नई दिल्ली – Vaishakh Purnima हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा को कहा जाता है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से बहुत बड़ा महत्व है। Vaishakh Purnima 2025 का पर्व न केवल पूजा-पाठ और व्रत के लिए खास होता है, बल्कि ये बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है, जो भगवान बुद्ध की जयंती है। इस दिन व्रत रखने से शुभ फल प्राप्त होते हैं, और व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है।
आइए विस्तार से जानते हैं- वैशाख पुर्णिमा क्या है, वैशाख पुर्णिमा का व्रत कैसे रखें, वैशाख पुर्णिमा का व्रत रखने के लाभ और वैशाख पुर्णिमा व्रत कथा क्या है। हम ये जानकारी गीता प्रेस द्वारा लिखी गई व्रत कथा के आधार पर दे रहे हैं।
वैशाख पूर्णिमा क्या है? (What is Vaishakh Purnima?)
Vaishakh Purnima हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की अंतिम तिथि यानी पूर्णिमा को कहा जाता है। ये दिन धर्म, दान, स्नान और व्रत के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और विशेष पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ये तिथि भगवान विष्णु, सत्यनारायण, और गौतम बुद्ध की पूजा के लिए अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। Buddha Jayanti भी इसी दिन होती है, क्योंकि गौतम बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा को हुआ था।
वैशाख पूर्णिमा का व्रत कैसे रखें? (Vaishakh Purnima Vrat Vidhi)
Vaishakh Purnima व्रत रखने की प्रक्रिया सरल है लेकिन इसके नियमों का पालन पूरी श्रद्धा और पवित्रता से करना चाहिए। नीचे दी गई है step-by-step vrat vidhi:
सुबह की तैयारी:
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें, विशेषकर गंगा स्नान करना उत्तम माना गया है।
- साफ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को शुद्ध करें।
व्रत का संकल्प:
- भगवान विष्णु या सत्यनारायण जी की प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लें।
- “मैं आज वैशाख पूर्णिमा का व्रत रख रहा/रही हूं” – इस भावना से मन में संकल्प करें।
पूजा सामग्री:
- फल, पंचामृत, तुलसी पत्ते, दूध, घी, दीपक, फूल, अक्षत, नारियल, मिठाई
- सत्यनारायण व्रत कथा की पुस्तक या पंडित द्वारा पाठ
पूजा विधि:
- भगवान सत्यनारायण की विधिवत पूजा करें।
- पंचामृत से अभिषेक करें और प्रसाद चढ़ाएं।
- व्रत कथा सुनें या सुनाएं।
- अंत में आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
व्रत समाप्ति:
- व्रतधारी पूरे दिन फलाहार करते हैं। रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होता है।
- कई श्रद्धालु रात्रि जागरण (जागरण/कीर्तन) भी करते हैं।

वैशाख पूर्णिमा के व्रत के लाभ (Vaishakh Purnima Vrat Benefits)
वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन में कई शुभ फल मिलते हैं:
- मन की शुद्धि और शांति: यह व्रत मानसिक शांति प्रदान करता है।
- पापों का नाश: पूर्व जन्म या वर्तमान जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- धन-समृद्धि में वृद्धि: घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- संतान प्राप्ति: दंपतियों को संतान सुख प्राप्त हो सकता है।
- पर्यावरण और समाज कल्याण: इस दिन दान-पुण्य करना समाज और पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है।
वैशाख पूर्णिमा की व्रत कथा (Vaishakh Purnima Vrat Katha)
Vaishakh Purnima व्रत की कथा बहुत ही प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद मानी जाती है। कथा इस प्रकार है:
पुराने समय की बात है, एक निर्धन ब्राह्मण था जो जीवन यापन के लिए भिक्षा मांगता था। एक दिन एक साधु ने उसे वैशाख मास की पूर्णिमा को सत्यनारायण व्रत करने की सलाह दी। ब्राह्मण ने श्रद्धा से ये व्रत किया और धीरे-धीरे उसके जीवन में समृद्धि आने लगी।
उसी नगर का राजा, जिसे धन और सत्ता का अभिमान था, उसने इस व्रत को नजरअंदाज किया। परिणामस्वरूप उसके राज्य में अकाल, बीमारी और युद्ध जैसी समस्याएं आने लगीं। जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, तब उसने भी ये व्रत किया और राज्य में शांति और सुख लौट आया।
इस कथा का सार ये है कि सत्यनारायण व्रत से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
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Vaishakh Purnima 2025 Date and Time
- तिथि: 12 May 2025 (सोमवार)
- पूर्णिमा आरंभ: सुबह 10:30 बजे
- पूर्णिमा समाप्त: अगली सुबह 8:15 बजे
- व्रत और पूजा का श्रेष्ठ समय: दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक
इस दिन करें ये शुभ कार्य
- गंगा स्नान और दान करें
- बच्चों को शिक्षा सामग्री दान करें
- गरीबों को भोजन कराएं
- गायों को हरा चारा दें
- घर में दीपक जलाकर सकारात्मक ऊर्जा फैलाएं
Vaishakh Purnima न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि आत्मिक उन्नति और सामाजिक कल्याण के लिए भी एक पवित्र दिन है। व्रत, पूजा, कथा और दान जैसे कर्मों से व्यक्ति अपने जीवन को संतुलित, शांत और सकारात्मक बना सकता है। ये दिन जीवन में नई ऊर्जा भरता है और divine connection को मजबूत करता है। इस साल 2025 में आप भी Vaishakh Purnima का व्रत रखें, शुभ कर्म करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।