Makar Sankranti का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व रखता है। जब भगवान सूर्य Makar Rashi में प्रवेश करते हैं, तब इस दिन को Makar Sankranti के रूप में मनाया जाता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान करके दान करते हैं, जिसे Hindu Scriptures में अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
Makar Sankranti की तिथि और समय
इस साल, Panchang के अनुसार, भगवान सूर्य 14 जनवरी को सुबह 9:03 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी दिन पूरे भारत में ये पर्व मनाया जाएगा। हालांकि हर राज्य में इसे अलग-अलग नाम, रूप, और परंपराओं के साथ सेलिब्रेट किया जाता है।
North और South India में अलग-अलग परंपराएं
दक्षिण भारत (South India)
- तमिलनाडु (Pongal)
तमिलनाडु में Makar Sankranti को Pongal के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है।- किसान अपने बैलों को सजाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
- Agricultural Prosperity के प्रतीक इस पर्व में खेतों से जुड़ी चीजों की पूजा होती है।
- केरल (Makar Vilakku)
केरल में इसे Makar Vilakku के रूप में मनाते हैं।- Sabarimala Temple के पास एक दिव्य ज्योति दिखाई देती है, जिसे Makar Jyoti कहा जाता है।
- इस ज्योति के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं।
- कर्नाटक (Ellu Birodhu)
कर्नाटक में इसे Ellu Birodhu कहा जाता है।- यहां महिलाएं गन्ना, तिल, गुड़, और नारियल से बनी चीजों का कम से कम 10 परिवारों में आदान-प्रदान करती हैं।
- आंध्र प्रदेश
- यहां ये पर्व तीन दिनों तक मनाया जाता है।
- पुराने सामान फेंककर नई चीजें लाई जाती हैं, जो जीवन में नयापन और सकारात्मकता का प्रतीक है।
उत्तर भारत (North India)
- पंजाब (Maghi)
पंजाब में इसे Maghi के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।- Sri Muktsar Sahib में एक बड़ा मेला लगता है।
- खिचड़ी, गुड़ और खीर का सेवन और नृत्य-गान इस पर्व का मुख्य आकर्षण है।
- गुजरात (Uttarayan)
गुजरात में इसे Uttarayan के रूप में मनाया जाता है।- यहां Kite Festival का आयोजन होता है।
- खासतौर पर Undhiyu और Chikki खाए जाते हैं।
- राजस्थान और गुजरात (Sankrant)
- यहां महिलाएं 13 विवाहित महिलाओं को Gifts देती हैं, जिसमें श्रृंगार, घर और भोजन से संबंधित चीजें शामिल होती हैं।
मकर संक्रांति का महत्व
Makar Sankranti न केवल धार्मिक बल्कि Cultural और Seasonal बदलाव का भी प्रतीक है। ये नई फसल और बदलते मौसम के स्वागत का पर्व है। देश के हर कोने में ये त्योहार अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, लेकिन इसका मुख्य संदेश एकता, समृद्धि और प्रकृति के प्रति आभार का है।