ब्रिटेन की वीकली मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ के अनुसार एलीट क्लास के लोग पॉपुलिस्ट नेताओं को नापसंद कर सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिक्षित मतदाताओं के बीच समर्थन बढ़ता दिख रहा है. मैगजीन ने अपने आर्टिकल में उन वजहों को भी गिनाया है जो पीएम मोदी को तीसरे कार्यकाल की तरफ से लेकर जा रही हैं. भारत में 18वीं लोकसभा के लिए 19 अप्रैल से चुनावों का आगाज होगा और 4 जून को इसके नतीजें हम सब के सामने होंगे. nतीसरी बार जीतने की उम्मीद nइकोनॉमिस्ट ने, ‘Why India’s Elites Back Modi’ के टाइटल के साथ एक आर्टिकल लिखा, जिसमें तीन वजहों क्लास पॉलिटिक्स, अर्थशास्त्र, और ताकतवर शासन के लिए अभिजात वर्ग की प्रशंसा – यह समझाने में मदद करते हैं कि ऐसा क्यों है. इकोनॉमिस्ट ने इसे ‘मोदी विरोधाभास’ कहते हुए लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री को अक्सर डोनाल्ड ट्रंप जैसे दक्षिणपंथी पॉपुलिस्ट लोगों के साथ जोड़ा जाता है. लेकिन मोदी, जिनके तीसरी बार जीतने की उम्मीद है, कोई साधारण मजबूत व्यक्ति नहीं हैं. ज्यादातर जगहों पर, ट्रंप जैसे सत्ता-विरोधी लोकलुभावन लोगों के लिए समर्थन और ब्रेक्सिट जैसी नीतियों का यूनिवर्सिटी शिक्षा के साथ विपरीत संबंध होता है. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. इसे ही ‘मोदी विरोधाभास’ कहा गया है. nशिक्षित मतदाताओं में बढ़ी लोकप्रियता nआर्टिकल में गैलप सर्वे का हवाला देते हुए कहा गया है कि अमेरिका में यूनिवर्सिटी शिक्षा वाले केवल 26 फीसदी रेस्पॉन्डेंट्स ने ट्रंप को मंजूरी दी, जबकि बिना शिक्षा वाले 50 प्रतिशत ने इस प्रवृत्ति को पूरी तरह खारिज कर दिया. प्यू रिसर्च सर्वे के अनुसार साल 2017 में जिन 66% भारतीयों के पास प्राथमिक विद्यालय से अधिक शिक्षा नहीं थी, कहा कि उनके पास मोदी के बारे में ‘बहुत अनुकूल’ दृष्टिकोण था. लेकिन आज यह आंकड़ा बढ़कर 80 फीसदी हो गया है. nलोअर क्लास में भी मजबूत मोदी nसाल 2019 के आम चुनाव के बाद, एक पब्लिस पॉलिसी सर्वे में पाया गया कि डिग्री वाले करीब 42 प्रतिशत भारतीयों ने मोदी की BJP का समर्थन किया, जबकि केवल प्राथमिक-स्कूल शिक्षा वाले करीब 35 प्रतिशत लोगों ने ऐसा किया. सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के राजनीतिक वैज्ञानिक नीलांजन सरकार ने कहा कि बाकी पॉपुलिस्ट नेताओं की तरह, उनकी सबसे बड़ी पैठ लोअर क्लास के वोटर्स के बीच बनी है. nक्यों जरूरी हैं पीएम मोदी nअर्थशास्त्र को एक प्रमुख कारक के रूप में बताते हुए आर्टिकल में कहा गया है कि भारत की मजबूत जीडीपी वृद्धि, असमान रूप से वितरित होने के बावजूद, भारतीय उच्च-मध्यम वर्ग के आकार और धन में तेजी से वृद्धि कर रही है. इसमें कहा गया है कि साल 2000 के दशक की शुरुआत में कांग्रेस पार्टी को उच्च-मध्यम वर्ग के बीच मजबूत समर्थन प्राप्त था लेकिन 2010 के दशक में मंदी और भ्रष्टाचार घोटालों की एक श्रृंखला ने चीजों को बदल दिया. nआर्टिकल के मुताबिक, ‘लेकिन मोदी के कार्यकाल ने दुनिया में भारत की आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति को भी मजबूत किया है. साथ ही, कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि मजबूत शासन की एक खुराक की वास्तव में भारत को जरूरत है. उनका इशारा चीन और पूर्वी एशियाई देशों की तरफ था. उनके अनुभव से उनका मानना है कि मजबूत शासन आर्थिक विकास की बाधाओं को दूर कर सकता है.



