संसद से लेकर सड़क तक, कांग्रेस इन दिनों ओबीसी-ओबीसी का राग अलापने में लगी है. आपको राहुल गांधी के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस तो याद होगी…जिसमे वो तल्खी से पूछते हैं कि, यहां कितने ओबीसी हैं? उनका ये सवाल, वहां मौजूद पत्रकारों से था. लेकिन, जब जवाब में कोई हाथ नहीं उठा, तो राहुल बाबा बिफर उठते हैं. कहने लगे कि, ‘यही देश में ओबीसी का हाल है. ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है.’ nऐसे में लोगों को उम्मीद थी कि, 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ओबीसी वर्ग पर खास फोकस करेगी. और इसी वर्ग के लोगों को ज्यादा टिकट दिए जाएंगे. लेकिन, जैसे ही एमपी के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो, कांग्रेस की अवसरवादी राजनीति की पोल खुल गई. या यूं कहें कि, कांग्रेस का दोहरा चरित्र लोगों के सामने आ गया. nदरअसल, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. पहली सूची में कांग्रेस ने पूर्व सीएम कमलनाथ सहित कुल 144 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है. कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में सिर्फ और सिर्फ 19 महिला, 1 मुस्लिम और 39 OBC उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इसके अलावा, इस लिस्ट में अनुसूचित जाति के 22, आदिवासी वर्ग के 30 प्रत्याशी शामिल हैं. nकांग्रेस की इस लिस्ट से कांग्रेस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. पहला सवाल कि, जातीय जनगणना के नाम ओबीसी का राग अलापने वाली कांग्रेस की पहली कैंडिडेट लिस्ट में 47 उम्मीदवार जनरल कैटेगरी से हैं. यानी जब बात वोट मांगने की हो तो कांग्रेस, ओबीसी कार्ड खेलने लगती है. और जब नंबर टिकट बांटने का आता है तो, वही कांग्रेस जनरल कैटेगरी पर दांव लगाती है.nइसके अलावा, लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा देने वाली कांग्रेस ने इस लिस्ट में सिर्फ 19 महिलाओं को टिकट दिया है. इतना ही नहीं…कांग्रेस खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी बताती है. लेकिन, एमपी में उन्होंने सिर्फ एक मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाया है. यही कांग्रेस है, जो कहती कुछ और करती कुछ है…लेकिन, कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि…ये दोहरा चरित्र हमेशा तकलीफ दायक होता है. बता दें कि, मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होना है. वहीं, 3 दिसंबर को यह फैसला हो जाएगा कि, प्रदेश में बीजेपी की सत्ता बरकरार रहेगी या कांग्रेस की सरकार बनेगी.