अहमदनगर, महाराष्ट्र – अहमदनगर का प्रसिद्ध Shani Shingnapur मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में मंदिर ट्रस्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 167 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया, जिनमें 114 कर्मचारी मुस्लिम समुदाय से हैं। इस फैसले ने महाराष्ट्र समेत पूरे देश में राजनीतिक और धार्मिक बहस को जन्म दे दिया है। आइए विस्तार से जानते हैं पूरी खबर।
Shani Shingnapur मंदिर में क्या हुआ?
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित Shani Shingnapur Mandir देशभर में आस्था का केंद्र है। ये मंदिर शनिदेव को समर्पित है और बिना दरवाजे वाले गांव के रूप में भी प्रसिद्ध है। लेकिन इस बार मंदिर किसी चमत्कार या परंपरा की वजह से नहीं, बल्कि 167 कर्मचारियों की बर्खास्तगी की वजह से चर्चा में है।
मंदिर ट्रस्ट ने ये निर्णय अपने प्रशासनिक अधिकारों के तहत लिया, लेकिन इस कार्रवाई के पीछे धार्मिक और राजनीतिक दबाव की भी बात सामने आ रही है।
कौन-कौन से विभागों से हटाए गए कर्मचारी?
Shani Shingnapur ट्रस्ट के अनुसार, बर्खास्त किए गए कर्मचारी मुख्य रूप से इन विभागों से जुड़े थे:
- कृषि विभाग
- कचरा प्रबंधन विभाग
- शिक्षा विभाग
ट्रस्ट ने दावा किया कि ये कर्मचारी पिछले 5 महीनों से बिना सूचना के गैरहाजिर थे और बार-बार चेतावनी के बावजूद कार्य पर नहीं लौटे।
ट्रस्ट का बयान: धर्म नहीं, अनुशासन कारण
शनि शिंगणापुर ट्रस्ट के ट्रस्टी अप्पासाहेब शेटे ने स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई में धर्म का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा:
“सभी कर्मचारियों को समय-समय पर चेतावनी दी गई थी। कई लोग लगातार अनुपस्थित थे और काम में गंभीर लापरवाही बरत रहे थे। इसलिए हमें यह कठोर निर्णय लेना पड़ा। धर्म के आधार पर कोई फैसला नहीं हुआ है।”
‘सकल हिंदू समाज की जीत’
हालांकि इस निर्णय को सिर्फ प्रशासनिक कदम मानना मुश्किल है, क्योंकि BJP आध्यात्मिक समन्वय मोर्चा के प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे हिंदू समाज की “विजय” बताया।
उन्होंने कहा: “हमने Shani Shingnapur मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति के खिलाफ मोर्चा निकाला था। ट्रस्ट को झुकना पड़ा। ये सकल हिंदू समाज की एकता की जीत है।” तुषार भोसले ने पहले ही 14 जून को आंदोलन की चेतावनी दी थी। लेकिन 13 जून को ही ट्रस्ट की आपात बैठक बुलाकर बर्खास्तगी का फैसला ले लिया गया।
सकल हिंदू समाजाचा आणि शनि भक्तांचा मोठा विजय !
अखेर हिंदू समाजाच्या दबावापुढे मंदिर व्यवस्थापन झुकले आणि ११४ मुस्लिम कर्मचाऱ्यांना काढून टाकले ! pic.twitter.com/6KAN3fIBBM
— Acharya Tushar Bhosale (@AcharyaBhosale) June 13, 2025
राजनीतिक और धार्मिक बहस तेज
इस पूरे घटनाक्रम के बाद राजनीतिक और धार्मिक बहस तेज हो गई है। विपक्षी दल इस फैसले को धार्मिक असहिष्णुता करार दे रहे हैं, जबकि समर्थक इसे अनुशासन की कार्रवाई बता रहे हैं। कुछ संगठनों का कहना है कि ट्रस्ट पर धार्मिक संगठनों का दबाव था और ये फैसला एक तरफा है।
Shani Shingnapur मंदिर कहां है?
Shani Shingnapur Mandir महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका में स्थित है। ये शनि देव को समर्पित मंदिर है जो कि दुनिया में अपनी तरह का अनोखा मंदिर माना जाता है।
शनि शिंगणापुर मंदिर की खासियत क्या है?
- बिना दरवाजों वाला गांव: शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) गांव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं होता, क्योंकि लोग मानते हैं कि शनिदेव की कृपा से गांव में चोरी नहीं होती।
- मूर्ति को छूने की मनाही: यहां शनि देव की काले पत्थर की मूर्ति खुले आसमान के नीचे विराजमान है। परंपरा के अनुसार, इसे कोई छू नहीं सकता।
- महिलाओं के प्रवेश पर बहस: पहले यहां महिलाओं के गर्भगृह में प्रवेश पर रोक थी, लेकिन 2016 में कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं को भी प्रवेश की अनुमति दी गई।
- दूर-दूर से भक्त: भारत ही नहीं, विदेशों से भी श्रद्धालु यहां शनिदेव का दर्शन करने आते हैं।
क्या ये धार्मिक भेदभाव है?
हालांकि ट्रस्ट ने इसे प्रशासनिक फैसला बताया है, लेकिन जिस तरह से बर्खास्त किए गए 167 कर्मचारियों में 114 मुस्लिम समुदाय से हैं, वह सवाल जरूर खड़े करता है। मानवाधिकार संगठनों और समाजसेवियों ने राज्य सरकार से जांच की मांग की है। वहीं राज्य सरकार की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया दो खेमों में बंट चुका है।
- एक वर्ग इसे हिंदू आस्था की रक्षा बता रहा है।
- वहीं दूसरा वर्ग इसे धार्मिक भेदभाव और नौकरी से वंचित करने की साजिश मान रहा है।
क्या ये धार्मिक दबाव?
शनि शिंगणापुर मंदिर में हुए इस निर्णय से देशभर में एक नई बहस शुरू हो गई है।
- क्या ये अनुशासनात्मक कार्रवाई थी?
- या फिर धार्मिक और राजनीतिक दबाव में लिया गया निर्णय?
ये सवाल अब राज्य सरकार, मंदिर ट्रस्ट और समाज के सामने खुला पड़ा है। आने वाले दिनों में इस पर कानूनी या प्रशासनिक कार्रवाई हो सकती है। धर्म और प्रशासन का टकराव अक्सर संवेदनशील विषय होता है। शनि शिंगणापुर जैसी जगह जहां आस्था सर्वोपरि है, वहां इस तरह की घटनाएं समाज को सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या धर्म और रोजगार के बीच संतुलन संभव है? Shani Shingnapur मंदिर के विवाद पर आप क्या कहेंगे कमेंट में जरूर बताएं।