Government Teacher : बरेली – उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा विभाग से लेकर सुरक्षा एजेंसियों तक को हिलाकर रख दिया है। एक महिला, जिसने खुद को भारतीय नागरिक बताकर Government Teacher की नौकरी हासिल की थी, असल में पाकिस्तानी नागरिक निकली। ये मामला केवल नौकरी में फर्जीवाड़े का नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और प्रशासनिक सतर्कता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। मामला सामने आने के बाद हर कोई हैरान है। आखिर कैसे एक पाकिस्तानी महिला को सरकारी नौकरी मिल गई ?
बात सिर्फ फर्जी कागजों के जरिए Government Teacher बनने का नहीं है। ये मामले देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। हैरानी की बात ये है कि ये महिला इतने साल से Government Teacher बन कर बच्चों को पढ़ा रही थी। सोचो देश के भविष्य हमारे-आपके बच्चे इससे कैसी शिक्षा ले रहे होंगे ?
फर्जी कागज से बनी Government Teacher
जांच में सामने आया है कि शुमायला खान (Shumayla Khan) नाम की महिला ने साल 2015 में फतेहगंज पश्चिमी के प्राथमिक विद्यालय माधोपुर, बरेली में सहायक अध्यापक (Government Teacher) के पद पर नौकरी हासिल की थी। उसने रामपुर जिले में फर्जी मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाया और उसे आधार बनाकर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली।
शुमायला ने अपनी पाकिस्तानी नागरिकता को छिपाया, जिससे वो वर्षों तक भारत में न केवल रह सकी, बल्कि एक संवेदनशील और जिम्मेदारी भरा पद भी संभालती रही। ये बात हैरान करने वाली है कि विभागीय स्तर पर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। इतना ही नहीं शुमायला इतने साल से Government Teacher बनी हुई थी और किसी को शक तक नहीं हुआ।
Government Teacher की खुली पोल
करीब तीन महीने पहले बेसिक शिक्षा विभाग ने इस मामले की गहराई से जांच करवाई थी, जिसके बाद तहसीलदार सदर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में ये स्पष्ट हो गया कि शुमायला ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी। रिपोर्ट मिलते ही शिक्षा विभाग ने उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया।
खुलासे के बाग शुमायला फरार
जैसे ही Government Teacher की पोल खुली और ये मामला मीडिया की नजरों में आया और देशभर में पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के निर्देश दिए गए, शुमायला खान गायब हो गई। पुलिस को शक है कि वो या तो भारत से बाहर भाग गई है या किसी सुरक्षित ठिकाने पर छिपी हुई है। बरेली के SP (उत्तर) मुकेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि महिला की गिरफ्तारी के लिए कई टीमों का गठन किया गया है। रायपुर से लेकर बरेली तक लगातार छापेमारी की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है।
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जांच एजेंसियों पर सवाल
इस पूरे मामले ने प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या शुमायला अकेली इस साजिश में शामिल थी या किसी गिरोह या नेटवर्क का हिस्सा थी? खुफिया एजेंसियां ये भी पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि वो पाकिस्तान से कब और कैसे भारत आई, किस रास्ते से दाखिल हुई और किन लोगों ने उसकी मदद की। इतने वर्षों तक उसकी असली पहचान छिपी रहना, नौकरी में चयन हो जाना, और विभागीय निगरानी से बचते रहना – ये सब कुछ सामान्य नहीं कहा जा सकता।
फर्जी दस्तावेज कैसे बने?
जांच एजेंसियों को ये भी पता चला है कि शुमायला ने जो मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाया था, वो रामपुर जिले से जारी किया गया था, और इसके लिए उसने भारतीय नाम और पहचान का सहारा लिया। ऐसे में सवाल उठता है कि तहसील स्तर पर दस्तावेजों की सत्यता की जांच में इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई? क्या स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत रही या ये भ्रष्टाचार का मामला है? आखिर कैसे एक पाकिस्तानी महिला भारत में Government Teacher बन गई?
शिक्षा विभाग की लापरवाही?
इस घटना से ये साफ होता है कि शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया में कहीं न कहीं बड़ी खामी है। एक पाकिस्तानी नागरिक, बिना किसी ठोस पृष्ठभूमि जांच के, सरकारी शिक्षक कैसे बन सकती है? क्या विभाग ने उस वक्त पुलिस वेरिफिकेशन, दस्तावेज सत्यापन, और पृष्ठभूमि जांच को लेकर लापरवाही बरती? वर्तमान में ऐसे सभी मामलों की पुनः जांच की मांग उठ रही है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं।
सुरक्षा एजेंसियों को सबक
ये केवल एक शिक्षा विभाग से जुड़ा मामला नहीं है। ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। जब एक पाकिस्तानी नागरिक आसानी से भारत में सरकारी नौकरी पा सकती है, तो ये सोचने वाली बात है कि और कितने ऐसे मामले अभी छिपे हुए हो सकते हैं। खुफिया विभाग, पुलिस और गृह मंत्रालय को अब ऐसी सभी नियुक्तियों की विशेष जांच करनी चाहिए जो पिछले एक दशक में हुई हैं – खासकर वे, जो संवेदनशील पदों से जुड़ी हैं।
क्या हो सकते हैं इस मामले के आगे के कदम?
- शुमायला खान की गिरफ्तारी के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया जा सकता है।
- जिन अधिकारियों ने उसकी नियुक्ति प्रक्रिया में भूमिका निभाई, उन पर भी कार्रवाई की संभावना है।
- फर्जी दस्तावेज बनाने वाले नेटवर्क की तलाश की जा रही है, जो ऐसे मामलों में शामिल हो सकते हैं।
- शिक्षा विभाग को सभी नियुक्त शिक्षकों का सत्यापन एक बार फिर से कराने का निर्देश दिया जा सकता है।
सिस्टम की कमजोरी?
शुमायला खान का ये मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं है। ये सिस्टम की कमजोरी, प्रशासनिक लापरवाही और सुरक्षा एजेंसियों की सजगता की कसौटी है। अब जबकि मामला सामने आ चुका है, ज़रूरत है कठोर कार्रवाई और व्यापक जांच की, ताकि आने वाले समय में कोई और शुमायला खान भारत की व्यवस्था को ठग न सके।