Indus Waters Treaty : सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुआ एक महत्वपूर्ण समझौता है, जिस पर विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षर किए गए थे। ये समझौता सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को लेकर बनाया गया था, ताकि दोनों देशों के बीच जल विवाद को सुलझाया जा सके।
सिंधु नदी प्रणाली में छह प्रमुख नदियाँ शामिल हैं:
- सिंधु
- झेलम
- चेनाब (पश्चिमी नदियाँ – पाकिस्तान को अधिकार)
- रावी
- ब्यास
- सतलज (पूर्वी नदियाँ – भारत को अधिकार)
इस समझौते के तहत, पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) का 80% पानी पाकिस्तान को मिलता है, जबकि पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) का अधिकार भारत को प्राप्त है। हालाँकि, भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित सिंचाई और बिजली परियोजनाएं बनाने की अनुमति है।
#BreakingNews | विदेश मंत्रालय की प्रेस वार्ता : सिंधु जल समझौता हुआ स्थगित
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) April 23, 2025
अटारी चेक पोस्ट पूरी तरह से कर दिया बंद , पाकिस्तान को लेकर भारत ने लिए ठोस कदम : @MEAIndia
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सिंधु जल समझौता रद्द करने से क्या होगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CCS की अहम बैठक की। इस बैठक में कई बड़े कदम उठाए गए हैं। जिसमे से सिंधु जल समझौते को तुरंत रोकने का फैसला किया है। हालांकि, ये समझौता एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसे एकतरफा तोड़ना आसान नहीं है। फिर भी, भारत इस समझौते के प्रावधानों का पूरा उपयोग कर सकता है और पाकिस्तान को दिए जाने वाले पानी पर नियंत्रण कर सकता है।
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भारत के पास क्या विकल्प हैं?
- पानी रोकने का अधिकार: समझौते के अनुसार, भारत पश्चिमी नदियों के पानी का उपयोग हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स और सीमित सिंचाई के लिए कर सकता है। अगर भारत इन नदियों पर अधिक बांध बनाता है, तो पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति कम हो सकती है।
- समझौते को संशोधित करना: भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाकर समझौते में बदलाव की मांग कर सकता है, खासकर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के कारण।
- जल प्रवाह में कटौती: भारत पाकिस्तान को जाने वाले पानी की मात्रा को नियंत्रित कर सकता है, जिससे पाकिस्तान की कृषि और पनबिजली परियोजनाएं प्रभावित होंगी।
Indus Waters Treaty से पाकिस्तान को नुकसान?
अगर Indus Waters Treaty को रद्द कर दे या पानी का प्रवाह कम कर दे, तो पाकिस्तान को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं:
1. कृषि पर भारी संकट
- पाकिस्तान की 75% कृषि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है।
- अगर पानी की आपूर्ति कम होती है, तो गेहूं, चावल और कपास जैसी फसलों का उत्पादन गिर सकता है, जिससे खाद्य संकट पैदा होगा।
- पंजाब और सिंध प्रांत, जो पाकिस्तान के खाद्य उत्पादन का केंद्र हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
2. पनबिजली उत्पादन में गिरावट
- पाकिस्तान में बिजली उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा जलविद्युत पर निर्भर है।
- चेनाब और झेलम नदियों पर बने बांधों से पाकिस्तान को बिजली मिलती है। पानी कम होने से बिजली संकट बढ़ेगा।
3. आर्थिक मंदी और रोजगार में कमी
- कृषि क्षेत्र के संकट से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि कृषि उसके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 24% है।
- लाखों किसानों और मजदूरों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।
4. पेयजल संकट और पर्यावरणीय समस्याएं
- पाकिस्तान के शहरों को पीने का पानी भी सिंधु नदी से मिलता है। पानी की कमी से पेयजल संकट पैदा हो सकता है।
- नदियों के सूखने से पर्यावरणीय असंतुलन और जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ेगा।
5. भारत के सामने कूटनीतिक दबाव
- पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ शिकायत कर सकता है, लेकिन अगर भारत समझौते के नियमों का पालन करते हुए पानी रोकता है, तो पाकिस्तान को कोई कानूनी राहत नहीं मिलेगी।
Indus Waters Treaty भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण संधि है, जिसने दशकों तक जल विवाद को नियंत्रित किया है। हालाँकि, पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने और कश्मीर मुद्दे पर लगातार तनाव बनाए रखने के कारण भारत के लिए इस समझौते पर पुनर्विचार करना जरूरी हो गया था।
भारत के इस कदम से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कृषि को भारी नुकसान होगा। हालांकि, भारत को इसके कूटनीतिक और पर्यावरणीय प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। इसलिए, भारत के लिए बेहतर विकल्प ये होगा कि वो समझौते का पूरा उपयोग करे और पाकिस्तान को दिए जाने वाले पानी पर नियंत्रण करके उसे राजनीतिक और आर्थिक दबाव में लाए।