Murshidabad Riots : पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला इन दिनों हिंसा की आग में जल रहा है। केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून (Waqf Act 2025) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखते ही देखते खूनी बवाल में बदल गया। अब तक इस हिंसा में तीन लोगों की जान जा चुकी है, सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं।
हिंसा इतनी तेजी के सात फैली की कई परिवारों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर शरण लेनी पड़ी है। हालात की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने इलाके में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी है। साथ ही हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में चौकसी और निगरानी और कड़ी कर दी गई है।
Murshidabad Riots में बड़ा खुलासा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये हिंसा अचानक नहीं भड़की, बल्कि इसकी प्लानिंग पिछले कई महीनों से की जा रही थी। जानकारी के मुताबिक, तीन महीने पहले ही कुछ तत्वों ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया था। सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि इस साजिश को अंजाम देने के लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी, जिसमें तुर्की का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहा है।
एजेंसियों ने जांच के दौरान पाया कि ये पूरी योजना भारत में सांप्रदायिक तनाव और अराजकता फैलाने के उद्देश्य से बनाई गई थी। दो महीने पहले एटीबी (अल-तहरीर बांग्ला) के दो महत्वपूर्ण सदस्य मुर्शिदाबाद आए थे। उन्होंने कुछ स्थानीय युवाओं से संपर्क कर कहा था कि “जल्द ही एक बड़ी दावत होगी”, लेकिन असल में वे एक ट्रिगर प्वाइंट का इंतजार कर रहे थे।
पहले रामनवमी को लेकर हिंसा भड़काने की कोशिश की जानी थी, लेकिन सुरक्षा कारणों से वो योजना सफल नहीं हो सकी। बाद में जब केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन कानून लाया, तो वह ट्रिगर प्वाइंट बन गया और योजनाबद्ध तरीके से हिंसा भड़काई गई।
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Murshidabad Riots में 500 रुपये का कनेक्शन
जांच में पता चला है कि पत्थरबाजी और लूटपाट में शामिल लोगों को 500-500 रुपये प्रति व्यक्ति दिए गए थे। इन लोगों की बाकायदा ट्रेनिंग की गई थी और उन्हें निर्देश दिया गया था कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, रेलवे लाइनों को बाधित करना, हिंदू समुदाय पर हमला करना और दुकानों-घरों में लूटपाट करना उनका मुख्य लक्ष्य होगा।
यही नहीं, हमला करने वालों को बताया गया था कि जितनी अधिक तोड़फोड़ वे करेंगे, उतना अधिक पैसा मिलेगा। इस काम के लिए बाकायदा एक सूची तैयार की गई थी, जिसमें हमलावरों को उनके कार्य के हिसाब से भुगतान की योजना थी।
Murshidabad Riots में तुर्की का हाथ?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हिंसा की फंडिंग तुर्की के माध्यम से की गई थी। तुर्की से पैसे मुहैया कराए गए और मुर्शिदाबाद के कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने इनका इस्तेमाल कर युवाओं को भड़काया। एजेंसियों को ये भी आशंका है कि साजिशकर्ताओं का मकसद बंगाल में वैसी ही स्थिति पैदा करना था जैसी कुछ समय पहले बांग्लादेश में धार्मिक दंगों के दौरान देखी गई थी।
Murshidabad Riots पर अपील
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने घटना पर दुख जताते हुए लोगों से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा, “हर किसी को संविधान के तहत शांतिपूर्वक विरोध का अधिकार है, लेकिन कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। कानून को तोड़ने वाले चाहे कोई भी हों, उन पर सख्त कार्रवाई होगी।”
10 अप्रैल से Murshidabad Riots जारी
बता दें कि मुर्शिदाबाद में हिंसा की शुरुआत 10 अप्रैल से हुई थी। शुरुआत में प्रदर्शन शांतिपूर्ण था लेकिन धीरे-धीरे ये हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया, सड़कों को जाम किया और रेलवे संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया। हालात को काबू में करने के लिए पहले से तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 300 जवानों के अलावा केंद्र सरकार ने पांच अतिरिक्त कंपनियां भी भेजी हैं।
राजनीतिक माहौल पर भी असर, लोग डरे-सहमे
बंगाल में विधानसभा चुनाव अभी करीब एक साल दूर हैं, लेकिन इस हिंसा ने राजनीतिक माहौल में भी गर्मी ला दी है। लोगों के बीच डर और बेचैनी का माहौल है। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या सरकार इस साजिश के मास्टरमाइंड तक पहुंच पाती है या नहीं।