Muslim Waqf Act : केंद्र सरकार (Modi Sarkar) आज (2 अप्रैल) को Waqf Amendment Bill लोकसभा में पेश करने जा रही है, जिसे लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर जबरदस्त tussle चल रही है। इसी बीच, BJP सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने इस बहस को नया मोड़ दिया है।
उन्होंने Mohammad Ali Jinnah का जिक्र किया। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, “1911 में Jinnah मुस्लिम वक्फ एक्ट लेकर आए थे और 1954 तक इसे ‘जिन्ना लॉ’ के नाम से जाना जाता था। हिंदुओं और मुसलमानों के अलग-अलग कानूनों ने इस देश में विभाजन को जन्म दिया।” अब सवाल ये उठता है कि Jinnah का Muslim Waqf Act क्या था और ये क्यों लाया गया था?
जिन्ना और मुसलमान वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट, 1913
20वीं सदी की शुरुआत में Mohammad Ali Jinnah भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। वे एक नामी वकील थे और शुरुआती दौर में हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक माने जाते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1911-1913 के बीच जिन्ना ने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के तहत Imperial Legislative Council में एक महत्वपूर्ण कानून पेश करने में अहम भूमिका निभाई। इसे Mussalman Wakf Validating Act, 1913 कहा जाता है।
इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों से जुड़े कानूनी विवादों को सुलझाना था। 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश अदालतों और Privy Council द्वारा दिए गए कुछ फैसलों ने वक्फ संपत्तियों की वैधता पर सवाल खड़े कर दिए थे। खासतौर पर, 1894 में Abdul Fata Binnat Sainad Case में यह निर्णय दिया गया था कि यदि कोई वक्फ अपने परिवार के लाभ के लिए बनाया गया है, तो वह इस्लामी कानून के तहत वैध नहीं होगा।
इस फैसले ने भारत में मुस्लिम समाज के बीच चिंता पैदा कर दी, क्योंकि पारिवारिक वक्फ (Wakf-alal-aulad) उनकी परंपरा का हिस्सा था। इस स्थिति को ठीक करने के लिए मुस्लिम नेताओं ने ब्रिटिश सरकार से एक नया कानून लाने की मांग की। Jinnah, जो उस समय Imperial Legislative Council के सदस्य थे, ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया।
मोदी सरकार का Waqf Board Bill कांग्रेस के बिल से कितना अलग ?
7 मार्च 1911 को ये bill पेश किया गया और संशोधनों के साथ 1913 में पारित हो गया। ये कानून 7 मार्च 1913 से लागू हुआ। इसका मुख्य मकसद ये था कि Family Waqf को कानूनी मान्यता मिले और Privy Council के फैसले से उपजे असमंजस को खत्म किया जा सके।
क्या 1954 तक इसे ‘जिन्ना लॉ’ कहा जाता था?
Nishikant Dubey का दावा है कि 1954 तक इसे Jinnah Law कहा जाता था, लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेजों में ऐसा कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता। हालांकि, चूंकि ये जिन्ना की पहल पर लाया गया था, इसलिए इसे Jinnah Law के तौर पर जोड़ा जाता है। लेकिन आधिकारिक रूप से इसका नाम हमेशा Mussalman Wakf Validating Act, 1913 ही रहा।
बाद में, 5 अगस्त 1923 को Mussalman Wakf Act, 1923 पारित किया गया, जिसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े कई नियम तय किए गए।
1954 में नया वक्फ एक्ट और उसके बाद के बदलाव
आजादी के बाद भारत सरकार ने वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए 1954 में एक नया Waqf Act बनाया। इसके तहत Waqf Boards का गठन किया गया, जो वक्फ संपत्तियों की देखरेख करते थे। इसके बाद 1995 और 2013 में भी इस कानून में संशोधन किए गए।
अब Modi Government फिर से इसमें संशोधन करने जा रही है, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को और मजबूत किया जा सके। Opposition इस संशोधन को लेकर सरकार को घेर रहा है और आरोप लगा रहा है कि ये मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक कदम है।
वहीं, सरकार का कहना है कि ये संशोधन transparency और accountability बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। अब देखना ये होगा कि ये बिल संसद में कितनी आसानी से पारित होता है और क्या सरकार और विपक्ष के बीच कोई आम सहमति बन पाती है या नहीं।