दिल्ली शराब नीति घोटाले में सीएम केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटक चुकी है. ईडी ने हाल ही में सीएम केजरीवाल को एक समन जारी किया था. जिसको लेकर आम आदमी पार्टी के संयोजक ने कहा था कि, केंद्रीय जांच एजेंसी उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है. ऐसे में गिरफ्तारी की खबरों के बीच पार्टी विधायकों ने विधानसभा में एक अहम बैठक की. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि, अगर सीएम केजरीवाल जेल चले जाते हैं तो दिल्ली की सरकार को कैसे चलाया जाएगा. nमीटिंग के बाद दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘बैठक में सभी विधायकों ने अपनी बात रखी. सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सीएम अरविंद केजरीवाल अगर गिरफ्तार होते हैं तो वो जेल से ही दिल्ली सरकार चलाएंगे, क्योंकि दिल्ली की जनता ने उनको ही जनादेश दिया है. संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि, मुख्यमंत्री को ट्रायल के बहाने जेल में रखा जाए तो उनको इस्तीफा देना पड़ेगा.’n उन्होंने आगे कहा, ‘सभी विधायकों ने अरविंद केजरीवाल से कहा है कि चाहे कुछ भी हो जाए. जमीन से चले, चाहे आसमान से चले, चाहे जेल से चले, चाहे पुलिस कस्टडी से चले या फिर न्यायिक कस्टडी से चले, अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली की सरकार चलाएंगे, क्योंकि जनादेश उन्हीं का है.’nक्या है एक्सपर्ट्स की राय?nअब सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या इस तरह जेल से सरकार चल सकती है? क्या एक मुख्यमंत्री जेल में रहकर फाइल साइन कर सरकार चला सकते हैं? इस पर दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव रहे ओमेश सहगल ने जानकारी देते हुए कहा, “ऐसा अब तक पहले कभी देखा नहीं गया कि कोई चीफ मिनिस्टर गिरफ्तार हुआ हो और सरकार भी चला रहा हो.”nउन्होंने कहा, “सरकारी कर्मचारी के लिए प्रोविजन है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी गिरफ्तार होता है और वो 24 घंटे या 48 घंटे तक जेल के अंदर रहे तो वो सस्पेंड हो जाते हैं, लेकिन सैलरी जारी रहती है. वहीं जब बाद में केस खत्म हो जाता हैं तो तब फैसला कर लिया जाता है कि उन्हें बहाल किया जाना है या नहीं.”nउन्होंने कहा, “जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है अगर यही प्रोविजन यहां पर भी लागू होता है तो अगर आप जेल में रहते हैं तो आपके पास मकान भी रहेगा और आपको सैलरी भी मिलती रहेगी. आप सस्पेंड नहीं हो सकते. किसी मुख्यमंत्री और मंत्री को सस्पेंड करने का कोई प्रोविजन नहीं है.”nकोर्ट से लेनी होगी परमिशनnओमेश सहगल ने कहा, “ये अलग बात है कि जब आप को दो साल की सजा हो जाती है तो आपकी सदस्यता रद्द हो जाती है, लेकिन जब तक अंडर ट्रायल हैं तब तक ऐसा कुछ भी नहीं होता. हालांकि सवाल यह है कि जेल से अपना काम कैसे करेंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री का काम सिर्फ फाइल पर साइन करना नहीं होता है, बल्कि कैबिनेट मीटिंग में शामिल होना, एलजी के साथ मीटिंग करना, अधिकारियों के साथ मीटिंग करना और भी कई जरूरी मीटिंग भी हो सकती है.nओमेश सहगल ने जानकरी देते हुये कहा, “चूंकि ये ज्यूडिशियल कस्टडी होगी तो अगर केजरीवाल को कोई पेपर भी साइन करना है तो आपको कोर्ट से इजाजत लेनी होगी. मीटिंग अटेंड करने के लिए भी आपको जेल मैनुअल के हिसाब से चलना होगा, वह भी कोर्ट जब तय करेगा, तभी कर सकते हैं.”