पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित चित्रकूट पहुंचे थे. यहां पर अरविंद भाई मफतलाल की 100वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वे जगदगुरु रामभद्राचार्य की किताबों का विमोचन करने पहुंचे तो वहां कुछ ऐसा हुआ, जिसे देखने के बाद सभी हैरान रह गए. जगदगुरु रामभद्राचार्य ने पीएम मोदी के आते ही उनका सिर अपनी छाती से लगा लिया. उन्होंने ये काम इतनी तेजी से किया कि खुद पीएम मोदी भी हैरान रह गए.nपीएम मोदी को भी थोड़ी देर के लिए समझ नहीं आया कि जगदगुरु क्या करना चाह रहे हैं लेकिन जब उन्होंने पीएम मोदी का सिर अपनी छाती से लगाया तो उनको समझ आया कि पीएम मोदी के लिए वे अपने प्रेम को जाहिर कर रहे हैं.nइसके बाद जगदगुरु ने पीएम मोदी और राज्यपाल मंगू भाई पटेल से गुजराती भाषा में बात की और उनका स्वागत किया तो यह सुनकर भी दोनों काफी हैरान हुए और उसके बाद पीएम मोदी भी जगदगुरु रामभद्राचार्य की तारीफ किए बिना नहीं रह सके.nपीएम मोदी ने जगदगुरु रामभद्राचार्य की तीन किताबों का विमोचन किया. इसके बाद पीएम मोदी ने कहा कि रामभद्राचार्य जी जन्म से नेत्रहीन हैं लेकिन नेत्रों के बिना भी उन्होंने संस्कृत साहित्य को और सनातन धर्म को ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए बड़ा योगदान दिया है. इसलिए हमारी सरकार ने जगदगुरु को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा था.nपीएम मोदी ने कहा कि दुनिया की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में संस्कृत में रिसर्च होती है. गुलामी के एक हजार साल के कालखंड में भारत को तरह-तरह से उखाड़ने का प्रयास किया और इन्हीं में से एक था संस्कृत भाषा का पुरी तरह से विनाश. लेकिन आजादी के बाद जिन लोगों में गुलामी की मानसिकता थी, उन्होंने संस्कृत भाषा का उत्थान नहीं होने दिया. दूसरे देश की भाषा जानने को ये लोग पसंद करते हैं लेकिन संस्कृत को पिछड़नेपन की भाषा मानते हैं. संस्कृत केवल परंपराओं की भाषा नहीं है. ये हमारी पहचान की भाषा भी है. बीते 9 सालों में हमने संस्कृत के विकास में काफी काम किए हैं.