Vat Savitri Puja 2025 क्या है ?, वट सावित्री व्रत विधि क्या है ?

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Vat Savitri Puja 2025: नई दिल्ली – भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। ऐसे ही व्रतों में एक खास नाम है वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Virat 2025)। ये व्रत हिंदू समाज में विशेष रूप से सुहागन महिलाओं द्वारा रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए वट वृक्ष (Banyan Tree) की पूजा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा का श्रवण करती हैं।

आज हम आपको वट सावित्री व्रत की कथा, वट सावित्री व्रत क्या है ? सावित्री व्रत से क्या होता है, वट सावित्री व्रत पूजा विधि, व्रत का शुभ मुहूर्त, व्रत से क्या लाभ मिलते हैं और ये व्रत कौन-कौन कर सकता है। वट सावित्री व्रत से जुड़ा हर सवाल का जवाब आज आपको मिलने जा रहा है। लेकिन ध्यान रहे हमारी ये जानकारी अलग-अलग पंडितों से चर्चा के बाद तैयार की गई है।

वट सावित्री व्रत क्या है? (Vat Savitri Puja Kya Hai?)

वट सावित्री व्रत हिंदू महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। ये ज्येष्ठ मास की अमावस्या या वट पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस व्रत का मूल उद्देश्य अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लिए थे। तभी से ये व्रत महिलाओं द्वारा श्रद्धा और नियम से किया जाता है। ये व्रत उत्तर भारत, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Virat Vidhi)

इस दिन महिलाएं प्रातःकाल स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लेती हैं। व्रत की विधि इस प्रकार है:

1. स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
2. वट वृक्ष के पास जाकर उसकी पूजा करें।
3. वट वृक्ष को जल, दूध, सिंदूर, हल्दी और चंदन अर्पित करें।
4. वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा धागा या सूत 7, 21 या 108 बार लपेटें।
5. सावित्री और सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें।
6. अपने पति का आशीर्वाद लें और प्रसाद ग्रहण करें।

महिलाएं इस दिन दिनभर व्रत रखती हैं और कुछ महिलाएं निर्जला उपवास भी करती हैं।

वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri Vrat Katha)

पुराणों के अनुसार, प्राचीन समय में राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने सत्यवान नामक राजकुमार से विवाह किया। परंतु सत्यवान का जीवन अल्पकाल था। जब सत्यवान के जीवन का अंतिम दिन आया, सावित्री उसके साथ जंगल गईं। वहां यमराज उसके प्राण हरने आए। सावित्री ने यमराज का पीछा किया और अपने पति को लौटाने की प्रार्थना की।

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सावित्री की तपस्या, भक्ति और वचनबद्धता देखकर यमराज ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिए, जिनमें उसने सौ पुत्रों की माता बनने का वरदान मांगा। यमराज इस वरदान को देने पर विवश हुए और सावित्री को सत्यवान का जीवन लौटाना पड़ा। इस कथा से ये संदेश मिलता है कि सच्ची श्रद्धा और दृढ़ निश्चय से कुछ भी असंभव नहीं है।

वट सावित्री व्रत का मुहूर्त 2025 (Vat Savitri Vrat 2025 Date & Muhurat)

वट सावित्री व्रत 2025 में 28 मई (बुधवार) को रखा जाएगा।

तिथि: ज्येष्ठ अमावस्या
पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 6:00 बजे से 9:00 बजे तक
व्रत का समय: सूर्योदय से दोपहर 12 बजे तक

महिलाएं इस समय के भीतर व्रत, पूजा और कथा का श्रवण करती हैं।

वट सावित्री व्रत से क्या मिलता है? (Vat Savitri Vrat Se Kya Milta Hai?)

धार्मिक विश्वास है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से:

पति की उम्र लंबी होती है।
वैवाहिक जीवन सुखमय और समृद्ध रहता है।
संतान सुख और परिवार में शांति बनी रहती है।
सौभाग्य और अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है।

सावित्री व्रत से जीवन में आने वाली हर कठिनाई दूर होती है और स्त्रियों को मानसिक, आध्यात्मिक शक्ति भी मिलती है।

सावित्री व्रत कौन रख सकता है? (Savitri Vrat Kaun Rakh Sakta Hai?)

ये व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं करती हैं। परंतु कुछ अविवाहित कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति और विवाह में सफलता के लिए ये व्रत करती हैं। ये व्रत सभी उम्र की महिलाएं कर सकती हैं, जो अपने जीवन में सुख और परिवार की समृद्धि चाहती हैं।

सावित्री व्रत से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं और विशेष बातें

1. वट वृक्ष को त्रिदेवों का वास माना जाता है — ब्रह्मा, विष्णु और महेश।
2. व्रत के दौरान महिलाएं बिना जल ग्रहण किए व्रत पूरा करती हैं।
3. सावित्री व्रत में कथा सुनने का विशेष महत्व है।
4. इस व्रत का विशेष प्रभाव सौभाग्य वृद्धि और संतान सुख में होता है।
5. वट वृक्ष को पृथ्वी पर अमरता का प्रतीक माना जाता है।

वट सावित्री व्रत 2025 केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं की आस्था, भक्ति और शक्ति का प्रतीक है। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति के जीवन और परिवार की समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। आज के आधुनिक युग में भी ये परंपरा महिलाओं के मन में उतनी ही सजीव और शक्तिशाली बनी हुई है।

सावित्री व्रत हमें ये सिखाता है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से बड़े से बड़ा संकट भी टल सकता है।

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