Muslim Women का खतना कैसे होता है, Video देख नहीं आएगी नींद

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Muslim Women: भारत और दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं के खतने की परंपरा एक संवेदनशील और विवादित विषय रही है। खासकर मुस्लिम समुदाय के कुछ विशेष पंथों में ये रिवाज आज भी प्रचलित है। ये परंपरा “महिला खतना” या “फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM)” के नाम से जानी जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र (UN) इसे एक हानिकारक प्रथा मानते हैं, लेकिन फिर भी कुछ समुदायों में इसे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के तहत जरूरी समझा जाता है। भारत में आज भी मुस्लिम समाज महिलाओं का खतना करा रहा है। Female genital कितना खतरनाक होता है ये आज आपको समझाते हैं।

Muslim Women का खतना क्यों ?

महिलाओं का खतना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लड़कियों के बाहरी जननांग के किसी हिस्से को आंशिक या पूर्ण रूप से काट दिया जाता है। ये प्रक्रिया आमतौर पर बचपन में – 7 से 12 वर्ष की उम्र के बीच – करवाई जाती है। ये पुरुषों के खतने से बिल्कुल अलग होती है, क्योंकि इसमें केवल सफाई या स्वास्थ्य कारण नहीं, बल्कि सेक्सुअल नियंत्रण की मानसिकता जुड़ी होती है।

मुस्लिम समुदाय में खतना कहां होता है?

भारत में मुस्लिम समुदाय की एक विशेष शाखा – दाऊदी बोहरा समुदाय – में ये परंपरा विशेष रूप से प्रचलित है। बोहरा Muslim Women, मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान के क्षेत्रों में निवास करती हैं, और उनमें ये मान्यता है कि खतना धार्मिक जिम्मेदारी है। इसे “ख़फ़्ज़” कहा जाता है।

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Muslim Women खतना मान्यता?

बोहरा समुदाय में महिलाओं के खतने को धार्मिक मान्यता दी जाती है। उनका मानना है कि ये इस्लाम के आदेशों के अनुसार किया जाता है, हालांकि कुरान में इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है। परंपरा के अनुसार खतना इसलिए किया जाता है:

  1. सेक्सुअल इच्छाओं को नियंत्रित करने के लिए:
    मान्यता है कि महिला की यौन इच्छाओं को नियंत्रित करने से वो शादी के बाहर यौन संबंध नहीं बनाएगी।
  2. धार्मिक पवित्रता:
    कुछ लोग मानते हैं कि खतना से महिला धार्मिक रूप से “पवित्र” होती है और ये उसका आध्यात्मिक कर्तव्य है।
  3. परंपरा का पालन:
    कई परिवारों में ये केवल इसलिए किया जाता है क्योंकि उनकी मां, दादी और पुरखियों ने भी ये करवाया था। इसे पहचान और विरासत से जोड़ा जाता है।

खतना की प्रक्रिया कैसी होती है?

खतना आमतौर पर पारंपरिक दाइयों द्वारा किया जाता है, जो बिना किसी चिकित्सा प्रशिक्षण के ये कार्य करती हैं। ये अक्सर गुप्त रूप से किया जाता है, बिना किसी डॉक्टर या अस्पताल के। कई बार माता-पिता बच्ची को बिना कुछ बताए किसी महिला के पास ले जाते हैं, और वहां जननांग के एक छोटे हिस्से को काट दिया जाता है। इसमें:

  • तेज दर्द होता है
  • संक्रमण का खतरा होता है
  • मानसिक और शारीरिक आघात लग सकता है

कुछ मामलों में ये प्रक्रिया असुरक्षित रूप से की जाती है, जिससे गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। (Muslim Women)

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Muslim Women के खतना पर कानून ?

भारत में FGM पर कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन आईपीसी की विभिन्न धाराएं इसे अपराध मानती हैं, जैसे:

  • धारा 326 (गंभीर चोट पहुंचाना)
  • बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन (POCSO एक्ट के तहत)

2017 में मुंबई की एक NGO “सहियो” ने सुप्रीम कोर्ट में इस प्रथा के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसके बाद ये मुद्दा राष्ट्रीय बहस का विषय बना। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ इसे महिला अधिकारों का हनन मानते हैं और इसे पूरी दुनिया में समाप्त करने की अपील कर चुके हैं।

समुदाय के भीतर विरोध की आवाज़ें

बोहरा समुदाय के भीतर भी कई महिलाएं इस प्रथा के खिलाफ खुलकर बोल रही हैं। कई पीड़ित महिलाओं ने बताया है कि उन्हें इसका मानसिक आघात वर्षों तक सताता रहा। कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया और मंचों के माध्यम से #EndFGM जैसे कैंपेन शुरू किए हैं।

मुस्लिम महिलाओं का खतना एक ऐसी परंपरा है जिसे धार्मिक कर्तव्य के रूप में देखा जाता है, लेकिन ये न सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि बच्चियों के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। समय की मांग है कि इस पर खुलकर बातचीत हो, कानून को सख्त किया जाए, और जागरूकता के माध्यम से इसे समाज से खत्म किया जाए।

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