केरल के कन्नूर की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने एक मदरसे के Maulana को 13 वर्षीय छात्रा के साथ बार-बार यौन शोषण करने के आरोप में 187 साल की कैद की सजा सुनाई है। ये मामला 2020 से 2022 के बीच का है, जब देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा था।
कौन है अभियुक्त?
- आरोपी Maulana मुहम्मद रफी (41 वर्ष) पहले से ही 2018 में एक 10 साल की बच्ची के साथ यौन शोषण के मामले में जेल में बंद था।
- नई घटना में, उसने मदरसे में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा को क्लासरूम में बुलाकर बार-बार यौन हिंसा की।
- पीड़िता के माता-पिता ने उसके पढ़ाई में गिरावट और व्यवहार को देखते हुए मनोवैज्ञानिक से संपर्क किया, जहां उसने शिक्षक के अत्याचार का खुलासा किया।
Maulana को 187 साल की सजा कैसे?
सरकारी अभियोजक शेरिमोल जोस ने बताया कि अदालत ने पॉक्सो एक्ट और IPC की विभिन्न धाराओं के तहत सजा सुनाई, जो इस प्रकार है:
1. पॉक्सो एक्ट के तहत सजा
- धारा 5(T): नाबालिग के साथ पैनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट – 50 साल कैद + 5 लाख जुर्माना
- धारा 5(F): शिक्षक के रूप में विश्वासघात – 35 साल कैद + 1 लाख जुर्माना
- धारा 5(L): दोबारा यौन अपराध – 35 साल कैद + 1 लाख जुर्माना
- धारा 3(A) व 3(D): ओरल सेक्स सहित यौन हिंसा – 20-20 साल कैद + 50-50 हजार जुर्माना
2. भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत
- धारा 376(3): 16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप – 25 साल कैद + 1 लाख जुर्माना
- धारा 506(2): धमकी देने के लिए – 2 साल कैद
क्या 187 साल जेल में रहेगा आरोपी?
- नहीं, क्योंकि भारतीय कानून में “क्रमिक सजा” (Consecutive Sentence) का प्रावधान नहीं है।
- सभी सजाएं एक साथ (Concurrently) चलेंगी, जिसमें अधिकतम 50 साल की सजा होगी।
- इसका मतलब है कि रफी को जीवनभर जेल में रहना पड़ सकता है।
यौन अपराधियों के खिलाफ सख्त फैसले
ये केरल का दूसरा मामला है, जहां किसी यौन अपराधी को जीवन से ज्यादा सजा सुनाई गई है:
1. पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी का मामला (60 साल की सजा)
- 2016 में, एक 16 साल की लड़की के साथ रेप किया, जिससे उसका गर्भवती होना पाया गया।
- बाद में पीड़िता ने अपराधी से शादी की अनुमति मांगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया।
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2. मदरसा Maulana का मामला (187 साल)
- दोबारा अपराध करने वाले शिक्षक को सबसे कड़ी सजा।
- अदालत ने “शिक्षक-छात्र संबंध में विश्वासघात” को गंभीर माना।
क्या 187 साल की सजा उचित?
- बी.टी. वेंकटेश (वरिष्ठ अधिवक्ता): “भारत में आमतौर पर आजीवन कारावास या फांसी दी जाती है। अमेरिका जैसे देशों में ही 100+ साल की सजा होती है।”
- शेरिमोल जोस (सरकारी वकील): “ये सजा एक संदेश है कि बच्चों के साथ यौन हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
कानून का सख्त पालन
केरल की अदालत ने इस फैसले के जरिए बाल यौन शोषण के खिलाफ शून्य सहनशीलता का संदेश दिया है। हालांकि, व्यावहारिक रूप से 50 साल से अधिक सजा संभव नहीं है, लेकिन ये फैसला भविष्य के अपराधियों के लिए एक चेतावनी है।