Terrorism के अत्याचार का दर्द सामने रखने जा रहे हैं।
Islamic Terrorism के इस अत्याचार को दुनिया Zabarmari Massacre के नाम से जानती है। अफ्रीकी देश नाइजीरिया में ईसाई समुदाय के सैकड़ों लोगों की निर्मम हत्याएँ मीडिया और सोशल मीडिया से गायब हैं। मार्च से अप्रैल 2025 तक, मुस्लिम फुलानी चरमपंथियों (Islamic Terrorism) द्वारा 126 से अधिक ईसाइयों की हत्या की गई, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। Islamic Terrorism अभी भी जारी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है।
नाइजीरिया में Islamic Terrorism
नाइजीरिया के प्लेट्यू राज्य में ईसाई समुदाय लगातार Islamic Terrorism की हिंसा का शिकार हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिर्फ 27 मार्च से 13 अप्रैल के बीच 126 ईसाइयों की हत्या हुई है। इनमें से कई मामलों में पीड़ितों के सिर कुल्हाड़ी से काट दिए गए। एक सात वर्षीय बच्चे नेनचे स्टीवन को भी गला रेतकर मारने का प्रयास किया गया, जबकि उसके पिता की हत्या कर दी गई और माँ के हाथ काट दिए गए।
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फुलानी चरमपंथियों का Zabarmari Massacre
फुलानी चरमपंथी, जो मुख्य रूप से मुस्लिम हैं, नाइजीरिया के मध्य प्रांत में 2018 से ही ईसाई बहुल इलाकों में हमले कर रहे हैं। उनका मकसद ईसाइयों को उनकी जमीनों से बेदखल करना और इस्लामी प्रभुत्व स्थापित करना है। फ्रांस 24 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेनुए राज्य में पिछले सप्ताह 56 लोगों की हत्या हुई।

हाल के हमलों की सूची
GENOCIDE WATCH की रिपोर्ट के मुताबिक हाल के हमले:
– 24 मार्च 2025: 19 वर्षीय एक महिला का अपहरण और चार दिन तक सामूहिक बलात्कार।
– 2 अप्रैल: 15 गाँवों पर हमले में 56 ईसाइयों की मौत, 5,000 से अधिक विस्थापित।
– 6 अप्रैल: इमैनुएल दाऊ और बिट्रस ग्यांग म्वांजा की हत्या।
– 10-13 अप्रैल: कई गाँवों में हमले, 56 लोग मारे गए (15 बच्चे सहित), 2,000 से अधिक विस्थापित।
सरकार और सेना की निष्क्रियता
नाइजीरियाई सरकार और सेना की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। क्रिश्चियन सॉलिडैरिटी इंटरनेशनल के अध्यक्ष डॉ. जॉन ऐबनेर ने कहा, “नाइजीरिया का सुरक्षा तंत्र वित्तपोषित होने के बावजूद असफल रहा है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।”
Zabarmari Massacre पर दुनिया की चुप्पी
Zabarmari Massacreपर वैश्विक मीडिया और संयुक्त राष्ट्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। एक्टिविस्ट्स सवाल उठा रहे हैं कि क्या ईसाइयों की हत्याएँ मानवाधिकारों के उल्लंघन के दायरे में नहीं आतीं? जीनोसाइड वाच के अनुसार, साल 2000 से अब तक 62,000 से ज्यादा नाइजीरियाई ईसाइयों की हत्या हो चुकी है।
नाइजीरिया में ईसाई समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उचित ध्यान नहीं मिल रहा है। ये चुप्पी मानवाधिकारों के चुनिंदा पैमाने को उजागर करती है। विश्व समुदाय और मीडिया को इस मुद्दे पर आवाज़ उठानी चाहिए ताकि नाइजीरिया में शांति और न्याय स्थापित हो सके।
Zabarmari Massacre को रोकना सिर्फ एक देश की जिम्मेदारी नहीं है। Zabarmari Massacre आतंकवाद का घिनौना रूप है। आतंकवाद को रोकने के लिए दुनिया के हर देश को साथ आना होगा। अगर दुनिया आज Zabarmari Massacre जैसे आतंक के खिलाफ नहीं बोलेगी। तो यकीन मानिए आज नाइजीरिया पीड़ित है, भारत पीड़ित है। कल ऐसा ही आतंकवाद कहीं आपके घर तक न पहुंच जाए। कल फिर कोई पहलगाम में आतंकी हमला न हो, कल फिर कोई बच्चा अपने माता-पिता को आतंक और धर्म के नाम पर न खोए।