Tahawwur Hussain Rana कौन है और उसे भारत क्यों लाया जा रहा है ? ये सवाल बड़ी संख्या में लोग पूछ रहे हैं। आज हम आपको तहव्वुर हुसैन राणा का पूरा सच बताने जा रहे हैं। तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Hussain Rana) पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक और व्यवसायी हैं।
Tahawwur Hussain Rana का नाम 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों से जुड़ा है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने बचपन के मित्र डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर इन हमलों की साजिश रची और उन्हें सहायता प्रदान की।
Tahawwur Hussain Rana Biography
तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, जहां उन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई की और पाकिस्तानी सेना में चिकित्सक के रूप में कार्य किया। 1990 के दशक में, वे कनाडा चले गए और वहां के नागरिक बन गए। बाद में, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यवसाय स्थापित किया, जिसमें शिकागो में एक इमीग्रेशन सेवा कार्यालय और मांस प्रसंस्करण संयंत्र शामिल थे।
मुंबई हमलों में भूमिका
26 नवंबर 2008 को, लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर समन्वित हमले किए, जिसमें 166 लोगों की मौत हुई। इन हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में डेविड हेडली की महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिन्होंने हमलों से पहले लक्ष्यों की रेकी की थी। Tahawwur Hussain Rana पर आरोप है कि उन्होंने हेडली को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भारतीय वीजा प्राप्त करने में मदद की, जिससे हेडली भारत में स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सके और हमलों की तैयारी कर सके।
इसके अलावा, राणा ने हेडली को वित्तीय सहायता और अपने व्यवसायों का उपयोग करते हुए कवर प्रदान किया, ताकि हेडली की गतिविधियों पर संदेह न हो। आरोपों के अनुसार, राणा ने हेडली को डेनमार्क में ‘जिलैंड्स-पोस्टेन’ समाचार पत्र के कार्यालय पर हमले की योजना बनाने में भी सहायता की थी, हालांकि ये योजना सफल नहीं हो पाई।
अमेरिका में गिरफ्तारी और सजा
2009 में, तहव्वुर राणा को शिकागो में गिरफ्तार किया गया और उन पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप लगाए गए। 2013 में, अमेरिकी अदालत ने उन्हें लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने और डेनमार्क में हमले की साजिश रचने के आरोप में 14 साल की सजा सुनाई। हालांकि, मुंबई हमलों में उनकी भूमिका के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया था।
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया और वर्तमान स्थिति
भारत सरकार लंबे समय से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, ताकि उन्हें मुंबई हमलों में उनकी कथित भूमिका के लिए न्याय के कटघरे में लाया जा सके। अमेरिकी अदालतों में इस विषय पर कई कानूनी प्रक्रियाएं चलीं। जनवरी 2025 में, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी, जिससे उनके भारत प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
फरवरी 2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि उनकी प्रशासन ने तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय को भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया, जिसमें दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया।
मोदी जी ने जो कहा वो किया।
— Rahul Kothari (@RahulKothariBJP) April 10, 2025
आतंकी तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत लाया गया। #NarendraModi#RahulKothariBJP pic.twitter.com/ujqxY8gocf
तहव्वुर हुसैन राणा का मामला भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। उनके प्रत्यर्पण से मुंबई हमलों के पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद मिलेगी और यह संदेश जाएगा कि आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। ये मामला ये भी दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रगति संभव है।



