Jawaharlal Nehru Panchsheel Agreement (1954): भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी उठता है कि Pandit Jawaharlal Nehru ने भारत की जमीन China को क्यों दी? क्या उन्होंने इसे स्वेच्छा से दिया या परिस्थितियों के कारण ऐसा हुआ? आइए, इस पूरे विवाद को समझते हैं।
What is Panchsheel Agreement ?
1950 के दशक में China ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया, जिससे भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ने लगा। भारत ने Panchsheel Agreement (1954) के तहत China के साथ Peaceful Co-existence की नीति अपनाई। लेकिन इसके बावजूद China ने धीरे-धीरे Aksai Chin पर अपना दावा ठोक दिया।
1959 में China ने Aksai Chin में Road बना ली, लेकिन Nehru सरकार ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी। Nehru की Hindi-Chini Bhai Bhai Policy के चलते भारत ने China के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया।
Jawaharlal Nehru on Aksai Chin
1962 के Indo-China War से पहले जब संसद में इस मुद्दे पर सवाल उठाया गया, तो Jawaharlal Nehru ने कहा:
“वो (Aksai Chin) एक ऐसा क्षेत्र है जहां न घास उगती है, न इंसान रहता है। उस निर्जन भूमि को लेकर हमें इतना परेशान नहीं होना चाहिए।”
ये बयान तब आया जब MP Mahavir Tyagi ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि अगर सिर गंजा हो जाए, तो क्या उसे काटकर फेंक देना चाहिए?
क्या नेहरू ने जानबूझकर China को जमीन दी?
नेहरू की नीति Peaceful Diplomacy पर आधारित थी, लेकिन चीन की विस्तारवादी सोच ने भारत को गहरी चोट पहुंचाई। Nehru सरकार Aksai Chin पर चीन की गतिविधियों को रोकने में असफल रही, जिससे 1962 में Indo-China War हुआ और भारत को हार का सामना करना पड़ा।
नेहरू की Diplomacy और Strategic Miscalculations की वजह से China ने Aksai Chin पर कब्जा कर लिया। अगर भारत ने समय पर कड़ा रुख अपनाया होता, तो शायद ये जमीन आज भी भारत के पास होती। History में येWhat is Panchsheel class 12 फैसला Nehru Government की एक बड़ी भूल के रूप में देखा जाता है।