Ghaziabad में हाउस टैक्स बढ़ोतरी पर भड़का जनआक्रोश

महापंचायत को समाज सेवक सुधीर श्रीवास्तव ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कड़े शब्दों में नगर निगम के टैक्स बढ़ाने के फैसले का विरोध किया। यहां उन्होंने नगर निगम को तुरंत टैक्स वापस लेने की मांग की।
Ghaziabad Nagar Nigam Tax VK News

गाजियाबाद – नगर निगम द्वारा अचानक 300 से 400 प्रतिशत तक हाउस टैक्स बढ़ाने के निर्णय ने पूरे शहर में हलचल मचा दी है। इस फैसले से Ghaziabad के इंदिरापुरम, वसुंधरा, वैशाली, कौशांबी और राजनगर एक्सटेंशन जैसी पॉश रिहायशी कॉलोनियों में रहने वाले लोगों में गहरा आक्रोश फैल गया है।

शनिवार को जयपुरिया सनराइज सोसाइटी क्लब हॉल में ‘गाजियाबाद कोलैबोरेशन’ के तत्वाधान में एक महापंचायत आयोजित की गई, जिसमें सैकड़ों रेजिडेंट्स और सोसाइटी प्रतिनिधियों ने एक स्वर में हाउस टैक्स वृद्धि को गैरकानूनी और जनविरोधी करार दिया। इस महापंचायत में सभी ने एक स्वर में बड़ा फैसला किया है।

Ghaziabad – टैक्स बढ़ोतरी ‘लूट’ और ‘अन्याय’

महापंचायत में उपस्थित नागरिकों का कहना था कि जब नगर निगम सदन में ये प्रस्ताव पास ही नहीं हुआ और मंत्री व विधायक की उपस्थिति में इसे निरस्त कर दिया गया, फिर अचानक इतनी भारी टैक्स वृद्धि कैसे और क्यों की गई? बैठक में कई वरिष्ठ नागरिकों, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) के पदाधिकारियों और सोसाइटी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि ये फैसला आम मध्यमवर्गीय परिवारों की आर्थिक स्थिति पर हमला है।

महापंचायत को समाज सेवक सुधीर श्रीवास्तव ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कड़े शब्दों में नगर निगम के टैक्स बढ़ाने के फैसले का विरोध किया। यहां उन्होंने नगर निगम को तुरंत टैक्स वापस लेने की मांग की। सुधीर श्रीवास्तव ने नगर निगम को चेतावनी देते हुए कहा कि, जल्द ही जनता की मांग नहीं मानी गई। तो आने वाले समय में बड़ी संख्या में लोग एकजुट होकर Ghaziabad Nagar Nigam के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने को विवश होंगे।

अनुरक्षण शुल्क भी बताया गया अवैध

बैठक में अनुरक्षण शुल्क (Maintenance Fee) को भी अवैध बताया गया। लोगों का कहना था कि:

  • अनुरक्षण शुल्क डेवलपर से लिया जाना चाहिए, रेजिडेंट से नहीं।
  • गेटेड सोसाइटीज में सभी सुविधाएं RWA और अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन द्वारा संचालित होती हैं, जो पहले से मेंटेनेंस शुल्क लेते हैं।
  • ऐसे में सरकारी सेवाओं की अनुपस्थिति में टैक्स लेने का कोई औचित्य नहीं है

महापंचायत की मांगें:

महापंचायत में निम्नलिखित प्रमुख मांगें उठाई गईं:

  1. एकतरफा टैक्स वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाए।
  2. नो सर्विस, नो टैक्स का सिद्धांत लागू किया जाए।
  3. अनुरक्षण शुल्क की वसूली बंद हो।
  4. गेटेड सोसाइटीज के लिए अलग टैक्स निर्धारण प्रणाली बनाई जाए।
  5. न्यायसंगत और पारदर्शी टैक्स पॉलिसी लागू की जाए।
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महापंचायत में कौन-कौन रहा उपस्थित?

महापंचायत में Ghaziabad के जाने-माने नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और RWA प्रतिनिधि शामिल हुए। मुख्य रूप से उपस्थित लोगों में शामिल रहे:

  • रोहित गुप्ता
  • सुधीर श्रीवास्तव
  • सी.पी. बालियान
  • डॉ. तरुण तेवतिया
  • अमित चौधरी
  • स्वाति चौहान
  • कविता सिंह
  • रविंद्र नाथ दुबे
  • वीरेंद्र सिंह
  • भूपिंदर सिंह
  • राकेश कुमार

इन सभी ने महापंचायत में स्पष्ट शब्दों में नगर निगम के फैसले को खारिज किया और जनहित में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।

पार्षदों ने भी जताया विरोध, बोर्ड मीटिंग बुलाने की मांग

महापंचयत से पहले इसी मुद्दे पर Ghaziabad नगर निगम मुख्यालय में मंगलवार को 20 पार्षदों ने बैठक की। पार्षदों ने स्पष्ट रूप से कहा कि:

  • हाउस टैक्स बढ़ोतरी को वापस लिया जाए
  • बोर्ड मीटिंग बुलाकर सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा की जाए
  • महापौर स्वयं इस विषय में स्थिति स्पष्ट करें

पार्षदों की मांग है कि आने वाले सोमवार को सभी पार्षद महापौर से मिलकर बोर्ड मीटिंग बुलाने की मांग करेंगे।

हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन

Ghaziabad नगर निगम के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि हाउस टैक्स वृद्धि का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, और अंतिम निर्णय कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही होगा। हालांकि जनता का कहना है कि जब मामला कोर्ट में है, तब तक किसी प्रकार की टैक्स वसूली स्थगित की जानी चाहिए।

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Ghaziabad की जनता क्या चाहती है?

गाजियाबाद के निवासियों की स्पष्ट मांग है:

  • हमें टैक्स देना मंजूर है, लेकिन सेवा के बदले।
  • जब सड़कों की हालत खस्ता हो, जब सीवर जाम हों, जब पानी की सप्लाई नियमित न हो — तो टैक्स क्यों?
  • गेटेड कम्युनिटी की अपनी व्यवस्थाएं हैं, ऐसे में सरकार दोहरी टैक्स वसूली क्यों कर रही है?

जनआवाज बनी आंदोलन की शुरुआत

Ghaziabad में हाउस टैक्स बढ़ोतरी पर जनप्रतिनिधियों से लेकर आम नागरिकों तक हर कोई नाराज है। लोग सवाल पूछ रहे हैं और जवाब मांग रहे हैं। अगर गाजियाबाद नगर निगम ने समय रहते जनता की आवाज नहीं सुनी, तो आने वाले दिनों में महापंचायत से आंदोलन तक का सफर तय करना पड़ सकता है। आखिरकार लोकतंत्र की असली ताकत जनता की एकता और आवाज होती है।

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